भाजपा और रालोद कार्यकर्ताओं में भिड़ंत का मामला, संजीव बालियान का आरोप मस्जिद से एलान कर मेरे विरोध में बुलाये लोग।

मुज़फ्फरनगर में शाहपुर थाना क्षेत्र के गांव सोरम में कल भाजपा और रालोद कार्यकर्त्ता आपस में भीड़ गए थे। जिसमे केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के साथ भी अभद्र व्यवहार किया गया था जिसके बाद गांव सोरम में ऐतिहासिक चौपाल पर एक पंचायत का आयोजन किया गया था। जिसके बाद हजारो किसानो और कई राजनैतिक दलों के कार्यकर्ताओ ने थाने पर जमकर हंगामा किया। रालोद जिलाध्यक्ष अजित राठी और रालोद कार्यकर्ताओ ने मंत्री संजीव बालियान और उनके समर्थको के खिलाफ शाहपुर थाने में तहरीर दी है। इसी क्रम में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने एक प्रेस वार्ता बुलाकर अपना पक्ष रखा। 


केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया की भैंसवाल में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के परिवार के लोगों द्वारा वहां पर नारेबाजी की गई 12 लोग थे उस परिवार में , जिन्होंने बदतमीजी करने का प्रयास किया उसके बाद कल सोरम गांव में राष्ट्रीय लोक दल के ब्लॉक अध्यक्ष के नेतृत्व में  5 – 6 कार्यकर्ताओं के द्वारा जब मैं एक तेहरवीं में मौजूद था। उस समय रसम पगड़ी चल रही थी मैं किसी राजनीतिक कार्यक्रम में नहीं गया था। कम से कम इतना तो होना चाहिए मर्यादा में रहकर एक-दूसरे का सम्मान तो होना चाहिए। ऐसे शांतिपूर्ण माहौल को उन्होंने राजनीति का अखाड़ा बना दिया। समाज को नहीं तोड़ना चाहिए राजनीति तो होती रहती है और होती रहेंगी ,चुनाव लोग लड़ते हैं और आगे भी लड़ेंगे। समाज को आपस में लड़ा कर आप लोग तो चले जाएंगे। भुगतना तो मुजफ्फरनगर की जनता को पड़ेगा। यह घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। मैं व्यक्तिगत रूप से बहुत दुखी हूं। वे लोग बहुत खुश होंगे उन्होंने हमेशा दिल्ली में बैठकर राजनीति की है। हम लोगों ने पसीना बहा कर और लोगों के बीच में रहकर राजनीति की है। मस्जिद से ऐलान करने वाले बयान पर उन्होंने कहा की वहां पर लोकदल के नेता मौजूद थे। जो 26 जनवरी पर लाल किले की घटना में भी मौजूद थे ,मेरे निकलते ही हाथापाई हुई नारे लगाए , लोगों ने उन्हें भगाया। उसके बाद सोरम  में मस्जिदों से अलाउंसमेंट हुआ कि संजीव बालियान के विरोध में इकट्ठा हो जाओ।

इसे 2013 की घटना की तरफ लेकर मत जाएं। 2013 में भी भाग गए थे साहब और इस बार भी भाग जाएंगे। पिछली बार भी हमने ही भुगता था। सोरम और पुरबालियान में लोग मारे गए थे। यह देखने भी नहीं आए यह कभी सोरम वालों के आंसू पहुंचने भी नहीं आए ,घायल हुए तब भी नहीं आए ,इससे पहले पिटाई हुई ,फर्जी मुकदमे दर्ज हुए तब भी यह लोग सोरम में नहीं आए। आज संजीव बालियान के विरोध में सौरम याद आया , फिर कल कोई  घटना होगी आप लोग भड़का कर चले जाओगे। मेरा आप लोगों से निवेदन है यह मेरे अपने हैं कोई भी हो वह मेरा अपना है। इनके बहकावे में मत आइए ,आपस में भाई चारा और  प्यार चाहिए, किसी भी राजनीतिक दल में हो , अगर कहीं कोई दुर्घटना हुई या तनाव बढ़ा तो सांसद होने के नाते यह मेरी जिम्मेदारी है। दुख मुझे होगा और यहां के रहने वाले लोगों को , उन्हें नहीं होगा वह तो हर चीज को राजनीतिक नजरिए से देखते हैं। ये तो दिल्ली वापस चले जाएंगे ,केवल ट्वीट करते हैं। मेरा कोई सुरक्षा दायरा नहीं बढ़ा है।

मैंने कभी कोई सुरक्षा नहीं ली , मेरे साथ मंत्री के नाते एक जिप्सी पर चार पुलिस वाले जरूर चलते हैं। इससे पहले मैंने कभी कोई सुरक्षा नहीं ली है मुझे सुरक्षा की कोई जरूरत नहीं , देखिए अपने लोग मारेंगे तो अपने गांव में जाकर रह लेंगे दोस्त , रहना तो अपने लोगों के बीच में ही है। उन्हीं ने बनाया है उन्हीं के हाथ में हमारा भाग्य है। जैसा वह चाहेंगे ऐसा करेंगे। मैं इस साजिश की जांच करवाना चाहता हूं अगर मेरे भाई बहकावे में आकर इस तरह की हरकत कर रहे हैं तो मैं उन पर कोई कार्रवाई नहीं चाहता , मैं इसके जो षड्यंत्र करता है उन पर कार्यवाही चाहता हूं जिसने मस्जिद से अलाउंसमेंट कराई है उस पर कार्यवाही चाहता हूं। उन पांच छह बच्चों पर मैं कोई कार्यवाही नहीं चाहता हूं।

रिपोर्ट – संजीव कुमार, मुज़फ्फरनगर।

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