अखिलेश सरकार में मैं प्रमुख सचिव होकर भी गलत का विरोध करता था, तब बीजेपी वाले खुश होते थे, अब मेरे ऊपर केस करवा रहे हैं!

 

“पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार में प्रमुख सचिव रहते हुए भी मैं गलत कामों का खुलकर विरोध करता था घोटाले भी उजागर किए उस समय मेरी बात भले ही न सुनी गई हो लेकिन मुझे निजी तौर पर परेशान नहीं किया गया, देखा जाए तो बीजेपी सरकार बनवाने में मेरा भी बहुत सहयोग है लेकिन अब बीजेपी सरकार में जब मैं मुद्दे उठाता हूं तो मुझे परेशान किया जा रहा है मेरे खिलाफ तीन मुकदमे करवाए गए, हमले भी हुए सुरक्षा भी वापस ले ली गई”!

यह दर्द है रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह का जिन्हें योगी सरकार से बड़ी उम्मीदें थी लेकिन अब वह योगी सरकार के “आलोचक” हैं।

इनका कहना है कि पिछले 3 महीनों में योगी सरकार ने इनके खिलाफ कई मुकदमे करवा दिए हैं लेकिन जैसे-जैसे सरकार इनके ऊपर कार्रवाई कर रही है वैसे इनकी हिम्मत और इनके सवालों का प्रहार बढ़ता जा रहा है।

सूर्य प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश में ईमानदार आईएएस अफसर के रूप में लंबे समय तक सेवाएं दे चुके हैं कई जनपदों में डीएम कमिश्नर रहने के बाद बतौर प्रमुख सचिव इन्होंने अखिलेश यादव की सरकार में भ्रष्टाचार और अव्यवस्था से परेशान होकर वॉलंटरी रिटायरमेंट ले लिया था।

अखिलेश सरकार में प्रमुख सचिव रहने के दौरान सूर्य प्रताप सिंह ने कई बड़े घोटालों का पर्दाफाश किया था और मंत्रियों के ऊपर भी भ्रष्टाचार का आरोप लगा दिया था लेकिन घोटालों और जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने की बजाय अखिलेश सरकार इनके ही ट्रांसफर कर देती थी, अखिलेश यादव सरकार के गलत कार्यों का विरोध करते हुए उन्होंने वीआरएस ले लिया थाl लेकिन फिर भी अखिलेश यादव की तारीफ करते हैं कि वह हमारी बात नहीं मानते थे लेकिन दबाने और कुचलने का प्रयास नहीं करते थे।

पूर्व आई एस एस सूर्य प्रताप सिंह को लोग राजनीतिक चश्मे से देखते थे लेकिन यह भूल गए की ईमानदारी के लिए संघर्ष उनके जीवन का मिशन है आज वही जब योगी सरकार पर सवाल खड़ा करते हैं तो लोग उनकी बुराई करते हैं अधिकारियों ने तो उनके खिलाफ मुकदमे भी दर्ज करवा दिएl उन्होंने कोरोना संकट और हाथरस गैंगरेप समेत कई मुद्दों पर योगी सरकार के खिलाफ सवाल खड़े किए हैं जिसको लेकर सरकार और बीजेपी से जुड़े लोग उनसे बहुत नाराज हैं।

ट्विटर पर जब वह योगी सरकार की विफलताओं की आलोचना करते हैं सब लोग उन्हें विपक्ष का एजेंट कहते हैं लोग भूल जाते हैं की अखिलेश यादव की सरकार में तो प्रमुख सचिव रहते हुए भी वह सरकार के गलत कार्यों का खुलकर विरोध करते थे और आज जब वह वीआरएस लेने के 5 साल बाद सरकारी बंधनों से मुक्त है तो सरकार पर सवाल उठाने के अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करके कौन सा गलत काम कर रहे हैं ?

भारतीय संस्कृति यह कहती है कि “निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छवाय” लोकतंत्र में जहां विपक्ष और “जनपक्ष” का अपना बड़ा महत्व है वहां सत्ता धारियों को विनम्र और सहनशील होना भी बहुत आवश्यक है।
बहुमत को 5 वर्षों के लिए मनमर्जी करने की व्यवस्था नहीं समझना चाहिए बहुमत 5 वर्षों के लिए सकारात्मक कार्यों का वह अवसर है जिससे जनसामान्य का जीवन स्तर बेहतर हो सके और इस कार्यप्रणाली में देश प्रदेश समाज के सभी वर्गों से सत्ता तंत्र का विचार विमर्श और परामर्श होने से सरकारें और अधिक लोकप्रिय हो सकती हैं।

रिपोर्ट – दीपक मिश्रा

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