DelhiRiots: क्या राष्ट्रीय राजधानी की सुरक्षा में विफल रहे गृहमंत्री?अब तक 38 की मौत, जांच के लिए एसआईटी का गठन!

देवव्रत शर्मा-

दिल्ली में बेकाबू हिंसा यह बता रही है कि वहां गृह युद्ध जैसे हालात बन गए हैं।
हालांकि गृह मंत्रालय का दावा है कि पिछले 36 घंटों में कोई बड़ी वारदात नहीं हुई है लेकिन अब तक मृतकों की संख्या बढ़कर 38 हो चुकी है।

देश की राजधानी दिल्ली में लगातार 3 दिनों तक हुई भयंकर हिंसा ने यह साबित कर दिया है कि देश की आंतरिक सुरक्षा को बनाए रखने में अभी बहुत सी कमियां बाकी हैं बहुत से काम करने हैं बहुत सी चुनौतियों का सामना करना है और आजादी के इतने दशकों बाद भी हमारे देश का गृह मंत्रालय देश की फुल प्रूफ आंतरिक सुरक्षा की योजना को अमल में नहीं ला पाया है।

भारत जैसे मिश्रित जनसंख्या वाले देश में निश्चित तौर पर सांप्रदायिक हिंसा एक बड़ी समस्या है और यह समस्या नई नहीं है आजादी के पहले से इस देश में मजहबी दंगे होते आए हैं लेकिन आज तक इस देश की सरकारों ने दंगों को कम से कम समय में नियंत्रित करने के लिए और जानमाल के नुकसान रोकने के लिए कोई भी ठोस कार्ययोजना नहीं बनाई।
जब दर्जनों लोगों की मौत हो जाती है जब अरबों की संपत्ति का नुकसान हो जाता है और जब देश दुनिया में कानून व्यवस्था का माखौल बन जाता है तब जाकर धीरे-धीरे दंगों की आग ठंडी होती है।

पिछले 2 महीनों से भी ज्यादा समय से देश के कई हिस्सों में नागरिकता कानून के विरोध को लेकर सांप्रदायिक तनाव फैलाया जा रहा था कई जहां हिंसक संघर्ष भी हुए लेकिन इसके बावजूद देश के गृह मंत्रालय ने कोई सबक नहीं लिया और गोपनीय सूचना तंत्र को मजबूत करके हिंसा और अराजकता फैलाने वाले तत्वों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने में गृह मंत्रालय सफल नहीं रहा , यही वजह है कि देश विरोधी ताकतों को देश की राजधानी दिल्ली में आग लगाने का पूरा मौका मिल गया।

वह दिल्ली जा पूरे देश की सरकार बैठती है वह दिल्ली जो पूरे देश की शान है वह दिल्ली मासूमों के खून से लाल हो गई, उस दिल्ली में पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो के जवानों की भी हत्या हो गई।

दिल्ली में कई दिनों तक दंगे होना इसलिए बेहद शर्मनाक है बेहद गंभीर बात है क्योंकि दिल्ली दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की राजधानी है।

दिल्ली में सुरक्षा तंत्र का इस तरह दंगाइयों के आगे पराजित होना यह साबित करता है कि पूरे देश का सुरक्षा तंत्र बेहद ही कमजोर हालत में है और गृह मंत्रालय को दिल्ली की बदहाली के लिए इसलिए जिम्मेदार ठहराया जाना उचित है ,क्योंकि दिल्ली पुलिस सीधे तौर पर गृह मंत्रालय के नियंत्रण में है गृह मंत्री के नियंत्रण में है और दिल्ली पुलिस यदि 3 दिनों तक दिल्ली को सुलगने से नहीं बचा पाई तो इसका मतलब देश का गृह मंत्रालय दिल्ली पुलिस को अभी तक इतना मजबूत नहीं बना पाया जितनी मजबूती दिल्ली की हिफाजत के लिए जरूरी है।

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