वेतन समेत सभी सरकारी खर्चों में 60% तक कटौती करके गरीबों के जीवन रक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए!

Public opinion: Deepak Mishra

कहा जा रहा है कि कोरोनावायरस से पैदा हुए गंभीर हालात अगले कई महीनों तक मानवता को परेशान करेंगे यह समय किसी भी अनुमान से ज्यादा भी बढ़ सकता है। ऐसी हालत में बेरोजगार और गरीब कैसे जिंदा रहेंगे यह बड़ा सवाल है?  और इससे भी बड़ा सवाल है कि सरकार के पास देश की बड़ी आबादी को भुखमरी और बीमारी से बचाने के लिए कितने महीनों का संसाधन उपलब्ध है?

कोरोना की वजह से भारत समेत तमाम देशों की अर्थव्यवस्था भी बर्बाद हो रही है और सरकारें भी कंगाल हो रही है ऐसी स्थिति में नागरिकों की जीवन रक्षा कैसे होगी यह एक बड़ा सवाल है बड़ी संख्या में संक्रमण फैलने के बाद बड़े पैमाने पर टेस्टिंग और पीड़ित लोगों के इलाज की बेहतर व्यवस्था की जरूरत होगी इसके अलावा बेरोजगारी और गरीबी बढ़ने के चलते करोड़ों की आबादी को भोजन उपलब्ध कराना सबसे बड़ी चुनौती होगी।

स्वतंत्र विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसे में यह जरूरी है कि अगले कई महीनों तक लोगों के जीवन रक्षा के अधिकार को सुनिश्चित किया जाए और इसके लिए सभी सरकारी लोक सेवकों चाहे वह निर्वाचित हो अथवा चयनित उनको केवल उतना ही वेतन सरकारी कोष से दिया जाए जितना उनके और उनके परिवारों के जीवन निर्वहन के लिए आवश्यक हो हर तरह के सरकारी खर्चों में कम से कम 60 फ़ीसदी की कटौती करके एक बड़े आकार का आपातकालीन कोष तैयार किया जाए जिसके जरिए अगले कई महीनों तक देश की बड़ी आबादी को स्वास्थ्य सुविधाएं और भोजन की व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।

जानकारों के मुताबिक यदि सरकार ऐसा कर पाने में विफल रही तो आने वाले महीनों में भारत अपने इतिहास की सबसे कठिन दौर से गुजरने के लिए बाध्य होगा। बीमारियों और भूखमरी का तांडव भारत के लोगों को देखने को मिलेगा, लेकिन हमें उम्मीद है ऐसा नहीं होगा और हमारी सरकारें जरूर कुछ कठोर फैसले लेंगी।

लोगों ने यह भी देख लिया है की गरीबों और मजदूरों को सुरक्षित यातायात की सुविधा देने में ही सरकार पस्त हो गई तो फिर इस बात का भी अंदाजा लगाया जा सकता है के अगर ऐसे ही हालात अगले कई महीनों तक बने रहे तो फिर भारत में स्वास्थ्य सेवाओं और भोजन की उपलब्धता को लेकर संघर्ष के हालात हो सकते हैं।

इसलिए सरकार को सभी कर्मचारियों अधिकारियों से बात करके अगले कम से कम 6 महीने के लिए देश में मेडिकल और इकोनॉमिकल इमरजेंसी यानी स्वास्थ्य और आर्थिक आपातकालीन परिस्थितियों के लिए विशेष व्यवस्थाएं  लागू करनी चाहिए।
हर तरह के सरकारी कर्मचारियों लोक सेवकों को अगले कम से कम 6 महीने के लिए न्यूनतम आवश्यक जीवन निर्वहन धनराशि उपलब्ध करानी चाहिए, वेतन का अधिकार अस्थाई रूप से निलंबित करना चाहिए और देश को इस बड़े संकट से उबारने के लिए कर्मचारियों, नेताओं और पूरे देश के सहयोग से एक बड़े आपातकालीन कोष अथवा बजट की व्यवस्था करनी चाहिए जिससे देश के किसी भी परिवार को पैसों की कमी अथवा भोजन और दवा की कमी की वजह से अपनी जान ना गवानी पड़े।


सभी के समन्वित प्रयास से देश इस आपदा से विजय हासिल करें और जब हालात सामान्य हो जाए तो लोक सेवकों के वेतन एरियर का भुगतान उनके खातों में समायोजित कर दिया जाए। सवा सौ करोड़ आबादी वाले भारतीय लोकतंत्र ने यदि आज बड़े संकट का कुशलता से सामना कर लिया तो फिर इसके बाद निश्चित ही एक सुनहरा भविष्य भारत की प्रतीक्षा करेगा।

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