ब्रायलर मुर्गी से आ सकता है कोरोना से ज्यादा खतरनाक वायरस, दुनिया की बड़ी आबादी के लिए खतरा!

रिपोर्ट – आराधना शुक्ला

कोरोना वायरस से पूरी दुनिया लड़ रही है इसी बीच वैज्ञानिकों ने पोल्ट्री फॉर्म यानी मुर्गी पालन केंद्रों से नई तबाही की चेतावनी दी है। जैसा कि अभी तक माना जा रहा है कि कोरोना वायरस की शुरुआत चीनी शहर वुहान के ‘वेट मार्केट’ से हुई है। कुछ लोग दावा करते हैं कि कोरोना वायरस चमगादड़ से फैला है। दरअसल इस वेट मार्केट में जानवरों को जिंदा ही बेचा जाता है।

ठीक इसी प्रकार से अगला वायरस मुर्गी पालन केंद्रों से फैलने की आशंका जताई जा रही है। यह भी कहा जा रहा है कि अगर इस प्रकार का कोई वायरस फैलता है तो इससे दुनिया की आधी आबादी का सफाया हो हो सकता है क्योंकि बड़ी संख्या में मांसाहारी लोग पोल्ट्री फार्म से आने वाली  मुर्गी और उनसे जुड़े उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं।

कोरोना वायरस से अब तक पूरी दुनिया में साढे तीन लाख से ज्यादा लोग मर चुके हैं।
‘टू हाउ टू डू’ के चर्चित लेखक डॉ माइकल  ग्रेगर का दावा है कि मुर्गियां अगले महामारी का प्रमुख कारण हो सकती है और ये महामारी कोरोना वायरस की तुलना में अधिक घातक साबित हो सकती है।

समाचार एजेंसी ‘ नॉर्थ ईस्ट नाउ’ के मुताबिक उनके अनुसार चिकन फर्मों से निकलने वाला एक ‘एपोकैलिक वायरस’ कोविड-19 की तुलना में अधिक खतरनाक महामारी पैदा कर सकता है, और दुनिया की आधी आबादी का सफाया कर सकता है।
‘हाउ टू सर्वाइव ए पैंडेमिक’ नामक अपनी नई पुस्तक में डॉक्टर ग्रेगर ने चेतावनी दी है कि जब तक पोल्ट्री फार्म है तब तक महामारी होगी। क्योंकि वहां मुर्गियों को बेहतर हाइजीन में नहीं रखा जाता है बहुत ही लापरवाही वाले खतरनाक तरीके से बेहद नजदीक यानी कम जगह में ढेर सारी मुर्गियों को रखा जाता है जिसकी वजह से हमेशा वह बीमारियों के खतरे में रहती हैं और उनके जरिए बीमारियां फैलने का खतरा बना रहता है।

अभी दुनिया कोरोना वायरस से ही जूझ रही है ऐसे में एक नए वायरस का प्रकोप दुनिया को खत्म करने जैसा होगा।
डॉ ग्रेगर ने इससे बचने के लिए मुर्गियों की फार्मों को नए तरीके से बदलने का सुझाव दिया है।
वातावरण में तमाम तरह के वायरस विद्यमान होते हैं लेकिन सभी मनुष्यों के लिए हानिकारक नहीं होते हैं। इनमे से कुछ ही खतरनाक होते हैं।

वैज्ञानिक मानते हैं कि जानवरों के साथ मनुष्यों का घनिष्ठ संबंध सबसे बुरी तरह की महामारी का कारण बन सकता है। डॉ ग्रेगर ने भविष्यवाणी करके बताया है कि चिकन फार्म एक और घातक महामारी का कारण बन सकता है जो लगभग हमें मिटा सकता है।
मुर्गी पालन केंद्रों मे मुर्गियों को इतने संकरे स्थानों में रखा जाता है कि वह पंख तक नहीं फड़फड़ा पाती हैं। डॉ ग्रेगर का कहना है कि वहाँ निकलने वाली बूंदों से अमोनिया का उच्च स्तर बीमारियों का मुख्य स्रोत है।
1997 में हांगकांग, चीन में सामने आया एच5एनआई बर्ड फ्लू वायरस को खत्म करने के लिए लाखों मुर्गियों को मारना पड़ा था। लेकिन चीन के बाहर 2003 और 2009 के बीच फिर से यह महामारी फैली, जिसका वायरस आज भी खत्म नहीं किया जा सका है। इससे आशंका उठती है कि ये फिर से फैल सकता है।

इस प्रकार का वायरस फिर से न फैले इसके लिए डॉ ग्रेगर ने मुर्गियो के रख-रखाव के तरीकों में बदलाव करने का सुझाव दिया है। उनको खुले स्थानों में रखा जाना चाहिए और मुर्गियों के इतने बडे़ पैमाने पर उत्पादन को भी रोका जाना चाहिए। इसके अलावा वह यह भी सुझाव देते हैं कि मुर्गियों को छोटे  झुण्डों में पाला जाए, जहां उनके बाहर निकलने की भी सुविधा हो और बेहतर साफ-सफाई का व्यवस्था हो। इसके अलावा गैर प्राकृतिक रूप से अंडे का उत्पादन और मुर्गियों के प्रजनन को भी बंद किया जाना चाहिए।

भारत में सरकारी सूत्रों ने ऐसी किसी भी खबर की पुष्टि नहीं की है भारतीय डॉक्टरों के मुताबिक अंडे और बॉयलर मुर्गी के सेवन में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन साफ सफाई और अच्छी तरह उबालकर पका कर ही इनका सेवन करना चाहिए।

हालांकि कुछ दिनों पहले ही भारत के भुवनेश्वर से संदिग्ध बर्ड फ्लू के संक्रमण की खबर आई थी जिसके बाद वहां हजारों मुर्गे मुर्गियों चूजे और अंडों को नष्ट कर दिया गया था दफना दिया गया था।

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