जानिए कौन है सुकेश चंद्रशेखर , कैसे उसे AAP ने ठग लिया !

महाठग  ने ऐसे आरोप लगाए हैं जिससे दिल्ली की सियासत में खलबली मच गई है। 200 करोड़ रुपये की ठगी के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद सुकेश चंद्रशेखर ने खुलासा किया है कि उससे आम आदमी पार्टी ने 50 करोड़ रुपये की वसूली की जबकि जेल में बंद मंत्री सत्येंद्र जैन ने उससे 10 करोड़ रुपये वसूले हैं लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इन आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि मोरबी हादसे से ध्यान हटाने के लिए इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं।

34 वर्षीय महाठग सुकेश चंद्रशेखर कर्नाटक के बैंगलोर का रहने वाला है। उसने एक्ट्रेस लीना मारिया पॉल से शादी की थी जोकि इसके ठगी के खेल में साथी भी थी। सुकेश ने बिशॉप कॉटन बॉयज स्कूल, बैंगलोर से पढ़ाई की और मधुरे यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। बचपन से ही ये बेहद जल्द रईस बनना चाहता था। सुकेश को पहली बार 17 साल की उम्र में धोखाधड़ी के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था, जब उसने एक जाने-माने वरिष्ठ राजनेता के बेटे का दोस्त होने का दावा करके एक पारिवारिक मित्र को 1.5 करोड़ रुपये का चूना लगाया था।

सूत्रों के मुताबिक, एक बार सुकेश ने बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त के जाली हस्ताक्षर कर एक प्रमाण पत्र प्रकाशित किया, जिसमें दावा किया गया था कि वह कर्नाटक में कहीं भी गाड़ी चला सकता है। हालांकि उस समय वो नाबालिग था। कई सालों तक सुकेश ने एक पूर्व मुख्यमंत्री के पोते के रूप में अपने आपको पेश किया और सैकड़ों लोगों को धोखा देकर कई करोड़ रुपये कमाए। बाद में उसने किंग इन्वेस्टमेंट नाम से एक कंपनी शुरू की और निवेशकों से 2000 करोड़ रुपये ठगे।

साल 2017 में चंद्रशेखर को अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) के उप महासचिव टीटीवी दिनाकरन का बिचौलिया होने का दावा कर दो पत्ती चुनाव चिन्ह दिलवाने का झांसा देने के मामले में दक्षिण दिल्ली के फाइव स्टार होटल से दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद फोर्टिस हेल्थकेयर के प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह की पत्नी अदिति सिंह के धोखाधड़ी मामले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने उसे गिरफ्तार किया था, जब वो दो पत्ती मामले में अंतरिम जमानत पर था। दिल्ली पुलिस ने चंद्रशेखर को एक न्यायाधीश के आवास पर देखे जाने के बाद आठ दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया। दो पत्ती मामले में सुकेश चंद्रशेखर ने 50 करोड़ रुपये चुनाव आयोग के अधिकारियों को अपने पक्ष में करने के लिए मांगे थे।

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