*महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज में मनाई गई महाराणा की जयंती ..मातृभूमि और स्वाभिमान की रक्षा के लिए घास की रोटियां खा कर वीर महाराणा ने आदिवासियों और लोहारों के सहयोग से अकबर को कराया था वीरता का एहसास..पूर्व एमएलसी समेत सैकड़ों गणमान्य लोगों ने दी श्रद्धांजलि ..विद्यार्थियों को भी मिला सम्मान*


रिपोर्ट -रंजीत सिंह
(माती)बाराबकी । बुधवार को देवा शिक्षा क्षेत्र के अंतर्गत महाराणा प्रताप इण्टर कॉलेज बरेठी मे परमराष्ट्र भक्त अदम्य साहस,वीरता व स्वाभिमान के प्रतीक महाराणा प्रताप जी की 479वी जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दीपक कुमार जी ने बच्चों को सम्बोधित करते हुए बताया कि इनका जन्म9 मई1540 को सिसोदिया राजवंश कुम्भलगढ़ के चितौड़गढ़ में हुआ था।इनके पिता का नाम महाराणा उदय सिंह व माता का नाम राणी जीवत कँवर जी था।इनका नाम भारतीय इतिहास में वीरता व दृढ़ प्रण के लिए अमर है।इनके कवच भाला ढाल और तलवार का वजन207 किलो का था।अकबर ने कहा था कि अगर महाराणा प्रताप मेरे सामने झुकते हैं तो आधे हिन्दुस्तान के वारिस होंगे पर बदसाहत अकबर की रहेगी परन्तु इन्होंने घास की रोटियां खाना स्वीकार किया परन्तु अकबर के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।इनका प्रिय घोड़ा चेतक था जिसकी टांग टूट जाने के बाद भी26 फ़ीट की दरिया पार कर गया था। इनका शासनकाल मात्र 29 वर्ष रहा इनकी मृत्यु29 जनवरी1597 को हुई थी।कार्यक्रम की अध्यक्षतापूर्व सदस्य विधान परिषद हरगोविंद सिंह ने किया तथा विशिष्ट अतिथि,खण्ड शिक्षा अधिकारी देवा मन मोहन सिंह व प्रभारी निरीक्षक नरेंद्र सिंह व डॉ कैलाश शास्त्री ने विद्यालय के मेधावी छात्र छात्राओं जो हाई स्कूल व इंटरमीडिएट में ससम्मान उत्तीर्ण हुए सामिया सबा, आनन्द सिंह अथर्व सिंह, शालू यादव,चांदनी, अंजली, शालू यादव, ललिता यादव प्रिया सिंह,तौहीद, आराधना,शिल्पी,सोनम यादवआयुष प्रताप,भूपेंद्र सिंह, जितेंद्र यादव, अवधेश,शुभम सिंह, यादव आदि को माल्यार्पण करके व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस मौके पर मुनेश्वर बक्स वर्मा, धर्म कुमार यादव, शिव हरि वर्मा,उमेश कुमार शास्त्री, डॉ वीर बहादुर वर्मा, लक्ष्मी चंद यादव, अमित श्रीवास्तव,देश बंधु यादव,डी डी आर्या, राघवेंद्र प्रताप सिंह, राम आसरे सिंह, हरिवंश सिंह,दान बहादुर सिंह, डॉ प्रीती श्रीवास्तव,अंजना मिश्रा व दर्जनों प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक गण उपस्थित रहे।कार्यक्रम के अंत मे विद्यालय के संस्थापक योगेंद्र बहादुर सिंह विसेन ने सभी आगन्तुकों का आभार व्यक्त किया।