पाली साहित्य सम्मेलन 2024: पाली भाषा,विश्व शान्ति के सिद्धांत व बौद्ध संस्कृति को समझने का बेहतरीन मौका

The Indian Opinion
लखनऊ


अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, संस्कृति विभाग व पर्यटन विभाग द्वारा ‘पाली साहित्य सम्मेलन 2024’ का आयोजन होने जा रहा है। तीन दिवसीय पालि साहित्य सम्मेलन 2024 का आयोजन शनिवार दिनांक 9 नवंबर से 11 नवंबर तक किया जाएगा। बुद्धिस्ट कांक्लेव के अन्तर्गत ‘‘पालि साहित्य सम्मेलन-2024’’ का आयोजन शान्ति उपवन बौद्ध विहार आलमबाग में किया जा रहा है।

मुकेश कुमार मेश्राम (प्रमुख सचिव)

प्रमुख सचिव, पर्यटन एवं संस्कृति, मुकेश कुमार मेश्राम ने जानकारी दी है कि सम्मेलन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह के मार्गदर्शन में आयोजित किया जा रहा है। यह प्रथम सम्मेलन है जो लखनऊ में आयोजित हो रहा है। इस तरह के अन्य सम्मेलन यूपी के बौद्ध तीर्थ स्थलों पर आगे भी आयोजित किये जायेंगे।

सम्मेलन की मुख्य थीम ’‘विश्व-शान्ति एवं सद्भाव में पालि साहित्य का योगदान’’ है।

सम्मेलन के अन्तर्गत अनेक उपविषयों के अन्तर्गत बौद्ध पर्यटन, पालि भाषा-साहित्य, पुरातत्व, बौद्ध संस्कृति, प्राचीन इतिहास तथा भारतीय ज्ञान परम्परा पर विमर्श किया जायेगा। विमर्श में वियतनाम, थाईलैण्ड, इण्डोनेशिया, श्रीलंका, नेपाल, म्यांमार, नीदरलैण्ड, बांग्लादेश के बौद्ध विद्वान एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों से 150 से अधिक शोधार्थी, आचार्य, विद्वान तथा बौद्ध उपासक सहित लगभग 800 से अधिक लोग शामिल होंगे।


सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, विशिष्ट अतिथि के तौर पर गोविन्द नारायण शुक्ल सदस्य विधान परिषद शामिल होंगे। समारोह में मुख्य वक्ता वियतनाम से प्रो. डाॅ. थिच नात तू एवं प्रो टाशी छेरिंग, प्रो. उमाशंकर व्यास, श्रीलंका से डाॅ. वेन जूलम्पिटिये पुण्यासार थेरो आदि सम्मिलित होंगे। सम्मेलन के प्रमुख आकर्षण धम्मपद संगायन, पालि सुत्‍त संगायन, चित्रकला, पेंटिंग प्रदर्शनी, पालि पुस्तक मेला, बुद्ध धम्म गीत-संगीत, शिल्पकला, कला प्रदर्शनी, सांस्कृतिक संध्या, विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम यथा पावा बैण्ड, ध्रुपद गायक, ‘अत्‍तोदीप भव’ संस्था द्वारा किया जायेगा।


पालि भाषा को ”क्लासिकल लैंग्वेज“ का दर्जा दिये जाने हेतु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी कैबिनेट के प्रति आभार व्यक्त करते हुए इस ऐतिहासिक कार्य हेतु माननीय यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित सम्पूर्ण मंत्रिमण्डल के अभिनन्दन तथा धन्यवाद ज्ञापन के लिए पालि साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

पाली भाषा को, शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिये जाने से बौद्ध विद्या, संस्कृति और बौद्ध दर्शन से जुड़े अध्येताओं, विद्वानों और छात्रों में अपार प्रसन्नता का भाव उत्पन्न हुआ है। पालि वाड़मय का सम्बन्ध श्रीलंका, म्यामांर, थाईलैण्ड, लाओस, कम्बोडिया आदि देशों से है।

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