सूचना विभाग के लिए योगी जी ने अवनीश से बेहतर नवनीत को क्यों माना?

योगी सरकार में सबसे ताकतवर अफसर माने जाने वाले एसीएस अवनीश अवस्थी को सूचना विभाग से हटा दिया गया है और यह महत्वपूर्ण विभाग अब बसपा और सपा सरकारों में महत्वपूर्ण और चर्चित रहे वरिष्ठ आईएएस नवनीत सहगल को सौंप दिया गया है।

पिछली सरकारों में नवनीत सहगल को सरकार का मीडिया मैनेजर भी कहा जाता था उन्हें काफी होशियार और ताकतवर अफसर माना जाता है और यह भी माना जाता है की सभी प्रमुख मीडिया हाउस में उनकी मजबूत दखल है पत्रकारों से वह निजी तौर पर संबंध बनाकर रखते हैं इसलिए पत्रकार उनके संबंधों का लिहाज करते हैं और सरकारों के खिलाफ बड़ी बड़ी खबरों में नरमी दिखा देते हैं ऐसी ही खासियत की वजह से नवनीत सहगल बसपा सरकार में मायावती के प्रमुख सचिव सूचना थे और सपा सरकार में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी उन्हें सूचना विभाग का प्रमुख सचिव बनाया था और अब योगी जी ने भी उन्हें मायावती और अखिलेश यादव का अनुसरण करते हुए सूचना विभाग का मुखिया बना दिया है।

दरअसल सूचना विभाग का भारी भरकम बजट होता है जिसके जरिए तमाम चैनलों और अखबारों को विज्ञापन मिलता है कई बार सरकार से ज्यादा विज्ञापन हासिल करने के चक्कर में कुछ चैनल और अखबार अपनी तरीके से दबाव बनाते हैं खबरों में भी मिर्च मसाला लगाकर पेश किया जाता है जिससे सरकार दबाव में आ जाए और ज्यादा विज्ञापन मिलने लगी अवनीश अवस्थी को एक ऐसे अवसर के रूप में जाना जाता था जो किसी दबाव में काम नहीं करते थे राजधानी लखनऊ से जुड़े कई पत्रकारों ने उन्हें दबाव में लेकर मन चाहे काम कराने चाहे लेकिन वह वही करते थे जो उन्हें सही लगता था यही वजह है कि कुछ ताकतवर पत्रकार उन्हें हटवाने की जुगत में लगे थे नेताओं और दूसरे अफसरों से मिलीभगत करके उनके खिलाफ माहौल भी बनाया जा रहा था।

अवनीश अवस्थी के आलोचक लगभग वही लोग थे जो नवनीत सहगल के प्रशंसक हैं। मीडिया और सरकार की एक लॉबी लंबे समय से नवनीत सहगल को ताकतवर बनाने के लिए अपने एजेंडे पर काम कर रही थी यह वही लोग हैं जिन्होंने सपा और बसपा सरकार में भी नवनीत सहगल के जरिए सरकार से फायदा लिया एक बार फिर ऐसे लोगों ने जब सरकार को आपदा में देखा तो अपने लिए अवसर तलाश किया।
पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश में कहीं कोविड-19 तो कहीं कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है मीडिया में भी सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं ऐसे में यह माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री और सरकार कहीं ना कहीं दबाव में है और यह फैसला भी ऐसे ही दबाव भरे माहौल में किया गया है।

सूचना विभाग के मुखिया के तौर पर बेहद विनम्र समझदार और चालाक अधिकारी की जरूरत होती है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि नवनीत सहगल का व्यक्तित्व करिश्माई है वह खुद से मिलने वाले हर व्यक्ति को संतुष्ट करने की कोशिश करते हैं। वैसे भी सूचना विभाग के मुखिया के लिए या जरूरी होता है कि वह छोटे बड़े सभी पत्रकारों का सम्मान करें सब को मैनेज करें क्योंकि कब कौन सा पत्रकार कौन सी बड़ी खबर को कैसी दिशा दे दे यह कोई नहीं जानता डिजिटल मीडिया के इस जमाने में केवल बड़े बैनर्स को साधने की कोशिश में कई बार सरकारों को बड़ा नुकसान हो जाता है क्योंकि जो काम बड़े-बड़े चैनल और अखबार नहीं कर पाते वह काम डिजिटल और सोशल मीडिया पर सक्रिय न्यूज़ पोर्टल कर देते हैं।

अवनीश अवस्थी शायद इसी मोर्चे पर मात खा गए और कई नाराज पत्रकारों ने उनके विरुद्ध लॉबी बना ली अब नवनीत सहगल को मुख्यमंत्री योगी ने यह जिम्मेदारी दे दी है तो यह देखने वाली बात होगी कि उत्तर प्रदेश सरकार को इस फैसले से कितनी राहत मिलती है। वही नवनीत सहगल से भी लोगों को बहुत अपेक्षाएं हैं क्योंकि अब माहौल बदल चुका है और मीडिया भी नए दौर में प्रवेश कर चुकी है।

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