अमेरिका के ‘ट्रेड वॉर’ के बीच, भारत और चीन सुधार सकते हैं व्यापारिक रिश्ते

भारत चीन से जितना कुल आयात करता है, उस मुकाबले कुल निर्यात बहुत कम हैचीन के बाजारों को भारत के सोयाबीन, चीनी, चावल और सरसों के लिए खोला जाएगाचीन के वाणिज्य मंत्री ट्रेड डेफिसिट को कम करने के लिए कदम उठाने का वादा किया है।
चीन और भारत के बीच व्यापार असंतुलन नई बात नहीं है, लेकिन भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि चीन ने ट्रेड डेफिसट को लेकर भारत की चिंताओं को सुलझाने का वादा किया है। भारत चीन से जितना आयात करता है, उस मुकाबले निर्यात बहुत कम है। इसे देखते हुए चीन अपने बाजारों को भारत के सोयाबीन, चीनी, चावल और सफेद सरसों के लिए खोलेगा। ऐसे समय में जब अमेरिका संरक्षणवादी नीतियां अपनाते हुए ट्रेड वॉर की तरफ बढ़ रहा है तो भारत और चीन अपने व्यापारिक रिश्तों को और मजबूत कर सकते हैं।
भारत और चीन ट्रेड तो बढ़ा सकते हैं,पर चीन द्वारा भारत की सीमाओं पर जिस तरह की अस्थिरता बनाकर रखी गयी है ,उससे ट्रेड पर भी प्रभाव पड़ता है. अमेरिका से भी ट्रेड बढ़ा है
भारत के दौरे पर आए चीन के वाणिज्य मंत्री जॉन्ग शैन ने चीन में भारत के निवेश का स्वागत करते हुए ट्रेड डेफिसिट को कम करने के लिए कदम उठाने का वादा किया है। इससे पहले वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने अपने चीनी समकक्ष जॉन्ग से मुलाकात की। वैश्विक बाजार संरक्षणवादी नीतियों के कारण ट्रेड वॉर की ओर बढ़ रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप इंपोर्ट्स टैरिफ को दो बार बढ़ा चुके हैं, जिसका चीन पर काफी असर पड़ेगा। पिछले हफ्ते अमेरिका ने चीन को एक और झटका देते हुए चीनी तकनीक और उत्पादों पर नए टैरिफ लगा दिए। दूसरी तरफ चीन ने अपने संसद सत्र में अर्थव्यवस्था को और खोलने की वकालत की, जिससे चीनी कंपनियां विदेशी कंपनियों के साथ मुकाबला कर सकें। 
भारत-चीन-अमेरिका ट्रेड 
भारत के कुल निर्यात में सबसे अधिक हिस्सेदारी 16 प्रतिशत के साथ अमेरिका की है। यानी भारत सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट अमेरिका को करता है। वहीं चीन को भारत 3.42 प्रतिशत निर्यात करता है। अमेरिका द्वारा स्टील और ऐल्मुनियम पर लगाए गए नए टैरिफ स्थिति को और रोचक बनाते हैं। भारत अमेरिका को जो कुल निर्यात करता है, उसमें मेटल्स की हिस्सेदारी 5 प्रतिशत है जिसमें स्टील की 3 प्रतिशत है। वाणिज्य मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, पिछले साल भारत के अमेरिका एक्सपोर्ट में स्टील और लोहे में 41 प्रतिशत वृद्धि देखी गई। दूसरी तरफ ग्लास और स्टोन जो भारत अमेरिका में सबसे अधिक निर्यात करता है, उसकी वृद्धि दर सबसे कम है।

चीन की बात करें तो भारत वहां सबसे अधिक ऑर्गेनिक केमिकल्स निर्यात करता है। भारत और चीन के बीच व्यापार एकतरफा है और असंतुलन की यह खाई पिछले तीन सालों में और गहरी हुई है। दोनों देशों के बीच सोमवार को हुई मीटिंग का अजेंडा भी यही था।
भारत-चीन ट्रेड: नई संभावनाएं 
भारत पिछले कई सालों से ड्रैगन के साथ होने वाले व्यापार को अपने पक्ष में करना चाहता है। देश के वाणिज्य मंत्रालय ने चीन में निर्यात की एंट्री के लिए 250 फार्मासूटिकल प्रॉडक्ट्स की लिस्ट बनाई हुई है। भारत इन ड्रग्स की चीन में एंट्री के आसान कानूनों की मांग कर रहा है। बदले में भारत सरकार चीन को ‘मार्केट इकॉनमी’ का स्टेटस दे सकती है। यह स्टेटस मिलने से चीनी प्रॉडक्ट्स पर ऐंटी-डंपिंग ड्यूटी कम हो जाएगी जिससे वह ग्लोबल मार्केट में अन्य कंपनियों का मजबूती से मुकाबला कर पाएगा। इस स्टेटस के लिए चीन वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन में यूरोपियन यूनियन और अमेरिका के खिलाफ लड़ भी रहा है।