*सियासत साजिश और भावनाएं ..अपनों की दूरी से भावुक हुए शिवपाल, दिल के दर्द को कविता के शब्दों में पिरोया मंच पर कविता के द्वारा अपना दर्द बयान किया..” द इंडियन ओपिनियन” के लिए मोहम्मद शकील की रिपोर्ट में देखिए “कवि शिवपाल” के जज्बात…*



देखिए शिवपाल सिंह की भावना पूर्ण कविता ,कवि के रूप में अपने दर्द को किया बयां

कवि बने शिवपाल….
शिवपाल यादव ने खुद एक कवि की भूमिका में कविता पाठ करते हुए मुलायम सिंह यादव के साथ जीवन भर बिताए गए अपने समय और समाजवादी पार्टी के लिए अपने योगदान की चर्चा की|

कविता में किया अपने दर्द को बयान…

साथ ही समाजवादी पार्टी में हुई अपनी उपेक्षा और अपने अपमान के दर्द को भी बयान कियाl वही इस मौके पर शिवपाल सिंह ने समाजवादी पार्टी के व्यवहार का जो दर्द मिला उसे कविता के रूप में नेता जी के लिये अपनी कविता पढ़कर कर किया बयां ..

भावना पूर्ण शिवपाल की कविता…

“कि मैंने क्या-क्या किया कैसे किया यह सबको पता है किसी से क्या कहूं होकर बड़ा साये मैं चला जैसे ढाला वैसे ढला भोर का काला घना है मैं तब भी ना डरा धूप में बरसात में काली अंधेरी रात में संग संग चलो दुश्मन से लड़ा
हूँ आज भी उनके संग उनके खड़ा अब और क्या करूं मैं वह मंजर याद है कुचला भी में गया रौंदा भी मैं गया क्या अपराध था यही अपराध था कि मैं उनके साथ खड़ा था और क्या क्या साहू मैं या चुप रहूं

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