रिपोर्ट – आराधना शुक्ला
कोरोना महामारी के चलते देशव्यापी लॉक डाउन जब एक बार फिर जब बढ़ा तो राज्यों के सामने कमाई की समस्या एक बार फ़िर खड़ी हो गयी। राज्य सरकारे पहले से ही राजस्व में हो रही कमी के चलते परेशान थी। ऐसे में लॉक डाउन 3.0 में अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए केंद्र की तरफ से नए दिशा-निर्देश जारी किये गए, जिसमें शराब की दुकानें खोलना एक महत्वपूर्ण फ़ैसला था।
राज्य सरकारों को आबकारी विभाग से अच्छी आमदनी प्राप्त होती है। इसी कमाई पर हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई जिसके तथ्य चौंकाने वाले हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार देश भर में कुल शराब की खपत का आधा दक्षिण भारत के पांच राज्य ही उपभोग कर जाते हैं इसके बावजूद शराब से मिलने वाले राजस्व सिर्फ 10-15% ही है।
राज्यों की कमाई के स्रोत- राज्यों को कमाई भू राजस्व, पेट्रोल-डीजल पर लगने वाला वैट या सेल्स टैक्स, स्टेट जीएसटी, शराब पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी और गाड़ियों पर लगने वाले कई अन्य प्रकार के करो से होती है। लॉक डाउन का असर राज्यों की कमाई पर सीधा पड़ा है न तो डीजल-पेट्रोल की बिक्री हो रही है और न ही आबकारी विभाग से मुनाफा हो रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए लॉक डाउन 3.0 में कंटेनमेंट जोन छोड़कर सारे जोनों में शराब की दुकानें खोलने का आदेश दिया गया था।
कुछ राज्यों मसलन राजस्थान और दिल्ली सरकार ने शराब पर कोरोना टैक्स भी लगाया है जिससे उनकी आमदनी में इजाफा हो सके।
राजधानी दिल्ली को शराब की बिक्री से होने वाला मुनाफा- दिल्ली सरकार ने शराब की बोतलों पर 70% “कोविड-19 टैक्स” लगाया है। जो शराब की बोतल पहले 1000 मे मिलती थी अब 1700 में मिल रही है। लॉक डाउन के पहले दिल्ली को करीब 500 करोड रुपए का राजस्व आबकारी विभाग से प्राप्त होता था। जिस हिसाब से दिल्ली में इस समय शराब की बिक्री हो रही है उसको देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि करीब साढ़े तीन सौ करोड का मुनाफा सरकार को हो सकता है।
दिल्ली सरकार ने बजट 2020-21 के लिए आबकारी राजस्व 6300 करोड का तय किया था। लॉक डाउन के पहले फरवरी 2020 तक शराब की बिक्री से सरकार को 4669 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था। सरकार ने जब शराब की दुकानें खोलनें का फैसला किया था तब उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि, दुकानों पर इतनी भीड़ इकट्ठी हो जाएगी। सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ते देख महाराष्ट्र सरकार ने दो दिन के भीतर ही दुकानें बंद करवा दी।
जोमैटो दिल्ली में शराब की होम डिलीवरी करने का विचार कर रही है। वहीं दूसरी तरफ पंजाब सरकार ने शराब की होम डिलीवरी कराने का फैसला भी कर लिया है। रायटर्स में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार जोमैटो के फूड डिलीवरी के सीईओ मोहित गुप्ता ने एक बिजनेस पोर्टल पर लिखा है कि टेक्नोलॉजी इनबिल्ट होम डिलीवरी बेस्ट सलूशन से शराब की खपत को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि भारत में अभी शराब की होम डिलीवरी के लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। तमिलनाडु में शराब की सर्वाधिक खपत- दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु में 13 प्रतिशत शराब का उपभोग किया जाता है। वहीं कर्नाटक में 12 फ़ीसदी की खपत होती है। शराब पर लगने वाला टैक्स सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में वसूला जाता है जबकि राज्य के राजस्व में इसका योगदान मात्र आठ फ़ीसदी ही है।