भारत और ब्रिटेन के बीच एफ़टीए पर हस्ताक्षर इसी दिवाली में होना था लेकिन ब्रिटेन में सियासी और आर्थिक अनिश्चितता के कारण इसमें देरी हो रही है.
देरी की दूसरी वजह थी ब्रितानी गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन की एफ़टीए को लेकर चिंताएं. अक्टूबर के पहले हफ़्ते में सुएला ब्रेवरमैन ने कहा था कि भारत के साथ व्यापार समझौते की वजह से ब्रिटेन में आने वाले भारतीयों की संख्या बढ़ सकती है और इससे ब्रेग्ज़िट के मक़सद को भी नुक़सान पहुँच सकता है.
महज 42 साल के इस उत्साही युवा की आंखों में ब्रिटेन की तस्वीर और तकदीर बदलने का जुनून देखा जा सकता है। बेशक लोग कहें कि ऋषि सुनक का राजनीतिक अनुभव बहुत कम है, लेकिन उनकी आर्थिक समझ और अपने देश को संकट से उबार लेने की उनकी योजनाएं मायने रखती हैं। उनका भारतीय मूल का होना भावनात्मक रूप से भले ही भारत के लिए अहम हो, लेकिन सब जानते हैं कि भारतवंशी होने से पहले ऋषि अपने देश और अपनी जनता के लिए सबसे बड़े भरोसे और उम्मीद का नाम है। हर तरफ ऋषि सुनक की प्राथमिकताओं और चुनौतियों को लेकर चर्चाएं हैं, बाजार की निगाह उनपर है, अपने देश को लेकर उनके ‘विजन’ की चर्चा है, साथ ही कम राजनीतिक अनुभव के बावजूद सबको साथ लेकर चलने और एक ऐसा ब्रिटेन बनाने की उनकी परिकल्पना पर सबकी नजर है, जिसका संकेत उन्होंने प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद दिया।