भारत-चीन के साथ जारी सीमा विवाद का सीधा लाभ भारतीय मोबाइल कंपनियों को होने जा रहा है ,
निर्माण योजना से जुड़े (PLI) योजना के तहत भारत सरकार 49 हजार करोड़ की मदद मोबाइल उद्योग को करने का मन बना रही है , इस कदम से देश मे बन्द होने की कगार पर पहुंच चुकी मोबाइल कंपनियों को पुनर्जीवन मिलने की संभावना बढ़ी है
असल मे पिछले कुछ वर्षों में चीन की ओप्पो, वीवो, शाओमी, जियोनी जैसी कंपनियों ने भारत में 5 हजार से 25 हजार तक सस्ते स्मार्टफोन बेचकर डिक्सन, कार्बन, ऑप्टिमस, सोजो, लावा और माइक्रोमैक्स जैसी स्थानीय कंपनियों को भारी नुकसान पहुंचाया। संसाधनों की कमी और चीनी कंपनियों से गुणवत्ता व तकनीक में मुकाबला न कर पाने की वजह से इनकी बिक्री काफी कम हो गई और ये कंपनियां बंद होने की कगार पर पहुंच गईं।
जबकि इसी जगह समान गुणवत्ता वाले चीनी स्मार्टफोन भारत की अपेक्षा 11 फीसदी तक सस्ते होते हैं। लेकिन सरकार की सख्ती के बाद चीन की कंपनियां अब भारत में विस्तार को लेकर सतर्क हो गई हैं। साथ ही मेक इन इंडिया के तहत आई प्रोत्साहन योजना से भी स्थानीय कंपनियों को दोबारा पांव पसारने में मदद मिलेगी। 22 भारतीय और विदेशी कंपनियों ने योजना का लाभ पाने के लिए आवेदन किया है।
पीएलआई योजना की सबसे बड़ी शर्त यह है कि इसमें प्रोत्साहन का लाभ लेने के लिए कंपनियों को 15 हजार से नीचे के फोन बेचने होंगे। इसका पालन करने वाली कंपनियों को पांच वर्षों तक 4-6 फीसदी का नकद प्रोत्साहन मिलेगा। चूंकि, सैमसंग और एपल जैसी कंपनियों के अधिकतर मोबाइल 15 हजार रुपये से ज्यादा कीमत के होते हैं, तो उन्हें इसका लाभ नहीं मिलेगा। योजना की घोषणा के बाद से ही कई अमेरिकी और कोरियाई कंपनियों ने भारतीय कंपनियों से तकनीकी समझौते पर बातचीत भी शुरू कर दी है।
भारत अभी चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है, लेकिन दोनों के बीच भारी अंतर है। विश्व के 90 फीसदी मोबाइल का निर्माण अभी चीन में होता है। बदलते समीकरण के बीच सैमसंग और एपल जैसी कंपनियां चीन से कारोबार को भारत लाने की तैयारी कर रही हैं।
कंपनियों ने अगले पांच साल में वैश्विक मोबाइल निर्माण का 10 फीसदी भारत में करने का लक्ष्य रखा है। पिछले साल देश में 21.9 करोड़ मोबाइल हैंडसेट बने थे। गूगल और रिलायंस जैसी कंपनियां भारत में कम कीमत पर 5जी मोबाइल सेट बेचने की तैयारी कर रही हैं, जिसकी अधिकतर खरीद स्थानीय कंपनियों से ही किए जाने की उम्मीद है।
रिपोर्ट –रविंनन खजांची/मनीष निगम