प्रधानमंत्री ने सौंपा दुनिया का सबसे ऊंचा सबसे बड़ा हाईवे टनल जो बदलेगा लेह लद्दाख की तस्वीर!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में मनाली-लेह मार्ग पर सामरिक महत्व की 9.02 किलोमीटर लंबी अटल टनल का शनिवार को लोकार्पण किया। यह परियोजना भारत के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इसके संचालित हो जाने से हिमाचल प्रदेश और लेह लद्दाख के पिछड़े क्षेत्र तेजी से विकसित होंगे और 4 घंटे की यात्रा में कमी आएगी।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है कि सरकार ने सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचे के विकास में अपनी पूरी शक्ति लगा दी है। हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में, सामरिक रूप से महत्‍वपूर्ण और पूरे साल चालू रहने वाली अटल सुरंग का उद्घाटन करते हुए उन्‍होंने कहा कि, “सड़कों, पुलों और सुरंगों का निर्माण कार्य व्‍यापक पैमाने पर किया जा रहा है और सीमावर्ती बुनियादी ढांचे के विकास पर खासतौर पर जोर दिया जा रहा है।”उन्होंनें आगे कहा कि इसका लाभ आम जनता के साथ साथ सशस्‍त्र बलों को भी मिलेगा।

 प्रधानमंत्री ने सुरंग का लोकार्पण करते हुए कहा कि, “अटल सुरंग से हिमाचल प्रदेश की जनता को तो फायदा होगा ही, यह लेह-लद्दाख की जीवन रेखा भी बन जाएगी।” साथ ही उन्‍होंने यह भी कहा कि सरकार के लिए लोगों की सुरक्षा से बढ़कर और कोई मुद्दा नहीं है।

●पूरा हुआ हिमाचलवासियो का सपना
 प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है, क्‍योंकि आज अटल जी के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश की जनता का भी सपना साकार हो रहा है। उन्‍होंने कहा कि संपर्क सुविधा का विकास से सीधा संबंध है और देश के सीमावर्ती इलाकों में संपर्क सुविधा देश की सुरक्षा से सीधे तौर पर जुडी होती है।
इस अवसर पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, हिमाचल प्रदेश के मुख्‍यमंत्री जयराम ठाकुर, केन्‍द्रीय वित्‍त राज्‍य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर, चीफ ऑफ डिफेंस स्‍टाफ जनरल विपिन रावत और थलसेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे भी मौजूद थे।
रक्षामंत्री ने इस परियोजना को निर्धारित लागत पर पूरा करने के लिए सीमा सड़क संगठन की प्रशंसा की।
प्रधानमंत्री ने अटल सुरंग के मनाली स्थित दक्षिणी प्रवेश द्वार से लाहौल स्‍पीति के सिशु स्थित उत्‍तरी प्रवेश द्वार तक की यात्रा की। उन्‍होंने इन दोनों प्रवेश द्वारों के बीच से होकर चलने वाली हिमाचल सड़क परिवहन निगम की बस सेवा को झंडी दिखाकर रवाना किया।

●अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार नें लिया था सुरंग बनानें का निर्णय
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने रोहतांग दर्रे के भीतर से सुरंग बनाने का निर्णय वर्ष 2000 में लिया था और 2002 में इस सुरंग की आधारशिला रखी गई थी। दिसंबर, 2019 में सरकार ने रोहतांग सुरंग का नामकरण श्री वाजपेयी के नाम पर करने का निर्णय लिया था।

●सुरंग की खास बात
इस सुरंग का निर्माण कार्य ‘सीमा सड़क संगठन (बीआरओ)” ने किया है। इस सुरंग के बन जानें से मनाली से लेह तक की दूरी 46 किलोमीटर तथा 4 घंटे कम हो जाएगी।
सुरंग में प्रत्येक 250 मीटर की दूरी पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं तथा प्रत्येक 500 मीटर की दूरी पर निकास द्वार बनाए गए हैं।
इस सुरंग की चौड़ाई 10.5 मीटर है जिसमें 1 मीटर मीटर का दोनों तरफ बना हुआ फुटपाथ भी शामिल है।
इस सुरंग को किसी भी मौसम में प्रतिदिन 3,000 वाहनों के चलने के अनुकूल बनाया गया है।

●सुरंग को बननें में लग गए दस साल
सुरंग के मुख्य अभियंता केपी पुरुषोत्तम ने बताया कि इस परियोजना को बनाने के लिए 6 साल का समय लिया गया था लेकिन कुछ अड़चनों के चलते इसे बनकर तैयार होने में 10 साल लग गए।
अटल सुरंग के प्रोजेक्ट डायरेक्टर कर्नल परीक्षित मेहरा के अनुसार, इस सुरंग की बनावट को लेकर कई बार बदलाव भी किये गए। इस परियोजना पर कई जानकार एक साथ काम कर रहे थे जो सुरंग की बनावट को लेकर आपस में आम सहमत नहीं थे, और कहीं न कहीं ये भी एक कारण रहा कि सुरंग को बननें में अधिक समय लग गया। उन्होंने आगे बताया, एक समस्या तो यह भी थी कि मनाली से सुरंग बनाने के लिए साल भर में सिर्फ 5 महीने ही मिलते थे क्योंकि रोहतांग दर्रा साल में सिर्फ 5 महीने ही खुला रहता है। इस सुरंग को बनाते समय कई भूगर्भीय चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा।
इस परियोजना को फरवरी 2015 में पूरा कर लिया जाना था लेकिन सेरी नाले से पानी की निकासी रॉक खनन पर प्रतिबंध और खदान के लिए आवश्यक भूमि आवंटन में देरी के चलते यह अपने तय समय से 4 साल देरी से बनकर तैयार हो पाई।

-अराधना शुक्ला।

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