NRC/CAB नागरिकता संशोधन में भारतीय मुसलमानोंके खिलाफ कुछ भी नहीं, ज्यादातर लोग बिना प्रावधानों को जाने ही हो रहे गुमराह!


नागरिकता संशोधन कानून जिसे अंग्रेजी के सरल शब्दों में ‘कैब यानी सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल’ कहा जा रहा है इस नए संशोधन में भारतीय मुसलमानों के खिलाफ ऐसा कुछ भी नहीं है जिसको लेकर देश में हिंसा और उग्र प्रदर्शन पर आयोजित किए जा रहे हैं

दरअसल राजनीतिक कारणों से कुछ संगठन अपने निजी स्वार्थ में देश की जनसंख्या के एक हिस्से को गुमराह करके भड़का कर अपना सियासी फायदा हासिल करना चाहते हैं

इस बात को समझने के लिए सभी नागरिकों को दोनों कानूनों के प्रावधानों को समझना चाहिए!

नागरिकता कानून में जो संशोधन हुए हैं वह केवल बांग्लादेश पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों पर लागू होंगे जो 2014 के पहले भारत में आ चुके हैं और जो अपने मूल देशों में अल्पसंख्यक के तौर पर सूचीबद्ध रहे और वहां उन्हें सामान नागरिक और संवैधानिक अधिकार नहीं दिए जा रहे थे

गौरतलब है कि पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान घोषित तौर पर संवैधानिक रूप से इस्लामिक राष्ट्र हैं वहां मुस्लिम और गैर मुस्लिम नागरिकों को अलग-अलग श्रेणीबद किया गया है वहां मजहब के आधार पर नागरिक और संवैधानिक अधिकार उपलब्ध है
वहां गैर मुस्लिमों को सरकार के बड़े पदों पर नियुक्त और निर्वाचित होने का अधिकार नहीं है
इन देशों में मुस्लिम आबादी 90 फ़ीसदी से ज्यादा है और अल्पसंख्यकों की स्थिति बहुत दयनीय है, भारत सरकार का तर्क है कि इसलिए सरकार ने वहां के हिंदू सिख बौद्ध जैन और ईसाई अल्पसंख्यकों को जोकि 2014 के पहले भारत में आ चुके थे और काफी वक्त से भारतीय नागरिकता मांग रहे हैं उन्हें राहत देने के लिए नागरिकता कानून में संशोधन किया है ऐसे लोगों की कुल संख्या लगभग 40,000 है जिनमें की 34 हजार के लगभग हिंदू 5000 के लगभग सिख और बाकी बौद्ध जैन और ईसाई हैं जो कि अपने देशों में प्रताड़ित होकर भारतीय नागरिकता की मांग कई वर्षों से कर रहे हैं

केवल इन लोगों को ही नए संशोधन से लाभ होगा, जो लोग पहले से भारतीय नागरिक हैं चाहे वह हिंदू या मुसलमान हैं उन पर यह प्रावधान लागू नहीं होंगे
सरकार का तर्क है कि यह संशोधन इसलिए आवश्यक था क्योंकि पुराने प्रावधानों के तहत पड़ोस के अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता देना आसान नहीं था

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून केवल उन गैर मुस्लिमों पर ही लागू होगा जो 2014 के पहले भारत आ चुके थे वर्तमान या भविष्य में आने वाले लोगों पर यह कानून लागू नहीं होगा! नागरिकता संशोधन कानून पूरी तरह विदेशी नागरिकों से संबंधित है भारतीय हिंदू या मुस्लिम नागरिकों से इसका कोई संबंध नहीं है क्योंकि वह पहले से ही भारतीय नागरिक हैं। पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान के मुस्लिम नागरिक यदि भारत की नागरिकता चाहते हैं तो उनके लिए दरवाजे बंद नहीं है बल्कि उन्हें पुराने प्रावधानों के जरिए नागरिकता हासिल करनी होगी पिछले कुछ वर्षों में करीब साढे 500 मुस्लिम विदेशियों को भारतीय नागरिकता दी गई है

नए संशोधन पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान के मुस्लिम नागरिकों को विशेष सुविधा इसलिए नहीं दी गई क्योंकि यह तीनों राष्ट्र घोषित तौर पर संवैधानिक रूप से मुस्लिम राष्ट्र हैं और यहां मुस्लिम नागरिकों को अल्पसंख्यकों यानी गैर मुस्लिमों की तुलना में अधिक अधिकार उपलब्ध हैं और वहां उनकी जनसंख्या भी 90% या उससे अधिक है जबकि वहां के गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों की स्थिति दयनीय है और उनके पुराने ऐतिहासिक व पारिवारिक संबंध भारत से रहे हैं


