कल गृह मंत्री अमित शाह के बुलावे पर किसान नेता उनसे वार्ता के लिए पहुंचे अमित शाह ने किसानों को बताया कि सरकार उनकी समस्याओं को दूर करने के लिए तैयार है और उनकी आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए तीनों नए किसान कानूनों में आवश्यक संशोधन करने के लिए तैयार है लेकिन किसान नेताओं ने किसी भी समझौते से इंकार कर दिया।
किसान नेताओं का साफ कहना है कि वह कानूनों में संशोधन की बात स्वीकार नहीं करेंगे संशोधन के लिए वह शुरुआत में राजी थे लेकिन अब जब वह कई दिनों का प्रदर्शन कर चुके हैं तब वह चाहते हैं कि तीनों कानून पूरी तरह से रद्द किए जाएं यानी तीनों कानून वापस लिए जाएं।
इस मुद्दे पर गतिरोध बन गया और गृह मंत्री अमित शाह के साथ किसान नेताओं की जो उच्च स्तरीय बैठक थी वह बेनतीजा साबित हो गई।
राजनीतिक लड़ाई का रूप ले चुका यह मामला अब बहुत से राजनीतिक दलों के दखलअंदाजी का शिकार हो गया है कांग्रेस अकाली दल समाजवादी पार्टी और भाजपा से नाराज तमाम अन्य राजनीतिक दलों ने भी इस आंदोलन को न सिर्फ अपना समर्थन दिया है बल्कि वह आंदोलन के पक्ष में तमाम तरह के आयोजन कर रहे हैं।
कई बीजेपी नेताओं का यह भी आरोप है कि विपक्षी नेताओं ने सरकार के खिलाफ साजिश करते हुए किसान नेताओं को गुमराह किया है और अपने कार्यकर्ताओं को किसान के वेश में भेजकर सरकार के खिलाफ अराजकता का माहौल बना रहे हैं।
सरकार के कई मंत्रियों कह चुके हैं कि सरकार कानूनों में किसानों की जायज आपत्तियां दूर करने के लिए तैयार है और किसानों की भलाई सरकार का प्रमुख एजेंडा है लेकिन इसके बावजूद कुछ किसान संगठनों के मुखिया वार्ता को सफल नहीं होने दे रहे हैं वह दूसरे किसान संगठनों को भी लगातार सरकार के खिलाफ कठोर रवैया अपनाने के लिए दबाव डाल रहे हैं और कानूनों में संशोधन की बात स्वीकार करने को तैयार नहीं हो रहे समूचे कानून को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
कुल मिलाकर मामला अब समाधान पर नहीं हार जीत पर टिका है और विपक्ष ने भी इस आंदोलन को कुछ इस तरह से हाईजैक कर लिया है कि वह किसी भी मोदी सरकार को नीचा दिखाना चाहते हैं!