CAA हिंसा! सत्ता की मलाई खाने वाले बीजेपी के मुस्लिम लीडर फेल,मोहसिन रजा,मुख्तार अब्बास,सैयद शाहनवाज मुसलमानों में नहीं जगा पाए “बीजेपी का विश्वास”! The Indian opinion

नागरिकता कानून संशोधन के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में जिस तरह से मुसलमानों की नाराजगी बढ़ती जा रही है और बहुत से मुस्लिम संगठन उग्र और हिंसक प्रदर्शन पर उतारू हो गए हैं, विपक्षी दल भी मुसलमानों के बीच भय और शंका फैलाने वाले अपने बयानों से आग में घी का काम कर रहे हैं, इसके बाद बीजेपी कि मुस्लिम लीडरशिप की यह जिम्मेदारी बनती थी कि वह आगे आकर मुसलमानों के बीच जा जा के उन्हें नए कानूनी प्रावधानों की सही जानकारी देते और उनके दिल में फैलाई जा रही गलतफहमी को दूर करते, जिस डर और असुरक्षा की वजह से वह सड़कों पर आ रहे हैं उसके बारे में उन्हें इत्मीनान दिलातेl
लेकिन सत्ता की मलाई खाने वाले बीजेपी के मुस्लिम लीडर इस मामले में पूरी तरह से फेल साबित हुए हैंl

उत्तर प्रदेश , नई दिल्ली, पश्चिम बंगाल के के साथ-साथ देश के लगभग हर जिले में भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा संगठन कायम है जहां भाजपा की सरकार है वहां मुस्लिम नेताओं को सरकार में बड़े पद भी दिए गए हैंl
केंद्र की सरकार में मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और सैयद शाहनवाज हुसैन बड़े मजबूत माने जाते हैंl इसके पहले चर्चित मुस्लिम पत्रकार एमजे अकबर भी केंद्र की सरकार में मंत्री लेकिन सारे लोगों ने साधारण मुसलमानों के साथ अपना और अपनी पार्टी भाजपा का भरोसा कायम करने के बजाय सत्ता के सुख और सामान्य सरकारी कामकाज पर ही अपना ध्यान लगायाl

जिस उद्देश्य को लेकर भाजपा अपने मुस्लिम नेताओं को बड़े पद और जिम्मेदारियां सौंपी उन उद्देश्यों से ये खुद को जोड़ नहीं पाए l

यही वजह है कि पिछले कई दिनों से लगातार देश में हिंसा और अराजकता का माहौल बना हुआ है और बीजेपी की मुस्लिम लीडरशिप एसी कमरों के अंदर बैठकर बयान बाजी कर रही है ,भाजपा के किसी नेता में इतनी हिम्मत नहीं हो पाई कि वह मुस्लिम बस्तियों और मुस्लिम संगठनों के लोगों के बीच जाकर उन्हें कानूनी प्रावधानों की सच्चाई से अवगत कराएं उन्हें यह भरोसा दिलाएं कि कहीं भी उनकी नागरिकता खतरे में नहीं है और भारतीय मुसलमानों को बीजेपी सरकार पर भरोसा रखने की जरूरत है l

जिस तरह से दिल्ली अलीगढ़ संभल पश्चिम बंगाल समेत कई देश के कई जिलों में हिस्सों में हुई है उसके बाद ना सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चर्चित बयान “सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास” हासिल करने पर चोट पहुंची है बल्कि यह भी साफ हो गया है कि “सबका विश्वास” के मसले पर बीजेपी की रणनीति अभी तक कुल मिलाकर फेल ही साबित हुई हैl

क्योंकि यह कानून लाए जाने के बाद या फिर इसके पहले से ही इसके प्रावधानों को लेकर एक बेहतर प्रचार-प्रसार तंत्र के जरिए देश की जनता को यह एहसास दिलाना जरूरी था कि उनके हितों पर किसी तरह का विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा खास तौर पर देश के मुसलमानों को जिन्हें वोट बैंक का मोहरा बनाकर अक्सर गुमराह करके या फिर भड़का कर इस्तेमाल किया जाता है उन्हें कानून के सही प्रावधानों की जानकारी देने के लिए भाजपा के संगठन और सरकार दोनों को एक व्यापक सकारात्मक अभियान चलाने की जरूरत थी जिसमें सरकार और संगठन दोनों पूरी तरह से विफल साबित हुए हैंl

राष्ट्र विरोधी संगठन और तमाम विपक्षी नेताओं ने बड़ी आसानी से मुसलमानों को गुमराह करके हिंसा की राह पर धकेलने का काम किया और देश में सैकड़ों करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ कई लोगों की जानें भी गईl

यह मौका भाजपा नेतृत्व के लिए आत्म चिंतन का भी है कि उन्होंने देश की आबादी के एक बड़े हिस्से को भरोसे में लेने की बजाए बिना पूरी जानकारी दिए बगैर ही कानूनी प्रावधानों को थोपने की कोशिश पर ज्यादा जोर दिया l

सरकार और भाजपा संगठन की इस लचर कार्यशैली का फायदा उपद्रवियों ने जमकर उठाया और दिल्ली लखनऊ अलीगढ़ संभल समेत देश के बहुत से शहरों में बड़ी बेशर्मी के साथ हिंसा फैलाई गईl