लखनऊ : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को लखनऊ में बाबा साहब भीम राव अंबेडकर स्मारक और सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास किया। 5 दिन के अपने यूपी दौरे के अखिरी दिन राष्ट्रपति ने 20 मिनट तक भाषण दिया। इसमें बाबा साहब भीम राव अंबेडकर, भगवान गौतम बुद्ध से लेकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक के बारे में खुलकर बोले। 20 मिनट के अपने भाषण में राष्ट्रपति ने तीन बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और एक बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र किया। केंद्र और यूपी सरकार की तारीफ भी की।
राष्ट्रपति की स्पीच की 7 अहम बातें:
- राष्ट्रपति ने कहा, भगवान बुद्ध ने ‘भवतु सत मंगलम’ का मंत्र दिया था। बाबा साहब अंबेडकर इसे बार-बार दोहराते थे। वह इसको लेकर तर्क देते थे कि लोकतंत्र में हर सरकार का ये दायित्व और कर्तव्य है। सरकारों का यही मिशन होना चाहिए कि उनकी प्रजा में सबकी भलाई हो। राजनीतिक दल इसे अलग नाम दे सकते हैं। जैसे… सबका विकास, सबका विश्वास। मुझे खुशी है कि वर्तमान सरकार ‘भवतु सत मंगलम’ के मूल उद्देश्य को साकार कर रही है।
- महामहिम ने अपने भाषण में डॉ. अंबेडकर स्मृति और सांस्कृतिक केंद्र के शिलान्यास के लिए आज का समय चुनने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बधाई दी। बोले, आज के दिन का महत्व मुख्यमंत्री जी ने बताया। उन्होंने (सीएम योगी) बताया था कि आज के ही दिन 93 साल पहले डॉ. अंबेडकर ने समता मूलक समाज की परिकल्पना की थी।
हम सभी ने देखा कि इस समाज की रचना के लिए बाबा साहब ने अपना पूरा जीवन दे दिया। मुख्यमंत्री जी और उत्तर प्रदेश सरकार को बधाई देता हूं कि उन्होंने इस कार्यक्रम के लिए आज का दिन ही चुना। - राष्ट्रपति कोविंद ने अपने भाषण में दिसंबर 2017 के एक कार्यक्रम का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में अंबेडकर इंटरनेलशन सेंटर की स्थापना की। इस सेंटर की स्थापना का उद्देश्य देश-विदेश में बाबा साहब के विचारों का प्रचार-प्रसार करना था। जिस सोच से इंटरनेशनल सेंटर की स्थापना हुई, उसी परंपरा को उत्तर प्रदेश सरकार ने आगे बढ़ाया। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार की जितनी भी तारीफ की जाए वो कम है। मैं राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री को साधुवाद देता हूं।
- राष्ट्रपति ने बताया कि आजादी की लड़ाई के दौरान भी भेदभाव का प्रदर्शन होता था। सौहार्द पूर्ण माहौल बनाने के लिए बहुत सारे नेता कहते थे कि हम लोग सबसे पहले भारतीय हैं। बाद में हिंदू-मुस्लिम हैं। ये उनकी अच्छी सोच थी, लेकिन बाबा साहेब इससे कहीं आगे सोचते थे। वो कहते थे कि नहीं… हम सब पहले भारतीय हैं, बाद में भारतीय हैं और अंत में भी भारतीय ही हैं। मतलब बाबा साहब के दिल और दिमाग में कभी भी जाति, धर्म और संप्रदाय का कोई स्थान नहीं था।
- महामहिम ने कहा कि बाबा साहब भीम राव अंबेडकर आधुनिक भारत के निर्माण में महिलाओं को अधिकार दिलाने के पक्षधर रहे। उन्होंने कई देशों से पहले भारतीय महिलाओं को वोटिंग का हक दिलाया। आज भी महिलाओं को समानता, विवाह, संपत्ति समेत अन्य कई मामलों में अधिकार देने की परंपरा को बढ़ाया जा रहा है।
- राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ‘बाबा साहब के ‘विजन’ में चार बातें सबसे महत्वपूर्ण रहीं हैं। ये चार बातें हैं- ‘नैतिकता’, ‘समता’, ‘आत्म-सम्मान’ और ‘भारतीयता’। इन चारों आदर्शों तथा जीवन मूल्यों की झलक बाबासाहब के चिंतन एवं कार्यों में दिखाई देती है।
वह एक शिक्षाविद, अर्थ-शास्त्री, विधिवेत्ता, राजनीतिज्ञ, पत्रकार, समाज-शास्त्री और समाज सुधारक तो थे ही, उन्होंने संस्कृति, धर्म और अध्यात्म के क्षेत्रों में भी अपना अमूल्य योगदान दिया है। - राष्ट्रपति ने कहा, ‘बाबा साहब का लखनऊ से बहुत लगाव था। उनके गुरु समान बोधानंद जी और दीक्षा देने वाले भगंत प्रज्ञानंद जी यहीं के थे। उनसे मिलने के लिए बाबा साहब हमेशा लखनऊ आते थे।’
राष्ट्रपति ने भारत रत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास किया। इसे राजधानी लखनऊ के ऐशबाग क्षेत्र में 1.4 एकड़ जमीन पर बनाया जाएगा। इस स्मारक और केंद्र में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की 25 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी। बाबा साहेब की पवित्र अस्थियों का कलश दर्शन के लिए स्थापित किया जाएगा। यहां पर पुस्तकालय, शोध केंद्र, 750 लोगों की क्षमता का अत्याधुनिक प्रेक्षागृह और आभासी संग्रहालय का निर्माण भी किया जाएगा। इसके अलावा डॉरमेट्री, कैफिटेरिया, भूमिगत पार्किंग सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं भी मिलेंगी। संस्कृति विभाग की ओर से अंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केंद्र का निर्माण कराया जाएगा।
राष्ट्रपति ने CM योगी को अपनी स्व लिखित किताब ‘लोकतंत्र के स्वर’ भेंट की।
राष्ट्रपति के उत्तर प्रदेश के पांच दिवसीय दौरे का आज आखिरी दिन है। शाम 4:30 बजे रामनाथ कोविंद परिवार के साथ विशेष विमान से दिल्ली वापस लौट जाएंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद प्रेसिडेंशियल ट्रेन से 25 जून को दिल्ली से अपने पैतृक गांव कानपुर देहात पहुंचे थे। 26-27 जून को राष्ट्रपति ने कानपुर में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया था। इस बीच दो कार्यक्रमों में उन्होंने अपना संबोधन दिया था। इसके बाद वह अपने मित्र केके अग्रवाल से भी मिलने गए थे। 28 जून को राष्ट्रपति प्रेसिडेंशियल ट्रेन से कानपुर से लखनऊ पहुंचे थे।
रिपोर्ट – आर डी अवस्थी