भारत के पड़ोसी देश म्यानमार में पिछले वर्षों में रोहिंग्या मुसलमानों और बहुसंख्यक बुद्धिस्ट समुदाय के बीच भीषण रक्तपात हुआ था जिसके बाद म्यानमार की सेना ने रोहिंग्या मुसलमानों और कथित आतंकियों के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया था इस अभियान के चलते लाखों मुसलमानों को पड़ोसी देश बांग्लादेश और भारत में भी शरण लेनी पड़ी थी ।
यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुआ था जिसके चलते म्यांमार की प्रधानमंत्री आंग सान स्यू की की काफी आलोचना भी हुई थी आरोप लगा था था कि उन्होंने सेना के कथित मुस्लिम विरोधी अभियान का मौन समर्थन किया था।
इस घटना के बाद से प्रधानमंत्री और सेना के बीच मतभेद चल रहे थे आज हुए एक नाटकीय घटनाक्रम में सेना ने म्यांमार के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति समेत सत्ताधारी दल के तमाम बड़े नेताओं को नजर बंद करते हुए म्यानमार में सैनिक शासन की घोषणा कर दी है।
जिसके बाद में अखबार में इंटरनेट और टेलीफोन सेवाओं पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है और पूरे देश में कड़ा सैनिक शासन लगा दिया गया है । सेना के प्रवक्ता ने कहा है कि फिलहाल 1 साल तक देश में सैनिक शासन रहेगा और हालात सुधरने पर एक साल बाद चुनाव कराने पर विचार किया जाएगा।
इस घटना के बाद में अनुवाद के लोगों में भय और चिंता का वातावरण बन गया है आज दिनभर लोग बैंकों में लाइन लगाकर अपनी जमा पूंजी निकालने की कोशिश करते रहे वहीं बाजारों में भी भयंकर खरीदारी हुई है अनिश्चितता की आशंका को देखते हुए लोग घरों में जरूरी सामान जमा कर रहे हैं और अपने परिवारों की सुरक्षा के लिए भी चिंतित हैं।
सेना ने लोगों से बेवजह चिंतित ना होने की बात कही है और पूरे देश में प्रशासन को अपने नियंत्रण में लेकर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है ।
भारत समेत तमाम पड़ोसी देशों ने म्यानमार की हालत पर नजर बनाई हुई है और वहां पर संवैधानिक व्यवस्था लागू रहने की कामना की है।
एजेंसी