महात्मा गांधी कल भी प्रासंगिक थे आज भी प्रासंगिक हैं और आने वाली शताब्दियों तक प्रासंगिक रहेंगे- मनोज सिन्हा The Indian opinion

बाराबंकी। हमारे रहने का तरीका क्या है। हमारे रहने का माध्यम क्या है, हमारे कहने और करने में भेद कितना है। हमारे कहने में समर्पण कितना है। यही सब बातें और हमारे साझा किए विचारों को अमर कर जाते है। जीवंत कर जाते है। इसलिए गांधी आज भी जिन्दा है।
यह बात गांधी भवन में गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट द्वारा आयोजित गांधी सप्ताह के शुभारम्भ के मुख्य अतिथि पूर्व केन्द्रीय मंत्री मनोज सिन्हा ने कही। गांधी सप्ताह का शुभारम्भ करने से पहले मनोज सिन्हा ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्र्यापण किया। तदोपरान्त गांधी भवन में नवनिर्मित ‘बा-बापू अतिथि गृह’ का लोकार्पण किया। इसके बाद दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत की।
श्री सिन्हा ने अपने उदबोधन में कहा कि महात्मा गांधी नैतिक साधन पर बल देते थे। उसी से बेहतर साध्य की प्राप्ति सम्भव है। देश की समस्याओं का समाधान गांधी के विचारों से मिल सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महात्मा गांधी के दर्शन से समाज को आइना दिखाया है। गांधी कल भी प्रसांगिक थे, गांधी आज भी प्रसांगिक है और गांधी आने वाली शताब्दियों तक प्रसांगिक बने रहेंगे। सभा की अध्यक्षता कर रही पूर्व कुलपति पद्मश्री प्रो. सरोज चूड़ामणि गोपाल ने कहा कि महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्याग्रह से देश में नई परम्परा का सृजन किया। उनके क्रियाकलापों में भारत की वास्तविकता झलकती है। गांधी हमारे पूर्वज ही नहीं आदर्श भी है।

विशिष्ट अतिथि मधुसूदन दीक्षित ने कहा कि महात्मा गांधी के विचारों के छाप विश्वव्यापी है। वह भारत के ही नही बल्कि पूरे विश्व के प्रतीक हैं। वे मानवता के पर्याय हैं। महात्मा गांधी एक मात्र उस प्रखर रोशनी की तरह हैं जो भविष्य का रास्ता दिखाता है।
आचार्य नरेन्द्र देव समाजवादी संस्थान के संयुक्त सचिव नवीन चन्द्र तिवारी ने कहा कि महात्मा गांधी को उनके जीवन में भी पूरी तरह नहीं समझा गया। उनके न रहने पर यह बहस छिड़ी है कि गांधी का कौन सा पक्ष ऐसा है जिसे आजादी के बाद सबसे पहले अपनाया जाना चाहिए। डाॅ. लोहिया ने तीन गांधीवादियों की बात कही है- सरकारी, मठी और कुजात गांधीवादी। आजादी के बाद गांधी की संघर्ष गाथा को डा. लोहिया ने नई भाषा दी। उसे उन्होंने राजनीति में उतारा। फावड़ा और जेल उस राजनीति के प्रतीक बने।
संयोजक राजनाथ शर्मा ने कहा कि गांधी के बताये रास्ते पर चलना ही व्यक्ति के व्यक्तित्व को दर्शाता है। जिससे व्यक्ति के नैतिक मूल्यों को सुरक्षित करने की परिकल्पना की जा सकती है।


इस दौरान पूर्व केन्द्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को दीन दयाल उपाध्याय सदभावना अवार्ड, पद्मश्री प्रो0 सरोज चूड़ामणि गोपाल को डा. सम्पूर्णानन्द शिक्षा अवार्ड, समाजसेविका अनीता मिश्रा को अरुणा आसफ अली अगस्त क्रांति अवार्ड, महेन्द्र कुमार गर्ग को आनन्द नारायण मिश्रा जनसेवा अवार्ड, समाजसेवी विनोद मिश्रा को एमआर मोरारका सदभावना अवार्ड, जिला पंचायत सदस्य विजय लक्ष्मी वर्मा को मुकेश सिंह सदभावना अवार्ड तथा रेलवे बोर्ड के पूर्व टैªफिक सदस्य कमलेश कुमार श्रीवास्तव, बालाजी गुु्रप आॅफ इंस्टीट्यूशन के प्रबंधक अंकुर माथुर, वरिष्ठ अधिवक्ता राजा सिंह को सम्मानित किया जायेगा।
सभा का संचालन कृष्ण कुमार द्विवेदी ने किया। सभा के अन्त में गांधी जयन्ती कार्यक्रम के अध्यक्ष मो. उमेर किदवाई ने आये हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया। मुख्य अतिथि मनोज सिन्हा का नगर पंचायत बंकी चेयरमैन प्रतिनिधि रोहित सिंह, समाजसेवी मनीष सिंह, देवेन्द्र प्रताप सिंह ‘ज्ञानू‘, रंजय शर्मा ने माला पहनाकर जोरदार स्वागत किया।
इस मौके पर जिला बार एशोसिएशन के अध्यक्ष भरत सिंह यादव, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एन.एन. अवस्थी, जीमयत उलेमा ए हिन्द के पूर्व जिलाध्यक्ष मौलाना मो0 फहीम अहमद, सुधीर सिंह सिद्धू, देवेन्द्र प्रताप सिंह ‘ज्ञानू‘, एम.ए.हुसैन, विनय कुमार सिंह, अशोक शुक्ला, मृत्यंुजय शर्मा, मोहम्मद अहमद शहंशाह, हुमायूं नईम खां, तौकीर कर्रार, धनंजय शर्मा, संतोष शुक्ला, यादवेन्द्र सिंह यादव, वरुण कात्यायन, एसएम साहिल, पी.के. सिंह, सत्यवान वर्मा, उदय प्रताप सिंह, अजीज अहमद, असलम बबलू, समीर सिंह, अनिल श्रीवास्तव, विजय कुमार सिंह मुन्ना, पाटेश्वरी प्रसाद, आदित्य यादव, कपिल यादव, मनोज पाठक, सोनू यादव सहित कई लोग मौजूद रहे।