यूपी पुलिस ने अपने ही IPS को क्यों घोषित कर दिया एक लाख का “इनामी बदमाश !”

प्रयागराज के एडीजी प्रेम प्रकाश ने हत्या के आरोप में फरार चल रहे महोबा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक IPS अधिकारी मणिलाल पाटीदार पर इनामी राशि 50 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये करने का ऐलान किया है

मणिलाल पाटीदार भारत देश का पहला आईपीएस अधिकारी है जिसपर एक लाख रुपये का इनाम घोषित हुआ है। इस अधिकारी ने अपने काले कारनामों से पूरे IPS कैडर का सिर शर्म से झुका दिया अगर यह निर्दोष है तो इसे सामने आकर अपने विभाग को सारे सबूत देने चाहिए सारी जानकारी देनी चाहिए लेकिन यह तो अपराधियों की तरफ फरार हो गया है।

अपने ही विभाग में बड़े पद पर रहे महोबा में सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस रहे IPS मणिलाल पाटीदार की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने मजबूरी में 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था लेकिन इसके बावजूद नतीजा सिफर रहा यूपी पुलिस के बड़े बड़े तीरंदाज अधिकारी और मुखबिर उस फ़रार आई पी एस का पता नहीं लगा सके जिसकी वजह से पूरे महकमे की नाक कट रही है और योगी सरकार को शर्मसार होना पड़ रहा है।

अब निलंबित आईपीएस अधिकारी मणिलाल पाटीदार की गिरफ्तारी पर एक लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा इसके लिए चित्रकूट धाम रेंज के आईजी के सत्यनारायण की संस्तुति पर प्रयागराज जोन के एडीजी प्रेम प्रकाश ने पाटीदार पर इनामी राशि 50 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये करने का ऐलान किया है।

मणिलाल पाटीदार देश का पहला आईपीएस अधिकारी है जिसपर एक लाख रुपये का इनाम घोषित हुआ है. पाटीदार की गिरफ्तारी के लिए यूपी पुलिस की टीमें राजस्थान और गुजरात के अहमदाबाद समेत अन्य जगह छापेमारी कर रही हैं।

अब आपको बताते हैं कि आखिर क्यों देश की सर्वश्रेष्ठ पुलिस सेवा यानी भारतीय पुलिस सेवा के सदस्य मणिलाल पाटीदार महोबा को यूपी पुलिस के सिपाही भी क्यों दौड़ा रहे हैं ?

आखिर उन्होंने ऐसे कौन से कारनामे का डाले की जो पुलिस उन्हें दिन में कई बार सेल्यूट मारती थी होली उसी पुलिस के डर से उन्हें फरार होना पड़ा है और अब उनके ऊपर अपराधियों की तरह इनाम घोषित किया जा रहा है?

दरअसल IPS अधिकारियों को भी काली कमाई का बड़ा चसका लग चुका है और इसके लिए पुलिस के अधिकारी अपनी ताकत का खूब दुरुपयोग करते हैं अवैध वसूली करवाते हैं निर्दोषों को फर्जी मुकदमों में फंसाते हैं मणिलाल पाटीदार पर शनि की दृष्टि उस समय वक्र हो गई जब वह महोबा के पुलिस अधीक्षक यानी एसपी थे कप्तान साहब थे।

महोबा के कबरई थाना क्षेत्र के रहने वाले क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और डीजीपी को शिकायत करके यह आरोप लगाया था कि एसपी मणिलाल पाटीदार उन से अवैध वसूली चाहते हैं उनके ऊपर मोटी रकम देने का दबाव डाला जा रहा है और ना देने पर फर्जी मुकदमों में फंसाने की बात कही जा रही है हत्या करवाने की भी बात कही जा रही है हद तो तब हो गई जब परेशान व्यापारी इंद्र कांत त्रिपाठी ने SP पर आरोप लगाते हुए अपना वीडियो वायरल किया और उसके बाद 8 सितंबर 2020 को उन्हें गोली मार दी गई।

इंद्रकांत ने उपचार के दौरान कानपुर के एक निजी अस्पताल में 13 सितंबर को दम तोड़ दिया था.
इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत के बाद उनके भाई ने तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इंद्रकांत के भाई रविकांत ने मणिलाल पाटीदार, कबरई के थाना प्रभारी देवेंद्र शुक्ला, सिपाही अरुण यादव, व्यापारी ब्रह्मनंद और नरेश सोनी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया था रविकांत ने भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए थे. शिकायत के बाद शासन ने मणिलाल पाटीदार को सेवा से निलंबित कर दिया था ।

तब से पुलिस पाटीदार की गिरफ्तारी के लिए जी जान से जुटी है लेकिन हालत यह है कि उत्तर प्रदेश की पूरी पुलिस को उस IPS को ही नहीं पकड़ पा रही है जो IPS कुछ दिनों पहले ही उत्तर प्रदेश पुलिस की नौकरी कर रहा था। जिसके घर परिवार रिश्तेदारों की पूरी जानकारी पुलिस महकमे में दर्ज होती है।

यह मामला वाकई में शर्मसार करता है हमारी देश की ब्यूरोक्रेसी को हमारे देश के अफसरशाही को, जिसे संविधान ने लोक सेवक का दर्जा दिया था लेकिन आज जनता का शोषण करने के लिए वह अपराधी बनने पर उतारू है ।इस खबर को देख रहे हर सरकारी मुलाजिम को अपने गिरेबान में जरूर झांकना चाहिए और खुद से यह सवाल करना चाहिए देश और देश की जनता की सेवा के लिए उन्हें जो सरकारी नौकरी मिली है उसका वह कितने ईमानदारी से पालन कर रहे हैं।

द इंडियन ओपिनियन के लिए दीपक मिश्रा की रिपोर्ट

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