1000 से ज्यादा परिवारों का भरोसा हमारी सबसे बड़ी पूंजी: राजीव कपूर

द इंडियन ओपिनियन के खास कार्यक्रम व्यक्तित्व विशेष में आज वाराणसी के उद्योगपति प्रतिष्ठित रियल एस्टेट कारोबारी राजीव कपूर का साक्षात्कार।

द इंडियन ओपिनियन के संवाददाता पुरुषोत्तम सिंह ने उनके जीवन से जुड़ी अनेक पहलुओं पर बातचीत की

वाराणसी में बेहतर काम के दम पर ग्राहकों का भरोसा जीत चुके कपूर बिल्डर का नाम ही काफी है। रियल स्टेट क्षेत्र में ग्राहकों के भरोसे पर खरे उतरे राजीव कपूर से आज होगी आपकी मुलाकात
द इंडियन ओपिनियन के खास कार्यक्रम व्यक्तित्व विशेष में।

— खास ब्यक्ति से मुलाकात के क्रम में इंडियन ओपिनियन की टीम आ पहुंची वाराणसी शहर के एक प्रतिष्ठित बिल्डर कपूर बिल्डर के एमडी राजीव कपूर के पास। पेश है राजीव कपूर से इंटरव्यू के खास अंश..

प्रश्न– राजीव कपूर जी सबसे पहले आप की शिक्षा दीक्षा कहां से हुई?

उत्तर— बेसेंट थियोसोफिकल से हाईस्कूल और इंटर की शिक्षा पूरी हुई, हरिशचंद्र डिग्री कालेज से बैचलर इन कामर्स की पढाई पूरी किया हिंदी मीडियम से पढाई करने का मुझे गर्व है।
पिताजी का सहयोग ब्यापार में शुरू से रहा मुझे इस बात का गर्व रहता है कि पिताजी के सहयोग से इस मुकाम पर पहुंच पाया हूं।

प्रश्न–2 राजीव जी आपका बचपन कैसा रहा किस तरह से आपका स्वभाव रहा?

उत्तर— मैं चूंकि घर में सबसे बड़ा था मेरे 2 छोटे भाई हैं बड़ा होने के चलते जिम्मेदारियां रहीं। नटखट होने का सवाल ही नहीं हैं. छोटे भाई बिल्कुल नटखट हैं.पिताजी की वजह से कम समय में बिजनेस में बैठ गया इसलिए ध्यान सारा बिजनेस में केंद्रित रहा।

प्रश्न–स्कूलिंग एजुकेशन में इंटर में आपका स्वभाव कैसा रहा?


उत्तर—दोस्तों के बीच में थोड़ा कम समय ब्यतीत कर पाया। पिताजी के साथ कम उम्र में ही बिजनेस में उतर गया. पिताजी से व्यवसाय की शिक्षा ही काम आ रहा है. मैने एमबीए नहीं किया लेकिन जो व्यवहारिक ज्ञान मिला वो एमबीए से बढकर रहा। प्रैक्टिकली मुझे व्यापार में सीखने को मिला। कम उम्र में सारा का सारा ध्यान व्यापार पर रहा।

प्रश्न— ग्रेजुएशन में आपका एजुकेशन कैसा रहा?

उत्तर– पढाई में मेरा हमेशा फ्रस्ट डिवीजन ही आया है. हाईस्कूल, इंटर, ग्रेजुएशन में फर्स्ट डिवीजन आया है.पढाई में जो एक निर्धारित समय देना चाहिए उसमें कहीं से कमी नहीं रखी। उसमें भी पिताजी का परिवार का मान सम्मान बढाया। व्यापार में समय देने के बाद भी फर्स्ट डिवीजन आया इससे मेरा भी हौसला बुलंद रहा। व्यापार और पढाई दोनों को अच्छे से पूरा किया।

प्रश्न— किन-किन खेलों में आपकी रुचि रही?


उत्तर- क्रिकेट में मेरी रुचि शुरु से ही रही .इनडोर गेम में शतरंज में रुचि रही.क्रिकेट को हमेशा देखने का रुझान रहता है. जिसका रुझान मुझे बचपन से रहा है.

प्रश्न– खाने में किस तरह के डिश पसंद हैं?


उत्तर—हमलोग पंजाबी हैं खत्री समाज से हैं. पंजाबी खाना पसंद है. मैं बेजेटेरियन हूं. तीखा और स्पाईसी खाना पसंद है।

प्रश्न– बिजनेस में आपका पहला अनुभव कैसा रहा?

