धान रोपाई की “श्री विधि” हैं किसानों के लिए वरदान! विशेषता बताते हुए क्यों भावुक हुए बाराबंकी के एसपी?

बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक डॉ अरविंद चतुर्वेदी के आलेख पर आधारित :

आईपीएस अरविंद चतुर्वेदी

आज जीवन का एक अनूठा अनुभव हुआ, जिसकी कभी कल्पना नहीं की थी। आज मैंने धान की रोपाई की। वस्तुतः राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत चल रही महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के ग्राम तुरकौली थाना मोहम्मदपुर खाला में गणेश स्वयं सहायता समूह की पहल पर “श्री विधि”से धान की रोपाई की गयी।

क्या है किसानों के लिए लाभदायक धान रोपाई की श्री विधि:

System of Rice Intensification (SRI) विधि का विकास, मेडागास्कर से हुआ था और भारत में सबसे पहले वर्ष 2002-03 में गुजरात,आंध्र प्रदेश आदि राज्यों से इसकी शुरुआत हुई। इस विधि में पौधे से पौधे तथा लाइन से लाइन की दूरी 10 इंच रहती है और प्रत्येक पौध में लगभग 450 से 500 बीज आते हैं। परंपरागत धान रोपाई में जहां प्रति एकड़ लगभग 20 किग्रा बीज खर्च होता है, वहीं इस विधि से केवल 2 किग्रा बीज ही लगता है। एक अनुमान के अनुसार इस विधि से लगभग डेढ़ से दो क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार बढ़ जाती है।

कृषकों के परिश्रम और उनकी भूमिका का आभास कर के भावुक हो गए पुलिस अधीक्षक डॉ अरविंद चतुर्वेदी:

लोगों में जन जागरण के माध्यम से इस विधि को लोकप्रिय बनाने के प्रयास राष्ट्रीय स्तर पर किये जा रहे हैं। इसी क्रम में विधायक फतेहपुर श्री साकेन्द्र वर्मा की उपस्थिति में जिलाधिकारी बाराबंकी डॉ0 आदर्श सिंह एवं मुख्य विकास अधिकारी सुश्री मेधा रूपम के साथ मैंने भी उक्त विधि से धान की रोपाई की। मैं टीशर्ट और शॉर्ट्स में था। लबालब पानी से भरे खेत में SRI विधि से धान रोपने के लिए रस्सी का उपयोग किया गया, जिसके हर 10 इंच पर एक लच्छा बंधा था, जिससे कि बीच की दूरी सुनिश्चित की जा सके। एक बारगी जमीन से जुड़े किसान होने की अनुभूति हुई और देश के लाखों- करोड़ों किसानों के प्रति सम्मान का भाव जागृत हो उठा।
धन्य है हमारे देश का किसान….!

बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक डॉ अरविंद चतुर्वेदी ने मंगलवार को जनपद के जिला अधिकारी मुख्य विकास अधिकारी और कुर्सी विधानसभा के विधायक के साथ एक खेत में स्वयं धान की रोपाई की जिसके बाद उन्होंने इस कुछ देर के लिए कृषक जीवन का अनुभव करते हुए एक आलेख से भावुक मन की अभिव्यक्ति की, जिसे इस समाचार में उनके लिखे हुए मूल स्वरूप में ही प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।

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