आईपीएस डॉ अरविंद चतुर्वेदी वीरता पदक से सम्मानित, मुंबई शूटआउट को बताया अपने सेवा कालका यादगार अवसर!

डॉ0 अरविंद चतुर्वेदी आईपीएस

मैं बड़ी विनम्रता के साथ यह साझा करने में प्रफुल्लित और गौरवान्वित हूँ कि मुझे स्वतंत्रता दिवस 2020 को वीरता के लिये पुलिस पदक हेतु पहले Bar (दूसरा पदक) से सम्मानित किया गया है । यह पदक मेरे उ0प्र0 एस0टी0एफ0 के कार्यकाल के दौरान सबसे यादगार मामलों में से एक, अप्रैल 2006 में मुम्बई में कुख्यात अपराधी फिरदौस के साथ हुई मुठभेड़ के लिये दिया गया है।

गृह सचिव, उ0प्र0 श्री एस0के0 भगत, तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ एवं पुलिस महानिरीक्षक उ0प्र0 भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड श्री विजय भूषण, तत्कालीन अपर पुलिस अधीक्षक एसटीएफ के कुशल मार्गदर्शन एवं समर्थन से उक्त ऑपरेशन किया गया था। कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी गैंग के सक्रिय सदस्य फिरदौस उर्फ मोटा उर्फ जावेद उर्फ राजू उर्फ इरफान उर्फ अफरोज उर्फ राजेश कुमार सिंह का नाम कोलकाता से मुगलसराय तक कोयला व्यवसाइयों के बीच आतंक का पर्याय बन चुका था। जब फिरदौस व्यवसाइयों को VIOP Call  करके कहता था कि सेठ तुम्हारे बच्चे को आज उसके स्कूल में पहचनवा लिया है, जल्दी ही अपहरण करूंगा वर्ना पैसा पहुंचा दो तो व्यापारियों में खौफ की लहर दौड़ जाती थी।

वह दर्जनों गम्भीर अपराध में संलिप्त रहा था, जिनमें सर्वाधिक लोमहर्षक घटना गाजीपुर से बीजेपी के निवर्तमान विधायक श्री कृष्णानन्द राय की 29 नवम्बर, 2005 को हुई हत्या थी। ए0के0-47 रायफल की तड़तड़ाहट से निकली आग में उक्त विधायक और दो पुलिस कर्मियों सहित 07 लोगों की हत्या की गयी थी। इस लोमहर्षक घटना में आरोपी 50 हजार के इनामी फिरदौस की गिरफ्तारी की जिम्मेदारी यू0पी0 एसटीएफ को दी गयी थी। मेरे नेतृत्व में गठित टीम ने इलेक्ट्रानिक सर्विलान्स और जमीनी सूचना एकत्र करने का काम शुरू किया। फिरदौस मोबाइल टेक्नोलॉजी का अच्छा जानकार था और वर्ष 2005 में उन चुनिन्दा अपराधियों में से एक था, जो पुलिस की सर्विलान्स की पकड़ से दूर रहने के लिये वीओआईपी कॉल का इस्तेमाल करते थे। इस कारण मेरी टीम के लिये वह एक बड़ी चुनौती बन गया था, जो तत्कालीन एक अत्यन्त चर्चित राजनैतिक हत्या और माफियासी केस का मुख्य अभियुक्त था।

योजनाबद्ध ढंग से हमारी टीम ने उसके सभी डिजिटल इनपुट्स जुटाने शुरू किये और हमने उसके द्वारा की जाने वाली गलतियों पर ध्यान केन्द्रित किया। महीनों के परिश्रम और विस्तृत जमीनी निगरानी के बाद हमारी टीम फिरदौस को मुम्बई के भीड़-भाड़ वाले इलाके लिंक मलाड में 19 अप्रैल, 2006 को घेरने में सफल हुई। अपने आपको एसटीएफ से घिरा देखकर फिरदौस ने पुलिस टीम पर दिन दहाड़े गोली चलायी। आत्मरक्षार्थ प्रत्युत्तर में चलायी गयी गोलियों से फिरदौस घायल हुआ। उसे तत्काल नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। इस प्रकार अपराध जगत से एक अत्यन्त खूंखार अपराधी कम हो गया।

मैंने अपनी पुलिस सेवा में, विशेष कर स्पेशल टास्क फोर्स में तैनाती के दौरान अपराधियों के खिलाफ सैकड़ों अभियानों का नेतृत्व किया। इस दौरान मैंने पाया कि अपराधियों द्वारा प्रयोग की जाने वाली तकनीक, अपराध का स्वरूप, अपराधियों का माइन्ड सेट, उनके द्वारा किये जाने वाले अपराधों की व्यापकता लगातार बढ़ती है और इसीलिये अपराधों का अनावरण और उनका अन्वेषण भी पुलिस के लिये एक बढ़ती हुई चुनौती बनता जा रहा है। फिरदौस की तलाश और उसके विरूद्ध किये गये एक्शन में पुलिस उपाधीक्षक गण सर्वश्री पी0के0 मिश्रा, आई0पी0 सिंह, तत्कालीन निरीक्षकों का अभूतपूर्वक योगदान रहा और वे पूरे अभियान की रीढ़ रहे।

श्री पी0के0 मिश्रा द्वारा डिजिटल डाटा के गहन विश्लेषण के कारण ही यह जटिल ऑपरेशन संभव हो सका, लेकिन इस पूरे ऑपरेशन की धुरी पुलिस उपाधीक्षक श्री धनंजय मिश्रा, तत्कालीन उपनिरीक्षक रहे, जिन्होंने उत्कृष्टतम फील्ड वर्क से प्रायः लुप्त हो चुके दुर्दान्त अपराधी फिरदौस को ट्रेस किया और वीरतापूर्वक अग्रिम पंक्ति में रहते हुये मुठभेड़ की। मुझे विश्वास है कि कड़ी मेहनत और लगन से मिली इस सफलता को हम सब जीवन पर्यन्त याद रखेंगे और हमें अग्रेतर कार्यों के लिये प्रोत्साहित करती रहेगी।

मैं अपने आपको सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे अत्यन्त समर्पित सहकर्मियों, उत्साहित करने वाले वरिष्ठ अधिकारियों और पुलिस सेवा में उत्कृष्टतम कार्य करने के लिये प्रेरित करने वाले मेंटर्स मिले, जिसके कारण मैं विभिन्न क्षेत्रों में उच्च स्तरीय कार्य कर सका। मुझे इस बात का परम संतोष है कि मैंने विगत दो दशकों में जो भी अभियान अपने हाथ में लिये, उसे मैं पूरे उत्साह, परिश्रम और ईमानदारी से सम्पन्न कर सका। आज अवसर है कि मैं अपने उन सारे शुभ- चिन्तकों, समर्थकों, मार्गदर्शकों के प्रति हृदय से आभार व्यक्त कर रहा हूं, जिन्होंने मुझमें ऐसा उत्साह भरा कि मैं अभी तक मिले सभी व्यावसायिक चुनौतियों को सफलतापूर्वक पूरा कर सका।

डॉ0 अरविन्द चतुर्वेदी इस समय पुलिस अधीक्षक के पद पर जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश में तैनात हैं।

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