रिपोर्ट – आदित्य कुमार
निजी अस्पतालों और संक्रमित लोगों की शुरुआती लापरवाही की वजह से आगरा की स्थिति उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा चिंताजनक बनी हुई है।
आगरा में कोरोना पीड़ित मरीजों की संख्या 700 से ऊपर हो गई है और अब तक आगरा में 23 लोगों की मौत भी कोरोना के चलते हो चुकी है आगरा का जिला प्रशासन अब तक साढे आठ हजार से ज्यादा लोगों की कोरोना जांच करवा चुका है वहीं बड़ी संख्या में लोगों को क्वॉरेंटाइन सेंटरों और आइसोलेशन सेंटरों में रखा गया है।
बाहर से आने वाले छात्रों यात्रियों और प्रवासी मजदूरों ने प्रशासन की चुनौती को और अधिक बढ़ा दिया है क्योंकि बड़ी संख्या में लोगों को 15 दिनों तक क्वॉरेंटाइन सेंटरों में रखना उन्हें भोजन और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना भी अपने आप में बड़ी चुनौती है फिर भी सरकारी तंत्र के लोग पूरा संघर्ष कर रहे हैं।
आगरा के जिला अधिकारी पीएन सिंह लगातार हॉटस्पॉट क्षेत्रों क्वॉरेंटाइन सेंटर और अस्पतालों का निरीक्षण कर रहे हैं स्थानीय डॉक्टर और समाजसेवियों ने भी लोगों से अपील की है कि अगले कई महीनों तक बहुत सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि जब तक कोई प्रभावी वैक्सीन दवा समय नहीं आ जाती तब तक सोशल डिस्टेंसिंग और हाइजीन के जरिए खुद को सुरक्षित रखना ही एकमात्र उपाय है।
दरअसल आगरा में कई मोहल्ले बेहद घनी आबादी वाले हैं और वहां लोगों ने शुरू में कोरोना को लेकर लापरवाही बरती। जिला प्रशासन ने भी शुरुआत में ज्यादा सख्ती नहीं की और एक निजी अस्पताल में कथित तौर पर कोरोना मरीज का चोरी-छिपे इलाज किया जा रहा था जिसकी वजह से बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो गए और संक्रमित लोगों को चिन्हित करने में देरी होने की वजह से और भी लोग संक्रमित होते चले गए।
डॉक्टरों ने लोगों को लॉक डाउनलोड सोशल डिस्टेंसिंग का गंभीरता से पालन करते हुए संतुलित भोजन और नियमित व्यायाम की सलाह दी है।