कई महीने रहेगा “कोरोना”, वैज्ञानिकों के पांच सुझाव जिनसे आप सुरक्षित रहेंगे! The Indian Opinion

रिपोर्ट – आराधना शुक्ला

कुछ दिनों पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि यह वायरस इतनी जल्दी जाने वाला नहीं है अब हमें इसी के साथ जीने की आदत डालनी होगी। भारत में जब 25 मार्च से लॉकडाउन की शुरुआत हुई थी तब लोगों को इसके हटने के आसार कम ही लग रहे थे। ऐसा इसलिए भी था कि लॉक डाउन के बाद भी कोरोना का संक्रमण बढ़ता ही जा रहा हैl भारत में संक्रमित ओं की संख्या 200000 से ऊपर पहुंच चुकी है और लगभग साढे 5000 लोग अपनी जान गवा चुके हैं। हालांकि करीब 1 लाख लोग इस बीमारी से इलाज करवा के स्वस्थ भी हो चुके हैं।


1 जून से शुरू हुए अनलॉक 1.0 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की बातें सार्थक होती नजर आ रही हैं। अब सरकार भी मानने लगी है कि लंबे समय तक लॉक डाउन देश की आर्थिक सेहत के लिए सही नहीं है। अब लोगों को सरकार और विशेषज्ञों द्वारा जारी सलाह को मानकर उनके साथ ही जीना होगा। यह एक नए जीन जनजीवन के रहन-सहन की रूपरेखा तय करने वाला होगा क्योंकि यह सब एक लंबी चलने वाली प्रक्रिया है। विशेषज्ञ और अधिकारी पहले ही सुझाव दे चुके हैं कि हमें निश्चित रूप से वायरस के साथ ही जीना सीखना होगा। वैक्सीन बनने में अभी कितना समय लगेगा इस पर अभी कोई स्पष्टता नहीं है इसलिए हमें एक तरीके की सामान्य स्थिति में रहना होगा।

‘इंडिया साइंस वायर’  से बात करते हुए भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजय राघवन ने वायरस के साथ ही जीने के संबंध में सलाह दी है। प्रोफेसर कहते हैं, ‘या तो हमें वायरस को बदलना होगा या अनिवार्य रूप से हमें खुद बदल लेना चाहिए।’ दवाओं और टीके का अनुसंधान एवं विकास प्रगति पर है लेकिन अभी उनकी उपलब्धता में समय लगेगा।इस बीच हम महामारी का सामना करने के लिए खुद को बदल सकते हैं।

*प्रोफेसर राघवन द्वारा दी गई पांच सलाह
(1). जब कभी घर से बाहर निकले मास्क लगाएं- हाल में हुए अध्ययनों से पता चला है कि जब भी कोई व्यक्ति बोलता है तो लार की लगभग 1000 छोटी बूंदे बाहर आती हैं ऐसे में अगर कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है तो इनमें से प्रत्येक बूंद में हजारों विषाणु होंगे। बड़ी बूंद आमतौर पर एक मीटर की दूरी पर गिर पड़ेगी लेकिन जो छोटी बूंदे होंगी उनका पल्म हवा में लंबे समय तक तैरता रह सकता है। खासकर ऐसे क्षेत्र में जहां हवा की समुचित व्यवस्था नहीं है। कई ऐसे भी लोग हैं जिनमें कोरोना का कोई लक्षण नजर नहीं आता है तो उन्हें पता ही नहीं चलता है कि वह संक्रमित हैं। ऐसे में अगर वह व्यक्ति बिना मास्क लगाए बाहर निकलता है तो वह दूसरे लोगों में भी वायरस का संक्रमण फैला सकता है इसलिए मास्क पहनना जरूरी है। प्रो. राघवन कहते हैं, “हमने घर में मास्क बनानें के लिए एक हैण्ड बुक  तैयार की है जिसका उपयोग लोग अपना खुद का चेहरा ढकने के लिए कर सकते हैं।”

