भारत की राजनीति में आज महिलाओं की स्थिति बहुत मजबूत हो चुकी है। हाल ही में देश को दूसरी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के रूप में मिली हैं। इसके अलावा कई दलों का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं। राज्य सरकार महिलाएं चला रही हैं। जब स्वतंत्रता सेनानी भारत की आजादी के लिए संग्राम कर रहे थे, तब एक महिला थी जो गुलाम भारत में भी राजनीतिक पद पर आसीन थी। इस महिला ने देश की आजादी के लिए तो आवाज उठाई ही, लेकिन गुलाम भारत की राजनीति में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
विजय लक्ष्मी पंडित गुलाम भारत में सक्रिय राजनीति में शामिल महिला नेता थीं। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन के तौर पर भी विजय लक्ष्मी पंडित को लोग जानते हैं। लेकिन भारत की आजादी में उनकी भूमिका भी अहम है। गुलाम भारत में 1935 में भारत सरकार अधिनियम लागू हुआ। 1937 में इस कानून के तहत कई प्रांतों में कांग्रेस की सरकार बनी, जिसमें विजय लक्ष्मी पंडित को उत्तर प्रदेश संयुक्त प्रांत का कैबिनेट मंत्री बनाया गया। 1947 तक वह इसी पद पर रहीं।
विजय लक्ष्मी पंडित का जन्म इलाहाबाद में पंडित मोतीलाल नेहरू के परिवार में 18 अगस्त 1900 को हुआ था। विजय लक्ष्मी पंडित जवाहरलाल नेहरू से ग्यारह साल छोटी थीं। इसके अलावा 1940 से 1942 तक ऑल इंडिया विमेंस कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष पद पर रहीं। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अध्यक्ष भी विजय लक्ष्मी पंडित थीं। 1947 में विजय लक्ष्मी पंडित विश्व की प्रथम महिला राजदूत नियुक्त हुईं, जिन्होंने तीन राजधानियों के राजदूत के पद पर काम किया।
ब्यूरो रिपोर्ट ‘द इंडियन ओपिनियन’