*पसमांदा मुसलमानों के नेता वसीम राईन ने सेकुलर पार्टियों को दी चेतावनी, सिर्फ बीजेपी को हराने में ना हो पसमांदा मुसलमानों का इस्तेमाल, सांसदी विधायकी के साथ साथ पार्टी संगठन में जिला प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर दी जाए समुचित हिस्सेदारी … “द इंडियन ओपिनियन” के लिए आदित्य यादव की रिपोर्ट*

हम पसमांदा मुसलमान सियासी सिक्युलर पार्टियों से मिलने वाले सिर्फ विधान सभा या लोक सभा टिकट में हिस्सेदारी पाने को ही अपनी सबसे बड़ी सियासी कामयाबी मान लेते हैं जोकि सियासी हैसियत या ताकत के हिसाब से, बहुत ही छोटी सी कामयाबी मानी जाती है उक्त विचार आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राईन ने महाज़ के लोगो को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये और अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने कहा की जब तक किसी भी सियासी पार्टी के राष्ट्रीय, प्रदेश या जिला संगठन में खासकर अहम पदों पर पिछड़े-दलित यानी पसमॉदा मुसलमानों को हिस्सेदारी नहीं मिलेगी विधायक, सांसद और मंत्री बनने के बाद भी पिछड़े मुसलमान लीडर, अपने समाज के लिये ना तो बडा फैसला ले सकते हैं और ना ही चाहकर भी अपने समाज को कोई खास फायदा पहुंचा पायेंगे इसलिए टिकटो की लड़ाई के साथ -साथ, हमें हमारी अपनी आबादी के अनुपात में सभी सियासी पार्टियों के सभी संगठनो में भी हक- हिस्सेदारी पाने की लड़ाई एक साथ लड़नी चाहिए आखिर जब एक फ़ीसदी से भी कम बिरादरी के वोटो वाले पिछड़े राज बब्बर कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष या दो फ़ीसदी से भी कम वाले रामअचल राजभर बसपा के या केशव प्रसाद मौर्या तीन फ़ीसदी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हो सकते हैं तो आज तक 16% वोट होने के बाद वावजूद कोई पिछड़ा-दलित यानी पसमांदा मुसलमान अभी तक किसी सियासी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष क्यों नहीं बन सका है
प्रदेश अध्यक्षी छोडि़ये क्या पसमांदा मुसलमान जिलाध्यक्ष भी बनने लायक नहीं हैं, सिक्युलर पार्टी के नाम पर पसमांदा लोगो का वोट तो लेना चाहते पर कोई हिस्सेदारी नही देना चाहते हैं । पसमांदा मुस्लिमो को सिर्फ बीजेपी हराने में लगाए हैं ,सिक्युलर पार्टिया अब ये नही चलेगा डॉ लोहिया ,डॉ अम्बेडकर के सपने को साकार करना है, जितनी जिसकी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी वोट हमारा राज तुम्हारा नही चलेगा ।