देवव्रत शर्मा –
उत्तर प्रदेश सरकार में मुख्य सचिव और डीजीपी दोनों कार्यवाहक हैं इन दोनों पदों पर पूर्णकालिक अफसरों की तैनाती ना होने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर व्यंग किया है।
किसी भी सरकार के संचालन में अधिकारियों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती है यह बताने की जरूरत नहीं और शासन के शीर्ष पदों पर बैठे अधिकारी तो बकायदा सरकार की नीतियां तय करते हैं और मुख्यमंत्री के साथ समन्वय बनाकर सरकार की दिशा संचालन और नेतृत्व में भी योगदान देते हैं।
लेकिन देश के सबसे बड़े प्रदेश, उत्तर प्रदेश के लिए इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि पिछले 6 महीने से उत्तर प्रदेश में नौकरशाही का सबसे बड़ा पद “कामचलाऊ” या कहें की” टेंपरेरी” है, अस्थाई है।
उत्तर प्रदेश में चीफ सेक्रेटरी के लिए योग्य अधिकारियों की तलाश सरकार पिछले 6 महीने से नहीं कर पा रही थी इसलिए पिछले 6 महीने से राजेंद्र कुमार तिवारी उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक मुख्य सचिव हैं, साफ शब्दों में कहा जाए तो तमाम वरिष्ठ आईएएस अफसरों की भीड़ होने के बावजूद उत्तर प्रदेश की सरकार इस प्रदेश के लिए एक पूर्णकालिक यानी रेगुलर चीफ सेक्रेटरी की तलाश नहीं कर पा रही।
चीफ सेक्रेटरी को मुख्यमंत्री के बाद सरकार का सबसे ताकतवर व्यक्ति माना जाता है क्योंकि सभी विभागों के मुखिया उनके अधीन होते हैं। वही प्रदेश में पुलिस विभाग को सबसे महत्वपूर्ण विभागों में गिना जाता है और अब पुलिस विभाग के पास भी “काम चलाऊ” मुखिया आ गए हैं।
डीजीपी ओपी सिंह के रिटायर होने के बाद हितेश चंद्र अवस्थी को कार्यकारी डीजीपी बनाया गया है । उन्हें पूर्णकालिक डीजीपी के तौर पर तैनाती नहीं मिली है उन्हें डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है अब फिर वही सवाल खड़ा हो रहा है एक तरफ तो चीफ सेक्रेटरी पहले से ही कार्यकारी थे ,यानी पूर्णकालिक नहीं थे ऐसे में फुल कॉन्फिडेंस के साथ काम कर पाना शायद उनके लिए भी आसान नहीं होता होगा और अब पुलिस विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग के मुखिया भी कार्यकारी ही बनाए गए हैं।
कार्यकारी मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी एक बेहतरीन अधिकारी हैं इमानदार है मेहनती हैं और इसी तरह कार्यकारी डीजीपी बनाए गए हितेश चंद्र अवस्थी भी ईमानदार और अच्छी छवि के अधिकारी हैं।
अवस्थी यूपी कैडर के सबसे वरिष्ठ अधिकारियों में से गिने जाते हैं लेकिन बड़ा विषय यह है कि उन्हें डीजीपी के पद पर रेगुलर तैनाती नहीं मिली है, ऐसे में कार्यकारी डीजीपी होने का एहसास हमेशा उनके सामने बड़े फैसले लेने में संशय संकोच और बाधा का कारण बन सकता है।
पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता का संचालन कर रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने ऐसी क्या कठिनाइयां हैं कि ईमानदार और सक्षम नेतृत्व की छवि होने के बावजूद उनकी टीम उत्तर प्रदेश के लिए पूर्णकालिक मुख्य सचिव की तलाश पिछले 6 महीनों से नहीं कर पा रही और अब उन्होंने डीजीपी के पद पर भी पूर्णकालिक अधिकारी को ना तैनात करते हुए वरिष्ठ आईपीएस को कार्यकारी डीजीपी बना दिया है।
सरकार कुछ भी कहे लेकिन अंदर खाने में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि पहले तो चीफ सेक्रेटरी के पद पर किसी योग्य और भरोसेमंद अफसर को बैठाने के लिए निर्णय लेने में संशय बना हुआ था और अब डीजीपी के पद पर भी बहुत से दावेदार हैं कई लोगों की लामबंदी और पैरोकारी है, ऐसे में सरकार ने कार्यकारी डीजीपी को तैनात करके “ठोस” फैसला ना लेकर “लटकाने”वाला फैसला लेने का काम किया है।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मामले में योगी सरकार को निशाने पर लिया है उन्होंने व्यंग करते हुए कहा कि उनकी सरकार के दौरान भाजपा के लोग आरोप लगाते थे कि सपा सरकार में 5 मुख्यमंत्री हैं लेकिन यहां तो एक भी मुख्यमंत्री नहीं दिखाई पड़ रहा है, और शायद इसी वजह से चीफ सेक्रेटरी भी कार्यवाहक हैं और डीजीपी भी कार्यवाहक हैं सुनिए अखिलेश यादव का बयान।
नोट: यह लेखक के अपने विचार हैं