आपको अपने टेलीविजन की पैदाइश और उसकी तरक्की के बारे में यह जरूरी बातें जरूर जानना चाहिए!

जॉन लोगी बेयर्ड टीवी के आविष्कारक

विश्व टेलीविजन दिवस पर पढ़िए आराधना शुक्ला की खास रिपोर्ट

21 नवंबर को दुनियाभर में टेलीविजन दिवस मनाया गया , टेलीविजन जनसंपर्क का एक ऐसा माध्यम है, जो शिक्षा, समाचार, मनोरंजन आदि से हमें अवगत करवाता है। यह दो या तीन आयामों और ध्वनि में चलती छवियों को प्रसारित करने का एक माध्यम है। इसमें कोई शक नहीं है कि यह शिक्षा और मनोरंजन दोनों का एक अच्छा स्रोत है। यह सूचना पहुंचाकर समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार टेलीविजन, वीडियो कंजक्शन का सबसे बड़ा स्रोत है।वर्ष 2017 में दुनिया भर के घरों में टीवी की संख्या 1.63 मिलियन है,जो 2023 तक बढ़कर 1.73 बिलियन हो जाएगी। विश्व टेलीविजन दिवस दृश्य मीडिया की शक्ति की याद दिलाता है ,और यह जनमत को आकार देने और विश्व राजनीति को प्रभावित करने में मदद करता है।

टीवी पहले भारी भरकम आकार की हुआ करती थी। आज वह एलसीडी के रूप में और हमारे मोबाइल फोन के माध्यम से हमारी हथेली में आ चुकी है। टीवी के सफर की शुरुआती शुरुआती दिनों में इसका बहुत विरोध हुआ था, क्योंकि तब जमाना था रेडियो का। फिर समय के साथ-साथ लोगों में इसकी दीवानगी बढ़ती गई और सिर्फ भारत में ही 1962 में 41 टीवी सेट और एक चैनल से टीवी की शुरुआत हुई। 90 के दशक के शुरुआत होते- होते लगभग सात लगभग सात करोड़ भारतीयों के घरों में टेलीविजन ने अपनी जगह सुनिश्चित कर ली थी।

टेलीविजन दिवस क्यों मनाया जाता है?

21 और 22 नवंबर 1996 को यूएन ने पहला विश्व टेलीविजन मंच आयोजित किया था। इससे मीडिया को टीवी के महत्व पर चर्चा करने का एक प्लेटफार्म मिला।टेलीविजन से दुनिया को बदलने में कैसे मदद मिल रही है, पर भी चर्चा हुई।टीवी वीडियो इस्तेमाल का सबसे बड़ा स्रोत है इसलिए 17 दिसंबर 1996 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव पारित किया गया और 21 नवंबर को विश्व टेलीविजन दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया गया।

पहला टीवी

टीवी का आविष्कार स्कॉटलैंड में जन्मे जॉन लोगी बेयर्ड ने 1924 में किया था।उन्होंने टिन के बिस्किट, सिलाई की सुई, कार्डबोर्ड और बिजली के पंखे की मोटर का इस्तेमाल करके पहला टीवी बनाया था। टेलीविजन के रिमोट कंट्रोल का आविष्कार यूजीन पोली ने किया था। 1950 में रिमोट कंट्रोल वाला पहला टीवी बाजार में आया इसका रिमोट तार के जरिए टीवी सेट से जुड़ा रहता था। फिर इसके 5 साल बाद 1955 में वायरलेस रिमोट कंट्रोल वाला टीवी आया।


पहला कलर टीवी : सिर्फ 500 यूनिट हुए थे तैयार, कीमत थी 6200 रु.

