गुरु पूर्णिमा: ऐतिहासिक पौराणिक महत्व, ईश्वर से भी श्रेष्ठ गुरुओं को समर्पित इस पर्व के बारे में पूरी जानकारी।

रिपोर्ट – आराधना शुक्ला,

गुरु पूर्णिमा का पर्व अपने गुरु के प्रति आस्था और सम्मान प्रकट करने का पर्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाई जाती है। इसे आषाढ़ी पूर्णिमा और वेद व्यास जयंती के रूप में भी जाना जाता है।

@गुरु पूर्णिमा का महत्व- हिंदू धर्म में गुरु का स्थान अनादि काल से ही सर्वोपरि रहा है। भगवान राम ने अपने गुरु वशिष्ठ और विश्वामित्र से शस्त्र और शास्त्रों का ज्ञान सीखा था तो वहीं भगवान कृष्ण ने गुरुकुल में मुनि संदीपनी के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की थी। गुरु ही वह व्यक्ति होता है जो अज्ञानता के अंधेरे को ज्ञान रूपी प्रकाश से हमारे जीवन को प्रकाशित करता है।

गुरु पूर्णिमा से ही वर्षा ऋतु का आरंभ होता हैं। इस दिन से चार महीने तक साधु संत एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। हिंदू धर्म में गुरु का स्थान भगवान से भी ऊपर माना जाता हैं इसलिए विद्यार्थियों के लिए यह दिन कल्याणकारी माना गया है।
गुरु पूर्णिमा के दिन से ही विद्यार्थीयों के लिए ज्ञानार्जन के लिए उपयुक्त माना जाता है क्योंकि इस तिथि के बाद से ही वर्षा ऋतु का आगमन होता है और पठन-पाठन के लिए यह समय सबसे अच्छा माना गया है।

@महाभारत के रचयिता वेदव्यास की जयंती- भारत को ऋषियों और मुनियों का देश कहा जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन ही महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को वेद व्यास जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। संस्कृत के महान विद्वानों में महर्षि व्यास को सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। चारों वेदों के व्याख्याता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास अर्थात वेदव्यास ने ही सभी अठारह पुराणों की रचना की है। वेदों को विभाजित करने का श्रेय उन्हें ही जाता है। वेदों का विभाजन करने के कारण ही इनका नाम वेदव्यास पड़ा।

मान्यता है कि आषाढ़ी पूर्णिमा के ही दिन महर्षि वेदव्यास ने अपने शिष्यों और मुनियों को  भागवत पुराण का ज्ञान दिया था। इसी दिन से व्यास जी के शिष्यों नें उनकी पूजा करनी आरंभ कर दी थी।
ऐसा माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था इसलिए इस तिथि को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है।

@चंद्र ग्रहण का भी है योग- इस साल गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई को मनाई जा रही है। आज ही चन्द्र ग्रहण का भी योग बन रहा है। इस ग्रहण का असर भारत में नहीं होगा इसलिए यहाँ सूतक का असर नहीं होगा।
इस साल कोरोना महामारी के चलते इस पर्व का उत्साह फीका है। हर साल इस दिन गंगा स्नान के लिए भीड़ उमड़ती थी पर इस बार ऐसा नजारा नहीं देखनें को मिलेगा।

सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए मंदिरों में भी ज्यादा लोगों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा।

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