छत्तीसगढ़ के सीएम और देश के गृहमंत्री पर कलंक: 22 जवानों को मार डाला हथियार भी लूट लिए!

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जनपद में एक बार फिर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और देश के गृह मंत्री अमित शाह की नाकामी के चलते बहादुर जवानों ने अपना बलिदान दिया है।

खून के प्यासे नक्सलियों और आतंकियों के आगे ढुलमुल रवैया अपनाने वाले गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कि गलत कार्यशैली के चलते नक्सली लगातार सुरक्षाकर्मियों पर हावी हो रहे हैं ।

पिछले कई वर्षों में हुई खतरनाक घटनाओं से सबक ना लेने के चलते एक बार फिर नक्सलियों ने आज घात लगाकर हमला किया जिसमें 22 सुरक्षाकर्मी मारे गए कहा जा रहा है कि सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई में कई नक्सली भी मारे गए हैं ।

लेकिन यह चिंता की बात है कि देश के कई प्रदेशों में दर्जनों जनपदों में सक्रिय हथियारबंद नक्सलियों की ताकत लगातार बढ़ती जा रही है और उनके द्वारा सुरक्षाबलों के जवानों की हत्या की घटनाएं भी बढ़ती जा रही हैं बीजापुर में हुई नक्सली वारदात एक बार फिर देश के गृह मंत्रालय की कार्यशैली पर एक बड़ा तमाचा है।
पिछले कुछ वर्षों में नक्सलियों के द्वारा सुरक्षाबलों आम जनता और नेताओं की हत्याओं की घटनाओं पर नजर डालें तो यह साबित होता है कि देश का सुरक्षा तंत्र आतंकी और नक्सलियों के आगे लापरवाह साबित हो रहा है और सुरक्षा का नेतृत्व संभालने वाले नेता इस समस्या का ठोस समाधान देने में विफल रहे हैं जिसके चलते देश के साधारण परिवारों के बच्चे देश के बहादुर जवान लगातार शहीद हो रहे हैं और हजारों जवानों के बलिदान के बावजूद यह समस्या बढ़ती जा रही है।

छत्तीसगढ़ में अब तक हुए बड़े नक्सली हमले..

-28 फरवरी 2006 को नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के एर्राबोर गांव में लैंडमाइन ब्लास्ट किया, जिसमें 25 जवानों की जान गई थी.

-16 जुलाई 2006 को नक्सलियों ने दंतेवाड़ा जिले में एक राहत शिविर पर हमला किया था, जहां कई ग्रामीणों का अपहरण कर लिया गया था. इस हमले में 29 लोगों की जान गई थी.

-15 मार्च साल 2007 में नक्सलियों ने फिर बड़ा हमला किया. बस्तर क्षेत्र में पुलिस बेस कैंप पर करीब 350 की संख्या में नक्सलियों ने हमला किया. इस हमले में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल (CAF) के 15 जवान शहीद हुए थे, 9 सलवा जुडूम के आदिवासी युवक थे, जिन्हें विशेष पुलिस अधिकारी (SPO) के रूप में नामित किया गया था. 11 लोग घायल भी हुए थे. इस अटैक में हथियारों से लैस 100 नक्सली शामिल थे.

-6 अप्रैल 2010, ये दिन कोई नहीं भूल सकता है. इस दिन नक्सलियों ने दंतेवाड़ा के ताड़मेटला में एक के बाद एक ब्लास्ट किए. इस हमले में हमने 76 जवानों को खो दिया था. इसमें 75 अर्धसैनिक बल के जवान और राज्य पुलिस का एक सिपाही शहीद हुआ था.

-8 मई 2010 छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने पुलिस की एक गाड़ी को उड़ा दिया था, जिसमें भारतीय अर्धसैनिक बल के 8 जवान शहीद हुए थे.

-25 मई, साल 2013 ये दिन हमेशा याद रखा जाएगा. नक्सलियों ने इस दिन खूनी खेल खेलते हुए दरभा की झीरम घाटी में बहुत बड़ा हमला किया. नक्सलियों के इस हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस का पूरा शीर्ष नेतृत्व खत्म हो गया था. प्रदेश कांग्रेस के 25 नेताओं की मौत हुई थी. इस हमले में विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल जैसे बड़े नेताओं को कांग्रेस ने खोया था.

-28 फरवरी 2014 को नक्सल हमले में एक SHO समेत 6 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे.11 मार्च 2014 को छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में झीरम घाटी के घने जंगलों में नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया था. इसमें सीआरपीएफ के 11 जवान और 4 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे. एक नागरिक की भी मौत हुई थी.

-1 मार्च 2017 नक्सलियों के हमले में अर्धसैनिक बल के 11 कमांडो शहीद हुए थे, 3 पुलिसकर्मी घायल हुए थे.

-22 मार्च 2017 को दंतेवाड़ा जिले में सुरक्षा बलों के साथ गोलीबारी में नक्सली मारे गए थे.

-24 अप्रैल 2017 को सुकमा जिले में (CRPF) के अधिकारी सड़क निर्माण करने वालों की रखवाली कर रहे थे. इस दौरान नक्सलियों ने अफसरों पर अटैक कर दिया. इस हमले में (CRPF) के 25 जवान शहीद हो गए और 7 घायल हुए थे. ये उस साल का सबसे बड़ा हमला था.

-27 अप्रैल 2018 को सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ में 7 नक्सली मारे गए.

-27 अक्टूबर 2018 में हुए नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 4 जवान शहीद हुए थे.

-30 अक्टूबर 2018 को दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमेल में दूरदर्शन के कैमरामैन की मौत हुई और 2 जवान शहीद हुए थे.

-9 अप्रैल को नक्सलियों भाजपा विधायक भीमा मंडावी को निशाना बनाया. इस हमले में उनकी जान चली गई.

-4 अगस्त 2019 को मुठभेड़ में 7 नक्सली मारे गए. इसमें 5 महिलाएं और 2 पुरुष शामिल थे.

-22 मार्च 2020 को सुकमा में कोराजडोंगरी के चिंतागुफा के पास नक्सली हमले में 17 जवान शहीद हो गए थे. शहीद होने वाले जवानों में डीआरजी के 12 जवान और एसटीएफ 5 जवान थे.

-28 नवंबर 2020 सुकमा में IED ब्लास्ट की चपेट में असिस्टेंट कमांडेंट नितिन भाले राव और कोबरा बटालियन के 9 जवान शहीद हो गए थे।

घटनाओं की यह सूची स्पष्ट करती है कि देश में सक्रिय खतरनाक नक्सली सेना के प्रति देश का गृह मंत्रालय पूरी तरह लापरवाह बना हुआ है नहीं तो दशकों से बढ़ती जा रही समस्या का समाधान कठोर इच्छाशक्ति और कड़ी कार्यवाही के दम पर  अब तक हो गया होता।

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