पहले दशरथ मांझी लूंगी भुईयां बिहार की इच्छाशक्ति और देश प्रेम का फिर बजा डंका!

आज बिहार और बिहार के लोग दोनों चर्चा में हैं, अवसर है लोकतंत्र के सबसे बड़े त्यौहार का यानी चुनाव का। तभी तो एक साधारण आदमी जो पिछले 30 सालों से गुमसुदा था, हमारी जानकारी से, वह आज सुर्खियों में है।
लौंगी भुइँया, जिन्होंने अपने दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत की बदौलत तीन किलोमीटर लंबी नहर खोद डाली। जिस व्यक्ति को लोग पागल कहते थे उसी के काम की वजह से गाँव में विकास के रास्ते बननें की उम्मीद है। जब से लौंगी चर्चा में आए हैं उनसे मिलनें के लिए नेता से लेकर मीडिया तक कोठिलवा गाँव पहुँच रहे हैं।
बिहार का एक छोटा सा गाँव कोठिलवा अब मानचित्र पर दिखाई देनें लगा है। जिस जगह यह गाँव है वहां कुछ साल पहले तक माओवादी उग्रवादियों का राज चलता था यही उनका पनाहगार भी था। इसी गाँव में तीस साल पहले एक सख़्श नें स्वयं से वादा किया कि अपने गाँव तक पानी लाकर रहेगा और आज उसनें अपना वादा पूरा किया। चुनावी माहौल के बीच लौंगी द्वारा बनाई नहर को पूरा किये जाने का भी निर्देश दिया जा चुका है।


●बदल गई जिंदगी
आनंद महिंद्रा नें लौंगी की इच्छा के अनुसार उनको ट्रैक्टर भी दे दिया है। मैंन कांइड फार्मा नें एक लाख का चेक भी भिजवा दिया है लौंगी के घर। ये सब होने से लौंगी के परिवार वालों को भरोसा है कि उनकी जिंदगी अब बदलनें वाली है। जीतनराम मांझी जो पहले सत्ताधारी ‘दल जनता दल यूनाइटेड’ में थे पर अब अपनी अलग पार्टी ‘हिंदुस्तान अवाम मोर्चा’ बना लिया है, उन्होंने लौंगी को राष्ट्रपति से सम्मानित करवाने का वादा भी किया है।
गांववालों नें जीतनराम मांझी से गाँव के लिए एक पक्की सड़क और एक अस्पताल बनवाने की मांग की है। गाँव के लोग भी जानते हैं कि चुनावी माहौल है और ऐसे मौके पर ही ये मांग की जा सकता है।


●कैसे हुई नहर खोदनें की शुरुआत
लौंगी जिस गाँव में रहते हैं, वहां तकरीबन 200 घर हैं। 130 घरों में मुसहर तथा बाकी 70 घरों में ‘भोगता’ जाति के लोग रहते हैं ये दोनों ही जातियां अनुसूचित जनजाति हैं। इन लोगों की आजीविका का मुख्य साधन खेती और मजदूरी है। जो मुसहर लोग हैं उनके पास खेती नहीं है ऐसे में उन्हें खेतों में मजदूरी पर आश्रित रहना पड़ता है।
कई साल पहले इस गाँव में भंयकर सूखा पड़ा और खेती बर्बाद हो गई जिस खेत में लौंगी काम करते थे वह भी सूख गया। ऐसी स्थिति में गाँव के ज्यादातर लोग शहर की तरफ पलायन करनें लगे लेकिन लौंगी को ये सब अच्छा नहीं लग रहा था उन्हें लोगों का ऐसे गाँव छोड़कर जाना रास नहीं आया। तब उन्होंने सोचा क्यों न बागेठा पहाड़ी को काटकर खेत तक पानी लाया जाए? अपनी इस सोच से उन्होंने गाँव वालों को भी अवगत करवाया लेकिन किसी नें भी इस बात को गंभीरता से नही लिया।


●लोग समझते थे पागल
लौंगी जब नहर खोदनें का काम कर रहे थे लोग उनको पागल समझते थे उन्हें लगता था कि कोई पहाड़ काटकर कैसे नहर निकाल सकता है। लेकिन लौंगी अपनी धुन के पक्के थे और ठान लिया था कि खेत तक पानी लाकर रहेंगें।
अपने दृढ निश्चय की वजह से ही आज उन्होंने वो कर दिखाया जिसकी लोग कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।

-अराधना शुक्ला

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