क्या एक युवा महिला आईपीएस के अहंकार या फिर गलत कार्य शैली का शिकार हो कर मौत को गले लगा बैठा राजधानी लखनऊ का एक नौजवान ?
यह बड़ा सवाल उत्तर प्रदेश पुलिस और देश के उन लोगों के दिलों को बेचैन कर रहा है जिन्होंने मीडिया के माध्यम से विशाल सैनी नाम के एक नौजवान के आत्महत्या की दुखद खबर को जाना हैl विशाल सैनी सचिवालय में कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर एक आईएएस अफसर के कार्यालय में ड्यूटी कर रहे थे।
दरअसल 13 फरवरी को लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट में तैनात युवा महिला आईपीएस अधिकारी एडीसीपी उत्तरी प्राची सिंह के नेतृत्व में पुलिस की टीम ने कार्यवाही की थी। बताया जा रहा है कि लखनऊ में कई स्पा पार्लर में छापेमारी की थी पुलिस के प्रेस नोट के अनुसार इस कार्रवाई में कई युवक-युवतियों को कथित रूप से आपत्तिजनक वस्तुओं के साथ गिरफ्तार किया गया था पुलिस विभाग के प्रेस नोट में यह बात कही गई है कि स्टाइल इन ब्यूटी नाम के स्पा ब्यूटी पार्लर में विशाल सैनी समेत चार युवकों और पांच युवतियों को गिरफ्तार किया गया था और सभी के विरुद्ध अनैतिक देह व्यापार अधिनियम में कार्यवाही की गई थी
विशाल सैनी नामक युवक ने कथित तौर पर पुलिस की गलत कार्रवाई प्रताड़ना और अपमान से दुखी होकर समाज में अपनी छवि खराब होने के चलते ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली।
आत्महत्या के पहले उसने पुलिस को फोन करके सूचना भी दी लेकिन पुलिस के पहुंचने के पहले ही उसने मौत को गले लगा लिया उसके पास से बरामद एक प्रेस नोट में लखनऊ पुलिस की आईपीएस प्राची सिंह पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं और उन्हें अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया गया है।
प्रेस नोट में मृतक ने यह कहा है कि तारीफ और प्रमोशन पाने के चक्कर में उसे फर्जी मुकदमे में फंसाया गया है जिसकी वजह से उसकी बहुत बदनामी हुई है और वह अपने परिवार के लोगों से आंखें नहीं मिला पा रहा इसीलिए मौत को गले लगा रहा है। विशाल सैनी ने मरने के पहले अपने माता पिता को लेकर भी चिंता जताई है और उनसे कहा है कि एलआईसी के पैसे निकलवा कर अपना घर बनवा लें और अपना ख्याल रखें।
कुल मिलाकर इस दुखद घटना ने लोगों को अंदर तक झकझोर दिया है और इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
वहीं लखनऊ पुलिस ने बहुत तेजी से बिना किसी निष्पक्ष जांच के यह फैसला सुना दिया कि आईपीएस प्राची से निर्दोष हैं और मौत को गले लगाने वाला देश का एक नौजवान मरने के पहले झूठ बोल रहा है। इस बात को आधार बनाया गया है कि पुलिस कार्रवाई को लेकर विशाल सैनी या उनके परिजनों ने कोई लिखित शिकायत नहीं की थी
यह कोई पहली बार नहीं है जो पुलिस उत्पीड़न से परेशान होकर किसी ने मौत को गले लगा लिया हो। हमारे देश प्रदेश में फर्जी मुकदमों से परेशान होने वाले लोगों की संख्या बहुत बड़ी है और जब सेक्स रैकेट में शामिल होने का आरोप पुलिस के द्वारा किसी को लगाया जाता है तो निश्चित तौर पर ही मामला बहुत गंभीर हो जाता है और यदि वह व्यक्ति निर्दोष हो तो उसकी सामाजिक स्थिति बहुत ही दयनीय हो जाती है।
यह घटनाक्रम भी बहुत दुखद है और इस मामले को बहुत ही संवेदनशीलता से देखने की जरूरत है। एक तरफ एक युवा आईपीएस अफसर हैं यदि आईपीएस प्राची सिंह ने कार्यवाही पूरी निष्पक्षता और ईमानदारी से की है तो फिर इस गलत आरोप से उनका मनोबल टूट सकता है लेकिन यदि उनकी कार्यवाही में कमी है और उनकी गलत कार्यवाही की वजह से एक निर्दोष नौजवान को मौत को गले लगाना पड़ा तो निश्चित तौर पर यह घटना पूरे पुलिस विभाग के लिए एक बड़ा कलंक है।
दीपक मिश्रा के साथ मनीष सिंह की रिपोर्ट