कोरोना संकट ने भारत के लोगों को देश के असली हीरो, देश के वास्तविक नायकों और समाजसेवियों के दर्शन करा दिए हैं।
बहुत से करोड़पति अरबपति इस संकट में भी जहां स्वार्थ की चादर ओढ़े अपने घरों में कैद हैं वही ऐसे लोगों की भी बड़ी संख्या है जो बहुत धनी संपन्न ना होते हुए भी अपनी हिम्मत और देश सेवा की भावना के साथ अपने देशवासियों की मदद के लिए पूरी क्षमता के साथ काम कर रहे हैं।
ऐसे ही बड़े दिल के मालिक हैं बाराबंकी के चर्चित वकील साहब रितेश मिश्रा। अधिवक्ता रितेश मिश्रा को बाराबंकी में क्रांतिकारी रितेश मिश्रा भी कहा जाता है। पिछले कई सालों से वह लगातार बाराबंकी में जनता से जुड़ी हर समस्या के लिए संघर्ष में आगे रहते हैं।
पेशे से वकील है उनके पास ज्यादा धनसंपदा तो नहीं है लेकिन उनका दिल बहुत बड़ा हैl समाज और देश के लिए वह बहुत कुछ करने की इच्छा रखते हैं और किसी भी सीमा तक जा कर अपना फर्ज निभाने की हिम्मत भी रखते हैं।
अधिवक्ता रितेश मिश्रा ऐसे समाजसेवी हैं जिन्होंने अपनी मोटरसाइकिल को ही बहुत से गरीबों के लिए “उम्मीद की सवारी” बना दिया है जिस मोटरसाइकिल से यह अवर्स कचहरी जाते थे उसी मोटरसाइकिल पर पर राहत सामग्री लाद कर गरीबों तक पहुंचाने का अनोखा अभियान चला रहे हैं।
तमाम लोग जहां साधन संपन्न होते हुए भी देश के प्रति अपने फर्ज को भूल जाते हैं वही अधिवक्ता रितेश मिश्रा सीमित संसाधनों में भी असीमित मानव सेवा का संकल्प धारण करते हैं l अपनी मोटरसाइकिल पर राहत सामग्री के पैकेट लेकर हर रोज रितेश मिश्रा बाराबंकी में निकलते हैं और जरूरतमंदों को मदद पहुंचाते हैं। शहर में बहुत से लोगों को उन्होंने अपने मोबाइल नंबर दे रखे हैं जहां से भी गरीब पीड़ित लोग उन्हें फोन करते हैं वहां कुछ ही घंटों के अंदर वह राहत सामग्री का इंतजाम करके पहुंच जाते हैं।
निस्वार्थ भाव से समाज सेवा का धर्म निभाने वाले रितेश मिश्रा बाराबंकी जिले में संघर्ष संकल्प और सेवा की मिसाल बन गए हैं।
इन्होंने यह दिखा दिया कि यदि आप देश के लिए समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं तो धन संपदा और संसाधनों की कमी आपका रास्ता नहीं रोक सकती, आपकी नेक नियति ही आपकी ताकत बन जाएगी।
अपने कई मित्रों के सहयोग से रितेश मिश्रा पके हुए भोजन के पैकेट राशन के पैकेट बांटने के साथ-साथ जरूरतमंदों को मास्क को उपलब्ध कराने की भी मुहिम चला रहे हैं। इनका प्रयास है जहां तक उनकी क्षमताएं है वहां तक कोई भी भूख से ना परेशान हो कोई खुद को अकेला न समझे और कोई भी कोरोना संक्रमण का शिकार ना हो।
रितेश मिश्रा के सेवा भाव की जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है क्योंकि सीमित संसाधनों में अपनी मोटरसाइकिल को ही है रितेश मिश्रा ने गरीबों के लिए “उम्मीद की सवारी” बना दिया है उनकी उम्मीद की सवारी जहां पहुंचती है वहां गरीबों की मुश्किलें दूर हो जाती है।