जालान ग्रुप: साइकिल से बेचते थे कपड़े, मेहनत से खड़ा किया 350 करोड़ का कारोबार!

जालान ग्रुप वाराणसी का एक प्रतिष्ठित वस्त्र उद्योग का नाम है जिनके नेतृत्व करता और कार्यकर्ताओं के कुशल परिश्रम से पिछले कुछ दशकों में इस समूह में उत्तरोत्तर प्रगति हासिल की है।

जालान ग्रुप की स्थापना स्वर्गीय दीनदयाल जालान जी ने 1974 में किया था। पूर्वांचल ही नहीं बल्कि झारखंड, बिहार ,बंगाल, उड़ीसा ,महाराष्ट्र में अपने कामों की वजह से वस्त्र उद्योग में लोहा मनवा चुका है, यह समूह ग्राहकों को सबसे उचित मूल्य पर सर्वोत्तम उत्पाद और सेवाएँ प्रदान करने में विश्वास करते हैं।

प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन और व्यापार कौशल के बेहतर समन्वय से जालान समूह, क्षेत्र के अग्रणी कॉर्पोरेट घराने के रूप में आगे बढ़ रहा है।

निजी स्वामित्व वाली और पेशेवर रूप से प्रबंधित जालान ग्रुप पूर्वी यूपी में एक मजबूत पायदान पर है। एक उत्कृष्ट ट्रैक रिकॉर्ड के साथ यह लगातार नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने पर केंद्रित है।

द इंडियन ओपिनियन के द्वारा खास बातचीत में वरिष्ठ संवाददाता पुरुषोत्तम सिंह से जालान ग्रुप के सीईओ केशव जालान बताते हैं 1974 से अब तक के संघर्षों की दास्तान।

प्रश्न 1 जालान ग्रुप की स्थापना के प्रारंभ में किस तरह के संघर्षों का सामना किया गया?

ऊत्तर– सन 1976 में अपने काम की शुरुआत किया गया. रांची झारखंड का रहने वाला हूं. सन 1974 से दुकान की शुरुआत की. पहले दिन 176 रुपये का कपड़ा बिका. दो दिन दुकान में बोहनी नहीं हुई. दुकान- दुकान जाकर इस काम की शुरुआत किया.साईकिल से कपड़ा ले जाकर गांव में बेचा गया. घूप , गर्मी जाड़ा सबकुछ बर्दाश्त करना पड़ा. यही कारण है कि आज भी मुझे गर्मी नहीं लगती.1998 में पहला स्टोर बांसफाटक में खुला. धीरे-धीरे वहां से व्यापार का विस्तार हुआ और हम आगे बढ़ते चले गये।

प्रश्न 2–आज देशी विदेशी कई कंपनियां इस सेक्टर में कूद गई हैं इसपर आपका क्या कहना है?

ऊत्तर- बिजनेस ईक्कवल टू कंपटीशन व्यापार है तो कंपटीशन रहेगा ही. मैने आगे लिखा बिजनेस ईक्कवल टू कं्वाटिटी बिना इसके बिजनेस हो ही नहीं सकता।कंपटटीशन तो बहुत अच्छी बात है. ये सब तो विकास का द्योतक हैं.कोई भी रिटेल कारोबार अकेला नहीं चल सकता जब तक की कंपटीशन ना होl

प्रश्न–समाज के हर मुद्दे धर्म, अध्यात्म,राजनीति हर मुद्दे पर आप चर्चित रहते है इस पर प्रकाश डालिए?

ऊत्तर– राजनीति में मैं नहीं रहता हूं, और ना ही वो मेरा क्षेत्र है. सामाजिक विषयों का सवाल है शिवानी बहन ने कहा मेरे बिना समाज का कार्य चल सकता है. लेकिन समाज के बिना मेरा काम नहीं चल सकता है.भगवान का मैसेज यही है कि मैं चार हांथ से दे रहा हूं तुम दो हांथ से दो।

प्रश्न– हजारों वर्षों से मानवता को सब कुछ देने वाली पवित्र काशी ने आतंकी हमले को भी झेला इस पर क्या करेंगे?

ऊत्तर– प्रकृति, समाज इसमें अनवांटेड सिचुएशन आते रहते हैं, आगे भी आयेंगे उसका सामना करना पड़ेगा, पूरा विश्व कोरोना के लाक डाऊन से गुजरा, इसका अगर फायदा गिनाना चाहूं तो बहुत सारे फायदे हैं।

निष्कर्ष: कुल मिलाकर जालान ग्रुप अपने संस्थापकों प्रबंधकों और नेतृत्व कर्ताओं की सकारात्मक ऊर्जा के साथ निरंतर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है यह समूह अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को लेकर भी सजग है और हर मौके पर समाज सेवा के कार्यों के लिए अग्रणी रहता है, यही वजह है कि न सिर्फ वाराणसी मंडल के क्षेत्र में बल्कि देश के बड़े हिस्से में जालान समूह प्रतिष्ठित उद्योगों में गिना जाता है।

रिपोर्ट – पुरुषोत्तम सिंह, वाराणसी

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