कुछ पार्टियां और संगठन लोगों को नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भ्रमित कर रहे हैं कि इससे उनकी नागरिकता खतरे में पड़ जाएगी और उन्हें देश से निकालने की तैयारी की जा रही है जबकि नागरिकता संशोधन कानून भारतीय नागरिकों के लिए है ही नहीं

अब जानिये एनआरसी के प्रावधान:

नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजनशिप राष्ट्रीय नागरिक अभिलेख : सबसे पहले 1951 में कांग्रेस की सरकार ने देश में एनआरसी लागू किया था उसके बाद से एनआरसी की प्रक्रिया लंबित पड़ी हैl एनआरसी वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा देश के नागरिकों की वास्तविक संख्या और स्थिति का पता लगाया जाता है एनआरसी का उद्देश्य है कि देश में वैध और अवैध रूप से रहने वालों की पहचान की जाए यह पता किया जाए कि देश में देशवासियों के अतिरिक्त विदेशी नागरिक या दुश्मन देश के एजेंट गोपनीय रूप से छुपके तो नहीं कह रहे हैं

देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी को देश हित के लिए जरूरी माना इसलिए देश के संवैधानिक प्रावधानों के तहत सरकार को एनआरसी लागू करने का निर्देश दिया

सरकार को असम में एनआरसी लागू करने का सर्वोच्च न्यायालय निर्देश दिया जिसके बाद चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई और सरकार को यह जानकारी मिली कि बड़ी संख्या में पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अवैध नागरिक भारत में छिपकर रह रहे हैं और फर्जी दस्तावेजों के जरिए नागरिकता हासिल करना चाहते हैं जिसके बाद सरकार ने पूरे देश में एनआरसी लागू करने का फैसला किया

यहां ध्यान देने की बात यह है कि एनआरसी सिर्फ उन लोगों पर लागू होगा जो 1948 के बाद भारत में आए हैं जो लोग पहले से भारत में रह रहे थे उन पर एनआरसी लागू नहीं होगा जो लोग 1948 के बाद भारत में आए हैं lउन्हें मतदाता पहचान पत्र पैन कार्ड आधार कार्ड जमीनों के अभिलेख आदि दस्तावेजों के जरिए अपनी विधिक भारतीय नागरिकता के तथ्य अधिकारियों को उपलब्ध कराने होंगे यदि किसी कारण से कुछ लोग अपनी नागरिकता प्रमाणित नहीं कर पाते तो उन्हें सुनवाई का अवसर भी दिया जाएगा कई बार अवसर मिलने के बावजूद जो लोग स्वयं को भारतीय नागरिक के तौर पर उचित दस्तावेजों के साथ प्रमाणित नहीं कर पाएंगे उन्हें ऐसे ही देश से नहीं निकाला जाएगा बल्कि उनके मूल देशों से संपर्क किया जाएगा और वहां पर उनकी नागरिकता के तथ्य मिलने पर उन देशों की सहमति से उन्हें वहां भेजा जाएगा जो लोग पूरी तौर पर अवैध विदेशी नागरिक के रूप में चिन्हित होंगे और जिन्हें उनके मूल राष्ट्र वापस लेने को तैयार नहीं होंगे ऐसे लोग डिटेंशन सेंटर में रखे जाएंगे

कुछ लोग देश में भ्रम फैला रहे हैं कि इस कानून के बहाने भारतीय मुसलमानों को देश से बाहर करने की साजिश हो रही है जबकि यह कानून भारतीय मुसलमानों से संबंधित नहीं है यह केवल विदेशियों और मुख्य रूप से पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान के मूल निवासियों से संबंधित हैंl इस कानून से प्रभावित लोग कहीं भी न्यायालय की शरण ले सकते हैं और न्यायालय उनकी बात को सही पाए जाने पर उनके पक्ष में निर्णय भी सुना सकता है
वैसे इन कानूनों को रोकने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में कई याचिकाएं भी दाखिल हो गई है

कुल मिलाकर लोकतंत्र में किसी भी विषय का विरोध तो उचित है लेकिन जिस तरह से पिछले कुछ दिनों में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की आड़ में देश के कई जिलों में उपद्रवियों ने व्यापक हिंसा आगजनी और तोड़फोड़ की है जनता की गाढ़ी कमाई से तैयार की गई सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है स्कूल कॉलेज विश्वविद्यालयों का माहौल खराब किया जा रहा है, उससे यह स्पष्ट हो रहा है कि कई संगठन देश के मुसलमानों को गुमराह करने में सक्रिय हैं और शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक विरोध की बजाएं देश को हिंसा और दंगों की ओर धकेलने की रणनीति पर काम हो रहा है