उत्तर—पैरेंटल बिजनेस रहा सबसे पहले टायर की फैक्ट्री रही साथ ही घंटियों की फैक्ट्री रही.जिसमें उस समय 150 वर्कर काम किया करते थे.उसके बाद सीमेंट के ट्रेड में हमलोगों की फैमिली इंवॉल्व हुई गर्वमेंट की फैक्ट्री जब चुनार,डाला में थी उस समय ईस्ट यूपी के इकलौते हमलोग लाईसेंस होल्डर थे। तब सीमेंट फ्री होल्ड नहीं हुआ करता था।हाईस्कूल आते आते सीमेंट के 200 टन के सेल को 4000 टन तक पहुंचाया गया.अधिकारियों का एप्रीसेशन मिलता रहा. एक ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए अधिकारियों ने भरसक मदद की. 2004 आते-आते हायर सीमेंट सेलर डिस्ट्रीब्यूटर थे. हमें इस बात का गर्व महसूस होता था की कंपनी के नजर में हमारी बैल्यू शानदार थी. एक्सक्लुसिव डीलरशिप थी. इन सबके पिछे एक ही राज है अपना कर्म ,मेहनत और ईमानदारी.

प्रश्न– बिल्डर के क्षेत्र में कब और कैसे उतरे?


उत्तर– सबसे पहले सिगरा पर हमारी पहली बिल्डिंग बनी. 2004 में इस फिल्ड में कदम रखा. 1998 में कुछ ग्रुप के साथ हमने इंवेस्ट किया. इसके बाद हमने अपना प्रोजेक्ट खुद डेवलप किया. आज 26 प्रोजेक्ट पूरे कर चुके हैं. 1000 से ऊपर लोगों को घर दे चुके हैं. ये 1000 लोग हमारे परिवार हैं. आने वाले समय में कुछ नये प्रोजेक्ट लांच कर रहे हैं. लोगों को सस्ते में घर उपलब्ध करायेंगे. आने वाले समय में प्रिमियम सेगमेंट में घर उपलब्ध करायेंगे.

प्रश्न–आपके पहले बिजनेस का अनुभव कैसा रहा?


उत्तर– बहुत अच्छा रहा. इससे बहुत कुछ सीखने को भी मिला . समाज के हर तरह के व्यक्तित्व के लोगों से मिलना हुआ.जिस तरह से हमलोगों के ट्रेड में बहुत सारे डिपार्टमेंट जुड़े हुए हैं ऐसे में नीचे से लेकर ऊपर तक के लोगों को जानने का मौका मिला.रियल स्टेट में हर क्लास के लोगों को इंप्लाईज,वर्कर कांट्रेक्टर को साथ लेकर चलना होता है. इससे ये अनुभव मिला कि जीवनशैली बहुत आसान नहीं है. और अपने सिद्धांतों के खिलाफ जाकर कोई काम नहीं करना है.

प्रश्न—आज भी आप एक प्रिसिंपल को अपनाकर चल रहें है. वो क्या है?

उत्तर— कपूर बिल्डर नाम ही काफी है. नाम ही काफी है का अर्थ यह है कि हम अपने आप में मजबूत हैं. हमने किसी के साथ छल नहीं किया धोखा नहीं दिया ईमानदारी से अपनी बात रखी तो इसी बात बात को प्राऊड वे से कह सकता हूं कि नाम ही काफी है।

प्रश्न— कोरोनाकाल के बाद कैसा रहा रियल स्टेट का कारोबार? किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है?


उत्तर–व्यापार में उतार चढाव लगा रहता है. जो परेशान हैं अपने व्यक्तिगत कारणों से रहे. जरुरी नहीं कि आप सालभर चंगा व्यापार करें. उतार चढाव लगा रहता है.धैर्यता ही सफलता की कुंजी है..कोरोनाकाल में लोगों की मदद अच्छे स्तर पर किया गया.पैसा ही सबकुछ नहीं होता है.आज के समय आप कितने शोसल है ये मायने रखता है. मार्केट में अब बहुत सुधार हुआ है. लोगों को कोविड सिनेरियो में ये महसूस हुआ कि सबसे सेफ प्रापर्टी है। जो एक फिक्श इनकम का सहारा बन सकती है.

प्रश्न–आपके रोल माडल कौन हैं?


उत्तर—जो विवादों से नहीं घिरे रहे वो मेरे रोल माडल हैं.सचिन तेंदुलकर हमारे रोल माडल हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *