दुनिया की बेशर्म खामोशी: लोकतंत्र समर्थक मुसलमानो की हत्या, सरेआम सिर कलम!

लाखों लोकतंत्र समर्थक अफगानी मुसलमानों की जान खतरे में:

अफगानिस्तान में अमेरिका और नाटो सेना बेशर्मी के साथ अधूरा युद्ध छोड़ कर भाग गई लोकतंत्र समर्थक लाखों अफगान नागरिकों की जिंदगी मुश्किल में पड़ गई जिन्होंने नाटो सुरक्षा बलों को अफगानिस्तान में पैर जमाने में मदद की थी ।गौरतलब है कि अफगानिस्तान से इस्लामिक आतंकवाद को समाप्त करने का ऐलान करके अमेरिका और नाटो फोर्सज ने वहां लगभग एक लाख सशस्त्र सुरक्षाकर्मी भेजे थे जिन्होंने दो दशकों तक अफगानिस्तान के अलग-अलग क्षेत्रों में तालिबान से लड़ाई लड़ी और तालिबान को झुकने पर मजबूर किया तालिबान छिप गया था लेकिन छापामार युद्ध करके हमले कर रहा था। इस लड़ाई का बढ़ता खर्चा देखकर और अपनी जवानों की शहादत से परेशान अमेरिका ने लड़ाई को अधूरा छोड़कर बीच में ही भागने का फैसला कर लिया जिस तालिबान को वह दुनिया के लिए खतरा बताता था उसी तालिबान से उसके समझौता कर लिया और अब ज्यादातर अमेरिकी फोर्स तालिबान से वापस जा चुकी । हालत यह है कि तालिबान ने तेजी से आगे बढ़ते हुए अफगानिस्तान के लगभग 80% क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है और प्रतिदिन वह अफगान नागरिक मारे जा रहे हैं तालिबान की क्रूरता और और उसके द्वारा दी जा रही इस्लाम की गलत परिभाषा का विरोध करते हैं ।

20000 अफगान मुसलमानों ने नाटो सेनाओं की मदद के लिए किया था काम:

अफगानिस्तान में बड़ी संख्या में तरक्की पसंद मुसलमान हैं जो वहां राष्ट्रपति अशरफ घनी की सरकार का समर्थन करते हैं लोकतंत्र शांति व्यवस्था महिलाओं और बच्चों के लिए भी मानव अधिकारों का समर्थन करते हैं जबकि तालिबान मानवाधिकारों का विरोधी है वह वहां कबीलाई संस्कृति वाले मध्यकालीन कट्टर इस्लामिक कानून लागू करने की जिद कर रहा है जिसके तहत मानवाधिकार समाप्त हो जाते हैं लड़कियों और महिलाओं की स्थिति दयनीय हो जाती है और पुरुषों को भी बहुत सारे बंधनों में रहना होता है।

अफगान ट्रांसलेटर सोहेल पारदीस को कार से खींचकर सरेआम गर्दन काट कर मारा:

सोहेल पारदीस बहादुर अफगान मुसलमान थे जो कि अफगानिस्तान को तालिबान के आतंक से बचाना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने नाटो फोर्सेज के ट्रांसलेटर के तौर पर काम किया वह स्थानीय भाषा की जानकारी देते थे तालिबान उन्हें लंबे समय से जान से मारने की धमकी दे रहा था काबुल के आगे खोस्त प्रांत की ओर वह अपनी गाड़ी से जा रहे थे इसी बीच तालिबान आतंकियों ने उन्हें घेर कर उनकी गाड़ी पर फायरिंग की और उन्हें गाड़ी से खींचकर बाहर निकाला और सरेआम सबके सामने धारदार हथियार से उनकी गर्दन काट दी गई ।इस घटना से एक बार फिर तालिबान का चेहरा दुनिया के सामने आ गया है, किसी भी विरोधी के लिए अदालत कानून और मानवाधिकारों का कोई स्थान नहीं है जब जहां चाहा जिसकी गर्दन उड़ा दी गोली मारकर हत्या कर दी।

तालिबान में लाखों है लोकतंत्र समर्थक लेकिन सब की जिंदगी खतरे में:

अफगानिस्तान में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से तालिबान की खिलाफत करने वालों की बड़ी संख्या है वहां की कुल लगभग 3:30 करोड़ की आबादी में मुट्ठी भर लोग तालिबान का समर्थन करते हैं क्योंकि उसकी आड़ में उन्हें अराजकता और लूट मारी की आजादी मिल जाती है जबकि आज अधिकांश अफगान नागरिक कानून का राज और शांति व्यवस्था चाहते हैं जिसमें उनके बच्चे उनका परिवार आधुनिक सुख सुविधाओं के साथ दुनिया के अन्य नागरिकों की तरह आगे बढ़ सके। लेकिन तालिबान बंदूक और हैवानियत की ताकत से लोगों को डरा रहा है इसीलिए ज्यादातर अफगान नागरिक तालिबान के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं बता पाते लाखों नागरिकों ने पिछले सालों में तालिबान का विरोध किया उन्हें भरोसा था कि नाटो सेनाएं अफगानिस्तान की तकदीर बदल देंगी लेकिन नाटो के भागने के बाद अफवाह अफगान नागरिक ठगे महसूस कर रहे हैं और उनकी अपनी जिंदगी खतरे में है क्योंकि तालिबान ऐसे सभी लोगों की हत्या का अभियान चला रहा है जिन्होंने किसी रूप में भी उसका विरोध किया था।

एजेंसी…

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