Lucknow: भीषण गर्मी में बिजली की लुका छिपी से बेहाल हैं पार्थ आद्यान्त निवासी, बेसुध हैं बिल्डर और विद्युत विभाग!

खामोशी फ़िल्म में एक गाना है-

होंठ पे लिए हुए दिल की बात हम
जागते रहेंगे और कितनी रात हम

कुछ यही हाल है लखनऊ के गोमती नगर स्थित पार्थ आद्यान्त सोसाइटी में रहने वाले निवासियों का। पिछली तीन रातों से उनको चैन की नींद भी मयस्सर नहीं है। विश्व स्तरीय सुविधाओं को देने का दावा करने वाला बिल्डर बिजली जैसी आधारभूत सुविधा भी उपलब्ध कराने में असमर्थ है।

ऐसा नहीं की विद्युत की आपूर्ति नही है हमारे एरिया में, समस्या की जड़ है सोसाइटी में कम क्षमता का विद्युत इंफ्रास्ट्रक्चर। वर्तमान में इस परिसर में रह रहे लगभग 300 परिवारों को विद्युत आपूर्ति के लिए 600 के वी ए का विद्युत लोड और 500 के वी ए का जनरेटर अपर्याप्त है। जिसकी वजह से जब दिन भर अपने काम से थके हारे पार्थ निवासी रात में चैन की नींद लेने एसी चलाकर लेटते हैं तो शुरू हो जाता है खेल विद्युत ट्रिपिंग का।

वर्तमान इंफ्रास्टक्चर और विधुत लोड इस माँग को झेल नहीं पाता है और ट्रिप होने लगता है। तब शुरू होती है प्रक्रिया लोड कम करने की। सभी निवासियों से अनुरोध किया जाता है कि वह सिर्फ एक एसी का प्रयोग करें, कॉमन एरिया की विद्युत आपूर्ति बन्द कर दी जाती है फिर भी विद्युत पैनल गर्म होकर काम करना बन्द कर देता है और आपूर्ति पूरी तरह से बाधित…न ग्रिड से न जनरेटर से। फिर पैनल को ठंडा करने के लिए कूलर लाया जाता है । लखनऊ की सबसे ऊँची 24 मंजिला रिहायशी सोसाइटी की सभी लिफ्टे बन्द। किसी की बीमारी है, किसी को यात्रा पर निकलना है, किसी के यहाँ मेहमान आये हुए है …सब असमंजस में करें तो क्या करें ?

फिर कुछ निवासी हिम्मत कर अंधकार में डूबे परिसर में सीढ़ियों से नीचे उतरते हैं यह जानने के लिए क्या हुआ। प्रथम लाइन का स्टाफ काफी जुगाड़ बाजी कर थकने के बाद हाथ खड़े कर देता है और बिल्डर के वरिष्ठ अधिकारियों से बात करने का अनुरोध करता है।

यह स्थिति तब है जबकि बिल्डर विधुत इंफ्रास्ट्रक्चर और पावर बैकअप के नाम पर प्रत्येक निवासी से एक मोटी रकम वसूल चुका है । निवासियों के आक्रोशित होने के बाद बिल्डर वह काम करता है जो उसे कई माह पहले कर लेना चाहिए था। 13 तारीख को वह विद्युत विभाग को पत्र लिखकर उच्च क्षमता का ट्रांसफॉर्मर लगाने का अनुरोध करता है। नया ट्रांसफॉर्मर और जनरेटर ऐसी वस्तुएं तो नहीं हैं कि आप बाजार गए और खरीद लाये। यह व्यवस्थाये होने में समय लगेगा। तब तक क्या करे यहाँ का निवासी? किसके आगे अपना दुखड़ा रोये?

इस दुर्गति के लिए विधुत विभाग भी कम दोषी नहीं है। अभी मार्च में ही लेसा ने सिंगल पॉइंट कनेक्शन को 300 नए विधुत मल्टी पॉइंट कनेक्शन में परिवर्तित किया है। क्या ऐसा करने से पहले लेसा अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया था कि सोसाइटी का वर्तमान विद्युत इंफ्रास्ट्रक्चर गर्मी के मौसम में ग्राहकों की बढ़ी हुई मांग को पूरा कर सकेगा?

पार्थ निवासियों की इस दुर्दशा के लिए बिल्डर और लेसा बराबर के ज़िम्मेदार हैं। हर पार्थ निवासी के जहन में सिर्फ एक ही सवाल है कहाँ जायें किस्से अपना दुखड़ा रोएं?

इस विषय में पार्थ इंफ्राबिल्ड के नए सी ई ओ श्री शेखर मिश्रा ने परिसर में आ कर स्थिति का स्वयं जायजा लिया और इस समस्या के स्थायी निदान का आश्वासन दिया। 13 तारीख को लिखा पत्र उन्हीं प्रयासों की एक कड़ी है।

रिपोर्ट – विकास चंद्र अग्रवाल- द इण्डियन ओपिनियन

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