14 मई को देश के किसानों के खाते में किसान सम्मान निधि की राशि 2000₹ प्रति खाते में अन्तरित की गई है । लगभग 20 हज़ार करोड़ की यह धनराशि 9.5 करोड़ किसानों के खातों में प्रेषितकी गई है। अच्छी सोच है इस महामारी काल में यह राशि किसानों के बहुत काम आएगी ।
परन्तु इसका एक दूसरा पहलू भी है । अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो लगभग एक माह बाद हम कोविड महामारी की दूसरी घातक लहर पर एक भयावह स्थिति से गुजरने के बाद कुछ हद तक काबू पा पाये हैं परन्तु स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है।
ग्रामीण क्षेत्रों में फैल रहा संक्रमण चिंता का विषय बना हुआ है । राज्य सरकार द्वारा कल ही इस सम्बन्ध में अलग प्रोटोकॉल जारी किया गया है । ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सीय सुविधाओं का अभाव इस समस्या को और भी गम्भीर बना देता है।
ऐसे में बैंकों की ग्रामीण शाखाओं पर अनियंत्रित भीड़ का एकत्रित होने से और कोविड से बचाव के नियमों के पालन की उपेक्षा करने से बीमारी के संक्रमण का खतरा और भी अधिक बढ़ गया है ।
इस सम्बंध में हमारी बात आर्यवर्त बैंक अधिकारी संघ के महामंत्री श्री चैन सिंह रावत से हुई । उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के 26 जिलों में स्थित बैंक की1367 शाखाओं के 30,67,367 खातों में यह धनराशि अन्तरित हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि गत एक माह में इस महामारी के चलते 30 सहकर्मियों की मृत्यु हो चुकी है ।सैकड़ों सहकर्मी अभी भी घरों/अस्पतालों में अपना इलाज करवा रहे हैं । शाखाओं का नियमित संचालन ही बहुत मुश्किल से हो पा रहा है ,ऐसे में इस भीड़ से निपटना अत्यधिक दुष्कर और असुरक्षित होगा यद्यपि की पूरी सावधानियों के साथ वह और उनके साथी इस कार्य को सफलतापूर्वक अन्जाम देने के लिए कृत संकल्प हैं ।
इस सम्बंध में इसी यूनियन के अध्यक्ष श्री कृष्ण नन्द त्रिपाठी से भी बात हुई ।उन्होंने बताया कि कॅरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए एक भुगतान में न्यूनतम 3 मिनट लगते हैं।वर्तमान समय में बैंक राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के निर्णय के अनुसार10 बजे प्रातः से 2 बजे अपरान्ह तक ही कार्य कर रहे हैं। इन चार घंटों के कार्यकाल में 100 से अधिक भुगतान कर पाना सम्भव नहीं है जबकि भीड़ इससे अधिक हो रही है। उन्होंने भीड़ नियंत्रण और कॅरोना प्रोटोकॉल का पालन कराने में संबंधित जिलों के प्रशासन से भी सहयोग की अपील की है।
उन्होंने इस बात का भी खेद जताया कि बैंकर्स को केंद्र सरकार द्वारा फ्रण्ट लाइन वर्कर माने जाने के बावजूद भी कई जिलों में सम्बन्धित अधिकारियों द्वारा स्टाफ के टीकाकारण में सहयोग नहीं किया जा रहा है ।
यह बात सिर्फ बैंकर्स में व्याप्त भय की ही नहीं है। अगर इस संबंध में सम्बंधित जिलों के प्रशासन द्वारा त्वरित कदम नहीं उठाए गए तो ग्रामीण अंचलों में कॅरोना संक्रमण का खतरा और भी बढ़ जाएगा। बैंकर्स का प्राथमिकता के आधार पर टीकाकारण करके उनका मनोबल बढ़ाया जाना चाहिये। किसान सम्मान निधि ग्राम सभावार दिन निर्धारित कर अथवा पहले आओ पहले पाओ के आधार पर 100 टोकन बाँट कर वितरित की जा सकती है ताकि किसान की जरूरत बिना किस खतरे, चाहे वह उसके लिए हो या बैंकर्स के लिए , पूर्ण की जा सके ।
देश के लिए हर एक जान कीमती है चाहे वह एक किसान की हो या फिर एक बैंकर की ।
रिपोर्ट – विकास चन्द्र अग्रवाल