13 वर्ष के बाद केंद्रबिंदु में आया ब्राह्मण मतदाता, दांव पर है योगी सरकार, 2022 होगी अग्नि परीक्षा!

आलेख – आंनद मिश्रा,

लखनऊ, 24 अगस्त।  उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 में होने जा रहे आगामी विधानसभा चुनाव से पहले ब्राह्मण पॉलिटिक्स शुरू हो गई है, जिसके निशाने पर सुबह के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। लगभग 13 वर्ष बाद बीते 2007 से अभी तक ब्राह्मण मतदाता की चर्चा नहीं हुई थी जो अब जोर पकड़ रही हैl 2007 के बाद अब 2022 में ब्राह्मण मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका में आता दिख रहा है।

वर्ष 2007 में ब्राह्मण मतदाताओं की भूमिका से बहुजन समाज पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार प्रदेश में आई थी। तब बहुजन समाज पार्टी ने ब्राह्मण मतदाताओं को रिझाने के लिए अपने पार्टी के प्रत्याशी के रूप में ज्यादा से ज्यादा ब्राह्मणों को टिकट दिया था और पार्टी की तरफ से सतीश चंद्र मिश्रा को सेनापति बना दिया गया था और सोशल इंजीनियरिंग की चर्चा हुई थी हिंदू धर्म के सभी जातियों को देखते हुए बसपा ने पूर्ण बहुमत की सत्ता हासिल कर ली थी। वह अलग बात है कि सरकार बनने के बाद सतीश चंद्र मिश्रा के उपमुख्यमंत्री या गृह मंत्री न बनाए जाने से प्रदेश का ब्राह्मण मतदाता नाराज हो गया था और 2012 के चुनाव में ब्राह्मण समाज ने बसपा से दूर होकर सपा के युवा नेतृत्व को आशीर्वाद दिया। इसके बाद समाजवादी पार्टी के युवा चेहरे अखिलेश यादव को इस समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री बनाया था।

प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त तेवर के व्यक्तित्व के कारण मौजूदा यूपी पुलिस विभाग अपराधियों के विरुद्ध सख्त रवैया अपनाया हुआ है। इसी दौरान यूपी पुलिस के द्वारा ब्राह्मण आरोपियों एवं माफियाओं पर शिकंजा कसने का दौर चल रहा है, जिसके कारण ब्राह्मण समाज के भीतर पैठ रखने वाले लोगों के निशाने पर मुख्यमंत्री आ गए हैं।

ब्राह्मणों के बीच पैठ रखने वालों का दो टूक कहना है कि प्रदेश के भीतर उन माफियाओं पर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है गैर ब्राह्मण समाज से आते हैं या फिर जो  क्षत्रिय जाति से आते हैं। इतना ही नहीं छोटे-छोटे मामलों में फंसाकर ब्राह्मणों को परेशान किया जा रहा है जिन ब्राह्मणों को आपराधिक मामलों में कोर्ट से राहत मिल चुकी है उन्हें भी पुलिस परेशान कर रही है जानबूझकर ब्राह्मणों को पूरे प्रदेश में कमजोर किया जा रहा है।

छोटे-छोटे मामलों में फंसाकर तमाम ब्राह्मण अधिकारियों को निलंबित भी किया जा रहा है जेल भी भेजा जा रहा है। पावर कारपोरेशन के पूर्व एमडी एपी मिश्रा जेल में है, जबकि उन्हीं आरोपों में तत्कालीन चेयरमैन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है उन्हीं आरोपों में अन्य अधिकारी मौज काट रहे हैं और बुजुर्ग एपी मिश्रा जेल में हैं।

उन्नाव के डीएम देवेंद्र पांडे को निलंबित करने का मामला भी चर्चा में है इसी प्रकार कई अच्छी छवि के ब्राह्मण अधिकारी सरकार में हाशिए पर हैं या फिर जांच और कार्रवाई का सामना कर रहे हैं।

समाज को दिखाने के लिए सरकार ने चीफ सेक्रेटरी प्रिंसिपल सेक्रेट्री होम और डीजीपी की कुर्सी पर ब्राह्मण अधिकारियों को बैठाया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक ये अधिकारी किसी ब्राह्मण की कुछ भी नहीं सुनते, ब्राह्मणों का कोई काम नहीं करते और सिर्फ ब्राह्मणों का मुखौटा बने हुए हैं वास्तव में ब्राह्मण समाज सरकार में हाशिए पर है।

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी की पहले भी उत्तर प्रदेश में सरकार बनी है। पहले भी क्षत्रिय जाति से मुख्यमंत्री बनाया गया है। पूर्व की भारतीय जनता पार्टी की सरकारों में राजनाथ सिंह एक बड़े क्षत्रिय नेता के रूप में जाने जाते रहे हैं लेकिन उन्हें सभी जातियों का समर्थन प्राप्त हुआ है। यही कारण रहा है कि वह देश में उच्च राजनीतिक पदों तक पहुंच सके हैं। वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में उन पर एक तरफा कार्रवाईओं के आरोपों की झड़ी लगी हुई है। जिससे उनके भविष्य की राजनीति को भी संकट बताया जा रहा है।

उम्मीद है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जो कि हिंदू धर्म के बड़े पीठाधीश्वर भी हैं वह समस्त हिंदुओं को साथ लेकर चलने का प्रयास करेंगे ब्राह्मणों का भी असंतोष दूर करेंगे और उत्तर प्रदेश में वास्तविक राम राज्य की स्थापना का प्रयास करेंगे।

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