भारत कोरोना से बुरी तरह प्रभावित! और बढ़ सकती हैं पीड़ितों, मृतकों की संख्या! इस तरह बचें और बचाएं।

रिपोर्ट-  नितेश मिश्रा,

नई दिल्ली। कोरोनॉ महामारी से पूरा विश्व जूझ रहा है वही विभिन्न देश इसकी वैक्सीन बनाने के लिए दिन रात मेहनत से जुटे हुए है लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नही आये है। वर्तमान परिदृश्य में  कोरोना महामारी से एशिया में सबसे बुरी तरह भारत प्रभावित हुआ है।

इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (आइपीएचए) के विशेषज्ञों के मुताबिक दुनियाभर में प्रतिदिन मिल रहे नए मामलों में 30 फीसद और मौतों में 20 फीसद अकेले भारत में ही हो रही हैं, के बावजूद अभी भी विशेषज्ञ के मुताबिक देश में अभी कोरोना का चरम आना बाकी है। भारत में कोरोना महामारी पर जारी किए गए तीसरे संयुक्त बयान में जाने-माने स्वास्थ्य विशेषज्ञों के टास्क फोर्स ने कहा है कि भारत में कोरोना मरीजों के ठीक होने की दर प्रभावशाली है और मृत्युदर में भी लगातार गिरावट भी आ रही है।

     वर्तमान समय मे विगत दो महीनों में प्रतिदिन मिलने वाले नए मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि भी लगातार जारी है और यह आंकड़ा प्रतिदिवस एक नई ऊंचाई छू रहा है। आइपीएचए और इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (आइएपीएसएम) ने इस साल अप्रैल में सार्वजनिक स्वास्थ्य के विशेषज्ञों को मिलाकर इस टास्क फोर्स का गठन किया था, जिसका प्रमुख कार्य देश में कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने के लिए केंद्र सरकार को उपाय सुझाना है। अनलॉक के बाद के दो महीनों में देश में प्रतिदिन मिलने वाले नए मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि लगातार दर्ज की जा रही है, जिसके संबंध में यदि आंकड़ो पर बात की जाए तो विगत पांच जून को एक दिन में 9,472 नए केस मिले थे जबकि इसकी तुलना में 23 अगस्त को 61,749 मामले सामने आए, वही दूसरी तरफ कोरोना महामारी के चलते दूसरी बीमारियों की भी अनदेखी हो रही है।पूरा का पूरा स्वास्थ्य महकमा कोरोना संक्रमितों के उपचार में भी लगा तथा अन्य राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर बहुत कम ध्यान दिया जा रहा है।

       कोरोनॉ के प्रकोप को कम करने के प्रयास में राज्यो द्वारा टेस्टिंग क्षमता बढ़ाने की दिशा में प्रयास तो किये जा रहे है लेकिन कोरोनॉ के कारण हो रही मौतों को रोकने में वो काफी नही है, जबकि सत्य यह है कि टेस्टिंग बढ़ाकर कोरोना से होने वाली मौतों को नहीं रोका जा सकता। टास्क फोर्स ने अपने बयान में स्पष्ट भी किया है कि दूसरे देशों के मामलों को देखने से यह प्रतीत होता है कि टेस्टिंग बढ़ाकर कोरोना से होने वाली मौतों को नहीं रोका जा सकता। उदाहरणार्थ जापान और श्रीलंका जैसे देशों में कम जांच के साथ ही मृत्युदर भी बहुत कम है।

आइपीएचए के अध्यक्ष डॉ. संजय राय का कहना है कि अभी रोजाना प्रति 10 लाख आबादी पर 140 जांच और संक्रमण दर पांच फीसद से कम को मानक तय किया गया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बेतरतीब ढंग से जांच की जा रही है। इससे देश पर आर्थिक बोझ तो बढ़ ही रहा है और कोई सुखद परिणाम भी नही दिख रहे है। अतः जांच का तरीका और उद्देश्य यह होना चाहिए जिससे कोरोना के प्रसार को रोकने में मदद मिले और मृत्यु दर में कमी लायी जा सके।

स्वतंत्र विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को आम जनता की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपायों के बारे में जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।
लोग प्रतिदिन दो बार योग प्राणायाम स्वसन संबंधी व्यायाम करें उचित पौष्टिक आहार ग्रहण करें गिलोय आदि जड़ी बूटियों आयुर्वेदिक उत्पादों का इस्तेमाल करके प्रतिरोधक क्षमता में विकास करके इसके साथ ही मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का गंभीरता से पालन करके ही कोरोना वायरस को प्रभावी जवाब दे सकते हैं।

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