ईस्ट इंडिया कंपनी का नाम भला कौन भारतीय नहीं जानता होगा! जिस किसी ने 8वीं-10वीं तक भी इतिहास पढ़ा है, उसे इस कंपनी का नाम भली-भांती ज्ञात होगा। यहां तक कि जो लोग कभी स्कूल नहीं गए, वे भी कंपनी राज के नाम से ईस्ट इंडिया कंपनी से गाहे-बेगाहे अवगत हैं। 1857 तक भारत पर इसी कंपनी का कब्जा था, जिसे कंपनी राज के नाम से इतिहास में पढ़ाया जाता है। 17वीं सदी की शुरुआत में यानी सन 1600 ईस्वी के आस-पास भारत की जमीन पर पहला कदम रखने वाली इस कंपनी ने सैकड़ों साल तक हमारे देश पर शासन किया।
भारत को गुलामी की बेड़ियां पहनाने में ईस्ट इंडिया कंपनी का नाम महत्वपूर्ण है। इसी कंपनी ने मुगल बादशाह से व्यापार करने का अधिकार हासिल किया और तमाम तिकड़मों के दम पर धीरे-धीरे देश को गुलाम बनाते चली गई। करीब दो सदियों तक इस कंपनी ने भारत पर शासन किया था।ईस्ट इंडिया कंपनी भारत की पहली कंपनी थी, भले ही यह भारतीय न होकर अंग्रेजों की थी।
एक समय यह कंपनी एग्रीकल्चर से लेकर माइनिंग और रेलवे तक सारे काम करती थी। भारत को गुलाम बनाने वाली इस ईस्ट इंडिया कंपनी के मालिक भारतीय
मूल के बिजनेसमैन संजीव मेहता हैं। मेहता ने ईस्ट इंडिया कंपनी को खरीदने के बाद इसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बना दिया। अभी यह कंपनी चाय, कॉफी, चॉकलेट आदि की ऑनलाइन बिक्री करती है।
इस कंपनी को बनाने के पीछे एकमात्र उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्यवाद और औनपिवेशीकरण को बढ़ावा देना था। ब्रिटेन के उस दौर के बारे में एक कहावत बहुत प्रचलित है कि ब्रिटिश राज में सूरज कभी अस्त नहीं होता। सूरज के परिक्रमा पथ की परिधि से भी ब्रिटिश साम्राज्य को बड़ा बना देने में सबसे अहम योगदान इसी ईस्ट इंडडिया कंपनी का था।
इस कंपनी को पहली सफलता हाथ लगी थी पुर्तगाल का एक जहाज लूटने से, जो भारत से मसाले भरकर ले जा रहा था। ईस्ट इंडिया कंपनी को उस लूट में 900 टन मसाले मिले इसे बेचकर कंपनी ने जबरदस्त मुनाफा कमाया। भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी को सबसे पहले फ्रांसीसी कंपनी ‘डेस इंडेस’ का मुकाबला करना पड़ा।
ब्यूरो रिपोर्ट ‘द इंडियन ओपिनियन’