सुप्रीम कोर्ट ने 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस से जुड़े कुछ मामलों को रफा-दफा करने का फैसला लिया है। अदालत ने विध्वंस के बाद राज्य के अधिकारियों और अन्य लोगों के खिलाफ अवमानना याचिकाओं के एक बैच को खत्म कर दिया है।
बाबरी मस्जिद ढांचा गिराने पर अवमानना कार्यवाही बंद करने का फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अवमानना याचिका को पहले सूचीबद्ध किया जाना चाहिए था।
लेकिन हिंदू और मुस्लिमों के मध्य अयोध्या जमीन विवाद के फैसले (9 नवंबर 2019) के बाद अब इस मुद्दे पर सुनवाई वाजिब नहीं है। कल्याण सिंह और अन्य के खिलाफ ‘अवमानना’ याचिका से जुड़ा मामला इसलिए शुरू किया गया था. क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकार द्वारा सुरक्षा के आश्वासन के बावजूद रथ यात्रा तथा बाबरी विध्वंस की इजाजत दी थी।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मामले पर पर्दा डालते हुए कहा कि इस मामले में अब कुछ भी नहीं बचा है। इसी विशेष अवमानना मामले में भाजपा के दिवंगत नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने एक दिन की सजा काटी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने केवल इन मामलों को बंद करने का फैसला किया है. क्योंकि इन मामलों को 30 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है और याचिकाकर्ता तथा पूर्व मुख्यमंत्री मर चुके हैं। बाबरी विध्वंस को लेकर कल्याण सिंह ने 8 दिसंबर को कहा था कि बाबरी मस्जिद विध्वंस भगवान की मर्जी थी। मुझे इसका कोई अफसोस नहीं है। यह सरकार राममंदिर के नाम पर बनी थी और उसका मकसद पूरा हुआ।
ब्यूरो रिपोर्ट ‘द इंडियन ओपिनियन’