(2). हाथ की स्वच्छता बेहद जरूरी- विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेतृत्व में चीन में 75,065 कोरोना मामलों पर किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि कोरोना वायरस मुख्य रूप से लोगों के बीच श्वसन बूंदों एवं संपर्क माध्यमों से संक्रमित होता है। इस प्रकार कोरोना वायरस तब तक नहीं फैल सकता जब तक कि हम संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क अथवा उसके द्वारा छू गई वस्तुओं को न छुएं। आम तौर पर हमारी आदत होती है अपने चेहरे को छूते रहने की इसलिए हाथ को बार-बार 30 सेकंड तक साबुन या हैंड वॉश अच्छी तरह धोते रहना  चाहिए।
प्रोफेसर राघवन का कहना है कि कोरोना वायरस मुंह एवं मल के रास्ते से भी संक्रमण कर सकता है इसलिए हाथों और पैरों को धोते रहना जरूरी है।

(3). सामाजिक दूरी बनाकर रखें- आमतौर पर देखा गया है कि संक्रमित व्यक्ति के एक मीटर के दायरे में संपर्क में आने से कोरोना वायरस के प्रसार का खतरा सबसे ज्यादा होता है। क्योंकि उसके द्वारा सांस की बूंदों के माध्यम से वायरस हवा के द्वारा एक मीटर तक फैल जाता है। इसलिए बाजारों, कार्यालयों और सार्वजनिक परिवहन में प्रत्येक व्यक्ति के बीच एक मीटर की दूरी आवश्यक है।
प्रो. राघवन का मानना है कि युवा व्यक्ति अगर संक्रमित है तो काफी संभावना है कि उसमें  कोरोना के लक्षण नहीं दिखें किंतु ऐसे लोग बच्चों और बुजुर्गों को संक्रमित कर सकते हैं। इसलिए सामाजिक दूरी बनाकर रखने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

(4). परीक्षण एवं ट्रैकिंग-  प्रोफेसर राघवन कहते हैं अगर कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित हो जाता है तो इसके बाद बेहद जरूरी है कि तत्काल उस व्यक्ति के निकट संपर्क वाले लोगों की पहचान की जाए और उनका टेस्ट भी करवाया जाए। यह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है इसलिए टेस्ट कराना जरूरी कदम है।

(5).आइसोलेशन- प्रो. राघवन के अनुसार जिन लोगों का टेस्ट पॉजिटिव आता है उन्हें आइसोलेशन में रखा जाना चाहिए। एक बार ऐसा किए जाने के बाद उसकी उचित चिकित्सकीय देखभाल की जा सकती है और वे दूसरे व्यक्तियों में वायरस भी नहीं फैला पाएंगे।

प्रो. राघवन ने पांचवी सलाह को त्वरित गति से अनुसरण करनें और बाकी चारों सलाहों को अनिवार्य रूप से पालन करने को कहा है। ऐसा इसलिए भी जरुरी है कि हम ज्यादा परेशान हुए बिना दवाओं और वैक्सीन का इंतजार कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि हम इन पांचों बिंदुओं में से किसी एक को भी भूल जाते हैं तो हमारे सामने समस्या बढ़ जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि अन्य देशों की तुलना में भारत की स्थितियां अलग हैं। यहाँ शारीरिक दूरी बनाकर रखना कठिन हो जाता है। यहां मुंबई में धारावी जैसी जगह भी हैं जहां घनी आबादी में बहुत से लोग रहते हैं।

भारत सरकार के कार्यालय नें घनी आबादी वाले क्षेत्रों में सफाई एवं स्वच्छता के लिए दिशानिर्देश के लिए सुरक्षा कवर पर एक नियमावली तैयार की है। इसको भारत सरकार की वेबसाइट से सभी भारतीय भाषाओं में डाउनलोड किया जा सकता है।

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