मजदूरों से वसूला गया रेल किराया! खुल गई रेल मंत्रालय और बीजेपी के दावों की पोल!

रिपोर्ट – मनीष कुमार वर्मा

बेनकाब हुआ बीजेपी नेताओं और रेल मंत्रालय का झूठ, भूखे परेशान मजदूरों से वसूला गया रेल का किराया, सूरत से प्रयागराज पहुंचे मजदूरों ने  किया बड़ा खुलासा।

द इंडियन ओपिनियन पर पढ़िए रेलवे  और बीजेपी नेताओं के झूठ का खुलासा करती खास रिपोर्ट।

यह बेहद शर्म की बात है कि पिछले कई दशकों में  देश प्रदेश की सत्ता पर काबिज सरकारें और राजनीतिक दलों के लोग  हमारे देश के लोगों को  उनके घरों के आसपास उनके जनपदों के आसपास रोजगार देने में विफल रहे हैं जिसकी वजह से बहुत बड़ी संख्या में  भारत के कमजोर परिवारों के लाखों-करोड़ों लोग अपने घरों से दूर जाकर  अपने परिवार का पेट भरने के लिए मेहनत मजदूरी नौकरी करने को मजबूर हैं।

कोरोना संकट के बाद सबसे ज्यादा मुसीबत वही लोग हैं  जो निम्न आय वर्ग से जुड़े हैं ऐसे लोग सरकार के निर्देश पर अनुशासन का पूरा पालन कर रहे हैं, लेकिन  उनकी मुसीबत में  उनकी मदद करने की बजाय सरकारी तंत्र के संवेदनहीन लोगों ने उनकी भावनाओं के साथ मजाक किया है।

एक तरफ तो मीडिया में यह बयान दिया कि गरीब मजदूरों से रेल का किराया नहीं लिया जा रहा दूसरी तरफ खुद रेल से सफर करके आने वाले मजदूर यह कह रहे हैं कि उनसे रेल का किराया लिया गया और वह भी बढ़ी हुई दर से लिया गयाl इसका मतलब क्या है क्या रेलवे के द्वारा
उन्हें ट्रेन  में जो भोजन पानी दिया गया उसका भी किराया वसूल लिया गया ?

इसके पहले गरीब मजदूरों के रेल किराए को लेकर देश में तेजी से सियासत हो रही थी कांग्रेस पार्टी की नेता सोनिया गांधी ने दावा किया था कि वह मजदूरों का सारा रेल किराया अपनी तरफ से भरेगी,  वहीं भाजपा की ओर से  दावा किया गया कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर सारा किराया भरेंगे। रेल मंत्रालय ने सफाई दी कि वह गरीबों की यात्रा का 85% खर्च उठाएगा और 15% राज्य सरकार खर्च उठाएगी, लेकिन मजदूरों की बातों से तो यह लग रहा है कि सारी राजनीतिक बिरादरी मजदूरों से झूठ बोल रही है और मजदूरों से पैसे लिए जा रहे हैं।

यहां यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि पिछले लंबे समय से चल रहे लॉक डाउन की वजह से मजदूर पहले ही कंगाल हो चुके हैं जो कुछ पैसे उनके पास बचे थे वह उन्होंने अपने बच्चों के लिए बचा रखे लेकिन इसके बावजूद उनसे भारी भरकम किराया वसूला गया ऐसा एक मजदूरों का कहना है।

अब अगर रेल का भारी-भरकम किराया चुकाने वाले यह मजदूर शायद नहीं जान पाए कि इनके नाम पर कैसी सियासत हुई है। कांग्रेस ने इनका पूरा किराया भरने के नाम पर  राजनैतिक लाभ लिया और बीजेपी ने  सरकार की ओर से  किराया माफ करने की बात कहकर अपना दामन साफ किया।

रेल यात्रा करके आने वाले मज़दूर के द्वारा बताई गई सच्चाई द इंडियन ओपिनियन सामने आने के बाद  देश के रेल मंत्री, बल्कि रेल मंत्रालय के अधिकारियों और भाजपा के साथ साथ कांग्रेस के भी उन जिम्मेदार लोगों को अपनी आत्मा में झांक कर देखने की जरूरत है जो खुद को मजदूरों का हितैषी बता रहे हैं।

मजदूर रेलवे को किराया अदा कर चुके हैं ऐसे में उनकी मदद करने वाले आखिर कब हाथ बढ़ाएंगे , वाकई में मजदूरों की मदद होगी या सिर्फ मदद के नाम पर सियासत होती रहेगी।

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