रोहित सरदाना… देश के युवा पत्रकार जो अब हमारे बीच नहीं हैं उनका व्यक्तित्व कितना बड़ा था इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अपनी अंतिम सांस तक वह दूसरों की जान बचाने की कोशिश करते रहे…
जब वह मृत्यु शैया पर थे जब वह अपनी मृत्यु से संघर्ष कर रहे थे उस समय भी उन्होंने कोरोना से पीड़ित मरीजों को इलाज दिलाने के लिए कोशिश की l उनके ट्विटर अकाउंट पर जाकर देखने पर पता चलता है कि 2 दिन पहले यानी अपनी मौत से कुछ घंटे पहले ,जब तक वह होशो हवास में थे वह लोगों की मदद करने में जुटे थे।
उन्होंने करुणा श्रीवास्तव के लिए ट्विट किया सीएम ऑफिस उत्तर प्रदेश और अन्य संबंधित लोगों को टैग करते हुए उन्होंने कहा की करुणा श्रीवास्तव जिनकी उम्र 39 वर्ष है उन्हें छह रेमडेसीविर इंजेक्शन की अर्जेंट जरूरत है वह गणेश हॉस्पिटल कानपुर में भर्ती हैं उनकी मदद होनी चाहिए।
इतना ही नहीं रोहित सरदाना को जो लोग आज उनकी मौत के बाद भी भला बुरा कह रहे हैं उनकी निष्पक्ष पत्रकारिता पर प्रश्न खड़ा करते हैं उन्हें यह भी देखना चाहिए कि अपने जीवन के अंतिम पलों में रोहित सरदाना ने उत्तर प्रदेश सरकार की लापरवाही की खबरें भी ट्वीट की।
उन्होंने नोएडा में मरीज से 25 किलोमीटर ले जाने के लिए एंबुलेंस के द्वारा ₹42000 लेने की बात की खबर चलाई साथ ही उत्तर प्रदेश की उस दुखी मां के दर्द की भी खबर चलाई जो अपने बेटे की जान बचाने के लिए रेमदेसीविर इंजेक्शन के लिए cmo के पैरों पर गिर रही थी।
जीवन के अंतिम पलों में भी संवेदनशील रोहित मानवता के प्रति अपने फर्ज को निभाने में जुटे थे जबकि खुद उनका शरीर उनका साथ छोड़ रहा था वह स्वयं तकलीफ में थे लेकिन दूसरों की तकलीफ से भावुक थे।
अस्पताल के बेड पर भी मोबाइल फोन के जरिए वह कोरोना से पीड़ित लोगों को इलाज की सुविधाएं दिलाने में जुटे थे।
कुछ लोग आरोप लगाते हैं कि वह पत्रकार नहीं थे वह पक्षकार थे, वह निष्पक्ष नहीं थे वह किसी एक विचारधारा के पक्षधर थे लेकिन क्या उन पर आरोप लगाने वाले निष्पक्ष लोग हैं.. क्या रोहित का विरोध करने वाले निष्पक्ष भाव के साथ उनका आकलन करके आरोप लगाते हैं ? क्या विचार धाराओं में असहमति को शत्रुता में बदल देना चाहिए तो फिर क्यों उनकी मौत के बाद भी उनके साथ शत्रुओं से भी बुरा व्यवहार प्रदर्शित करती टिप्पणियों से सोशल मीडिया भरा पड़ा है।
जो लोग उन्हें हिंदुत्व का पक्षधर कहते हैं वह क्यों भूल जाते है कि भारतीयता सभी धर्मों का मूल है। वह क्यों भूल जाते हैं कि भारत में बहुलतावादी संस्कृति और सह अस्तित्व पर आधारित लोकतंत्र भारतीयता के ही मूल ढांचे पर टिका है भारतीयता की उदारता के दम पर ही यहां दुनिया की तमाम संस्कृतियों पली-बढ़ी और ताकतवर बनी। दुनिया के दूसरे देशों में बहुसंख्यक मूल निवासियों ने अन्य संस्कृतियों को इस तरह कही पनपने नहीं दियाl Bharat में सभी को जीवन का आसान रास्ता मिला क्योंकि भारत की रगों में वह हिंदू संस्कृति है जो सर्वे भवंतू सुखिनाह की बात करती है जो विश्व को एक परिवार बनती है।
रोहित सरदाना का राष्ट्रवाद उन्हें क्यों चुभता था रोहित को इस दुनिया में ना रहने के बाद भी बहुत से लोगों ने सोशल मीडिया पर गालियां दे डाली उनकी मौत की खुशियां मनाई क्या वह लोग निष्पक्ष हैं जो ऐसा कर रहे हैं?
हकीकत कड़वी होती है सच बोलने वाले अक्सर गालियां खाते हैं सच बोलने वालों को इतिहास में बहुत सजाएं मिली है रोहित को इस मुक़ाबले में यश बहुत मिला।
वह लोग उन्हें अपयश देने का प्रयास कर रहे हैं जो स्वयं भारत के भूत वर्तमान और भविष्य के साथ न्याय नहीं करना चाहते जो लहूलुहान भारत के इतिहास को छिपाना चाहते हैं जो वर्तमान भारत और भविष्य के भारत को घुटनों पर देखना चाहते हैं ऐसे लोग रोहित सरदाना ही नहीं हर उस व्यक्ति को गालियां देते रहेंगे जो भारत के हित की बात करेगा जो भारत के अजर अमर रहने के लिए काम करता रहेगा।
क्योंकि भारत सिर्फ राजनीतिक विपक्ष को नहीं देख रहा है भारत अपने ही समाज में उन भ्रमित भारतीयों का आचरण भी देख रहा है जो इस कदर गुमराह हैं कि देश के बीते हुए कल से सीख लेने के लिए तैयार नहीं है देश के आने वाले कल को बेहतर बनाने की बातों से वह भावनात्मक रूप से जुड़ नहीं पाते क्योंकि भारतीयों को दिग्भ्रमित करके भारत के ही खिलाफ इस्तेमाल करने का बड़ा अभियान बहुत समय से चल रहा है।
रोहित को गाली देते रहिए वह तो अमर हो गए लेकिन नफरत की इंतहा में लोकतंत्र संविधान और निष्पक्षता की दुहाई देते जो लोग इंसानी रवायत और तहजीब का हर रोज़ कत्ल कर रहे हैं जम्हूरियत जिन्हें बर्दाश्त नहीं हो रही वही लोग उन लोगों को भी जाने अनजाने अपने खिलाफ खड़ा कर रहे हैं जो लोग तटस्थ थे निष्पक्ष थे।