पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को भारत लगातार अभेद्य किला बनाने में जुटा है। पिछले तीन वर्षों में भारत ने एलएसी पर सड़कों के निर्माण से लेकर, सैन्य ठिकानों, बंकरों, रैंप, एयरक्राफ्ट लैंडिंग साइट्स, हाई स्पीड नेटवर्किंग से लेकर अन्य बुनियादी जरूरतों का जबरदस्त विकास किया है। साथ ही एलएसी के चप्पे-चप्पे पर आर्टिलरी गन से लेकर तोपों, एयर डिफेंस सिस्टम, एंटी ड्रोन और एंटी मिसाइल सिस्टम समेत अन्य युद्धक वाहनों की तैनाती कर चुका है। अब भारत सीमा से लगे गांवों को हाईटेक बनाने में जुट गया है। इस प्रकार एलएसी को भारत लगातार अभेद्य किला बनाता जा रहा है। गलवान घाटी के बाद तवांग में चीनी सैनिकों का फेल हो जाना भारत की इसी पूर्व तैयारी का परिणाम माना जा रहा है।
भारत ने एलएसी पर एम-777 होवित्जर तोप की तैनाती कर दी है। यह अमेरिका मेड है। इसके अलावा कारगिल में पाकिस्तान को तबाह करने वाली बोफोर्स तोप भी मौके पर लगाई गई है। आर्टिलरी गन, एयर डिफेंस सिस्टम, एंटी मिसाइल और एंटी ड्रोन सिस्टम से सेना लैस हो चुकी है। सुरक्षा के लिए सुखोई जैसे विमान सीमा पर उड़ान भर रहे हैं। वहीं चीन ने भी सीमा पर पीसीएल -18 जैसे फाइटर जेट तैनात किए हैं। कई ड्रोनों की भी चीन ने तैनाती की है। इसके लिए भारत ने एल-70 की तैनाती की है, जो किसी भी तरह के फाइटर जेट, अटैक हेलीकॉप्टर, ड्रोन इत्यादि को दिन और रात दोनों वक्त मारकर गिरा सकता है। साथ ही 24 घंटे उनकी निगरानी भी कर सकता है। इसमें नाइट विजन कैमरा भी है।