बाराबंकी: राजनाथ सिंह की मध्यस्थता से निकल सकता है किसान आंदोलन का हल! लेकिन उन पर केंद्र सरकार का दबाव- टिकैत

नरेश टिकैत जनपद बाराबंकी के हरख ब्लॉक में किसानों को संबोधित करते हुए

हरख/ बाराबंकी। किसानों और सरकार के बीच तनातनी कम होते हुए नहीं दिखाई पड़ रही और अब यह तकरार बयानबाजी से लेकर जमीनी लड़ाई तक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है जिस के क्रम में किसान संगठन के द्वारा प्रत्येक जनपदों में किसान महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है। वैसे तो किसान संगठन केंद्र सरकार के सामने अडिग हैं और सरकार की कोई बात मानने को तैयार नहीं है लेकिन इसी बीच किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत की एक बयान ने राजनीति की गलियों में हलचल पैदा कर दी है जिसके बाद से राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ने के पूरे आसार दिखाई पड़ रहे हैं।

दरअसल आज किसान महापंचायत की रैली में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत का आगमन हुआ जिसमें पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह को यदि सरकार किसान संगठनों से बात करने के लिए आगे भेजती है तो यह हमारी गारंटी है कि फैसला हो जाएगा, अपनी बात रखते हुए टिकैत ने कहा कि राजनाथ सिंह किसानों के हित की बात करने वालों में से हैं लेकिन केंद्र सरकार के दबाव के कारण वह खुलकर सामने नहीं आ सकते।

वही नरेश टिकैत ने कहा की किसान भी राजनाथ सिंह का सम्मान करते हैं यदि ऐसे में सरकार राजनाथ सिंह के माध्यम से मध्यस्था कराती है तो फैसला भी हो जाएगा और भाजपा की साख भी बची रहेगी लेकिन इसके बावजूद केंद्र की सरकार राजनाथ सिंह को सरकार की तरफ से मौका नहीं दे रही है।

महापंचायत में किसानों को संबोधित करते हुए नरेश टिकैत ने कहा की इस तरह की पंचायतें अब पूरे पूर्वांचल में भी की जाएंगी जिसमें किसानों को जागरूक किया जाएगा और तीनों कानूनों से होने वाले नुकसान के बारे में किसानों को अवगत कराया जाएगा वहीं सरकार पर निशाना साधते हुए नरेश ने आगे कहा कि सरकार किसानों को भी आतंकवादी खालिस्तानी कहकर किसानों के सम्मान को ठेस पहुंचा रही है और किसानों को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है जिसे हम बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे।

151 किलो की फूल माला से नरेश टिकैत का किया गया स्वागत

हजारों किसानों की भीड़ में नरेश टिकैत ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि किसान भुखमरी की कगार पर पहुंच चुका है और लगभग बर्बाद हो चुका है यहां तक कि उसे अपनी फसल का समुचित दाम भी नहीं मिल पा रहा है और तो और बिजली की कीमतों के साथ-साथ पेट्रोल डीजल के भी दाम लगातार बढ़ रहे हैं सरकार जिस पर विचार न करके किसानों के पीछे पड़ी हुई है सरकार को अपना रवैया बदल कर किसानों के हित में सोचना चाहिए और यदि किसान सरकार अपने इसी रवैए पर अड़ी रही और आने वाले समय में भी यह सरकार रहेगी तो किसान अपना काफी नुकसान कराएंगे और उन्हें अपने खेतों से भी हाथ धोना पड़ेगा।

जनपद बाराबंकी से नितेश मिश्रा की विशेष रिपोर्ट

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