पहली तस्वीर जो टीवी पर दिखी थी

मार्च 1954 में वेस्टिंगहाउस ने पहला कलर टीवी सेट बनाया। शुरुआती तौर पर इसके सिर्फ 500 यूनिट्स ही बनाए गए थे। इसकी समय इसकी कीमत करीब 6,200 रुपए थी। यानी कह सकते हैं कि उस समय यह आम लोगों की पहुंच से बाहर थी।
इसके कुछ समय अमेरिकन इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी आरसीए ने कलर टीवी CT-100 को पेश किया, कीमत लगभग 5 हजार रुपए थी। कंपनी ने इसके 4 हजार यूनिट तैयार किए थे। इसके बाद अमेरिकन कंपनी जनरल इलेक्ट्रॉनिक्स ने अपना 15 इंच का कलर टीवी पेश किया, जिसकी कीमत लगभग 5 हजार रुपए थी।

भारत का पहला खरीदार : कोलकाता की नियोगी फैमिली ने खरीदा था।

इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग के छात्र बी शिवाकुमारन ने चेन्नई में हुए एक एग्जीबिशन में पहली बार टीवी को पेश किया था। यह एक कैथोड-रे ट्यूब वाला टीवी था। हालांकि इससे जरिए ब्रॉडकास्ट नहीं किया गया, लेकिन इसे भारत की पहली टीवी के तौर पर पहचान मिली। भारत में पहला टेलीविजन कोलकत्ता की एक अमीर नियोगी फैमिली ने खरीदा था।
पहली बार : भारत में टीवी देखने के लिए सड़कों पर कर्फ्यू जैसा सन्नाटा-भारत में टेलीविजन के इतिहास की कहानी दूरदर्शन से ही शुरू होती है। दूरदर्शन की स्थापना 15 सितंबर 1959 को हुई थी। भले ही आज टीवी पर हजारों चैनल्स की भरमार हो लेकिन उस दौर में दूरदर्शन ने जितनी लोकप्रियता हासिल की उसे टक्कर दे पाना मुश्किल है। दूरदर्शन का नाम पहले ‘टेलीविजन इंडिया’ था। 1975 में इसका हिंदी नामकरण ‘दूरदर्शन’ के रूप में किया गया। शुरुआती दौर में दूरदर्शन पर हफ्ते में सिर्फ तीन दिन आधा-आधा घंटा ही प्रसारणहुआ करता था। 1959 में शुरू हुए दूरदर्शन का 1965 में रोजाना प्रसारण होना शुरू हुआ। 1986 में शुरू हुए रामायण और महाभारत जैसे सीरियल्स को देखने के लिए लोगों में इतना उत्साह रहता था कि इस दौरान हर रविवार को सुबह देश भर की सड़कों पर कर्फ्यू जैसा सन्नाटा पसर जाता था। कार्यक्रम शुरू होने के पहले न सिर्फ लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करके अगरबत्ती और दीप जलाकर रामायण का इंतजार करते थे, बल्कि एपिसोड खत्म होने पर बाकायदा प्रसाद भी बांटते थे।

पहला बुलेटिन : 1954 में टीवी पर पढ़ा गया बुलेटिन

5 जुलाई 1954 में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) ने पहली बार टेलीविजन पर डेली न्यूज बुलेटिन का प्रसारण किया गया। उस दौरान टीवी पर एंकर की बजाए सिर्फ फोटो और नक्शे ही दिखाई देते थे। तर्क यह था कि न्यूज एंकर का चेहरा देखने से समाचार जैसी गंभीर चीज से लोगों का ध्यान भटकता है। उस समय 20 मिनट के इस न्यूज बुलेटिन को रिचर्ड बैकर ने पढ़ा था। हालांकि इसके तीन साल बाद उन्हें स्क्रीन पर दिखने का मौका मिला था। टेलीविजन का महत्व टेलीविजन जनसंचार का सरल व सस्ता मध्यम है।यह मनोरंजन का सबसे आसान माध्यम भी है।आज के इस युग में टेलीविजन के माध्यम से ही हम विश्वभर की सभी जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। घर बैठे-बैठे या मोबाइल फोन के माध्यम से हम अपने शहर, प्रदेश, तथा देश-विदेश की तमाम खबरों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।इसके अलावा कई सारे ब्रॉडकास्ट चैनल भी हैं जिनके माध्यम से कई ज्ञानवर्धक प्रोग्राम दिखाए जाते हैं। वैसे टीवी ने हर घर में अपनी जगह बना ली है,लेकिन रेडियो और न्यूज़पेपर का अपना महत्व आज भी बना हुआ है,और इन तीनों ही माध्यमों को एक साथ लाने का काम किया है मोबाइल फोन ने।