बंदियों की रिहाई, विधिक अधिकार विषयक विधिक साक्षरता एवं जागरूकता का आयोजन!

बाराबंकी: उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मंशानुरूप माननीय जनपद न्यायाधीश राधेश्याम यादव के निर्देशन व अध्यक्षता में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बाराबंकी द्वारा जिला कारागार बाराबंकी में बंदियों की रिहाई विषय एवं उनके विधिक अधिकार विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरूकता का आयोजन किया गया। इस अवसर पर न्यायिक अधिकारियों के अतिरिक्त जेल अधीक्षक जिला कारागार, जेलर डिप्टी जेलर इत्यादि उपस्थित रहे।

इस अवसर पर राधेश्याम यादव, जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष द्वारा जेल में निरूद्ध बंदियों को निःशुल्क विधिक सहायता के विषय में विस्तार से जानकारियां दी गई एवं जेल प्रशासन को भी इस बाबत निर्देशित किया गया कि वे बंदियों के मानवीय एवं संवैधानिक अधिकारों का हनन न होने पाये इसके लिए सदैव सचेत रहें। जेल के बंदियों को भी सजा के दौरान खुद में आत्म चिन्तन व मनन करके अपने अन्तकरण को शुद्ध करने एवं अपने जीवन स्तर को सुधारने के लिए खुद को प्रेरित करने का प्रयास करना चाहिए। इस अवसर पर उनके द्वारा बंदियों को बताया गया कि माननीय उच्च न्यायालय की हाई पावर कमेटी के दिशा निर्देशों के अनुपाल में जिला कारागार में निरूद्ध बंदियों को पैरोल एवं अंतरिम जमानत दी गई है और कोविड-19 के संक्रमण काल के दौरान भी उनके विधिक अधिकारों को दिलाये जाने के लिए नियमित रूप से कार्य किया गया है।मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी श्री राकेश ने जेल में निरूद्ध बंदियों को प्ली बार्गेनिंग (सौदा अभिवाक्) विषय में को संबोधित करते हुए उन्हें बताया कि जेल में निरूद्ध एैसे बंदी जिनका मुकदमा न्यायालय में विचाराधीन हो और वे मृत्युदण्ड, आजीवन कारावास व 7 वर्ष से कम के दण्डनीय हैं एवं महिलाओं एवं बच्चों के विरूद्ध किये गये अपराध व देश के सामाजिक आर्थिक दशा को प्रभावित करने के अलावा अन्य सभी मामलों को प्ली बार्गेनिंग से निपटा सकते हैं। इसके अतिरिक्त मासिल जेल लोक अदालत के विषय में जानकारियां प्रदान की गई। सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण संजय कुमार जेल में निरूद्ध बंदियों के रिहाई के विभिन्न उपबन्धों के विषय में विस्तार से जानकारी प्रदान करते हुए कथन किया गया कि जेल में निरूद्ध प्रत्येक महिला एवं उनके बच्चों को पर्याप्त विधिक अधिकार प्राप्त हैं, उनका स्वास्थ्य परीक्षण, उनकी मनोदशा का आंकलन, उनका खान-पान, उनकी एवं उनके साथ रहने वाले उनके बच्चों की शिक्षा एवं उनमें कौशल का निर्माण किया जाना जेल प्रशासन का दायित्व है और जेल प्रशासन अपने दायित्वों का निर्वहन ठीक प्रकार से करें इसकी देख रेख जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा नियमित रूप से अपने एवं पैनल अधिवक्ताओं के नियमित विजिट द्वारा सुनिश्चित किया जा रहा है। जेल में निरूद्ध महिला बन्दियों से वार्ता करते हुए सचिव द्वारा उन्हें अवगत कराया गया कि उन्हें उनके मुकदमों की पैरवी हेतु निःशुल्क अधिवक्ता जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दिया जाता है।

निःशुल्क अधिवक्ता के लिए वे अपने प्रार्थना पत्र जेल प्रशासन, जेल पराविधिक स्वयं सेवक अथवा जेल विजिटर अधिवक्ताओं के माध्यम से कार्यालय को प्रेषित कर सकती हैं। बंदियों के अधिकार विषय पर भी विस्तार से जानकारी दी गई। निःशुल्क अधिवक्ताओं द्वारा अपने मुकदमों की पैरवी कराने, जेल विजिटर एवं जेल के पैरा लीगल वालन्टियर्स के कार्यों के विषय में भी बताया गया। जेल में निरूद्ध बंदियों को जेल में संचालित लीगल एड क्लीनिक के विषय में भी जानकारियां दी गई।

इसके अतिरिक्त बंदियों के कौशल विकास के तरीकों के विषय में भी विस्तार से जानकारियां दी गई। जेल में निरूद्ध बंदियों के परिजनों को भी विधिक सहायता उपलब्ध कराये जाने के उपबन्धों के बारे में बताया गया।
कार्यक्रम का संचालन आशुतोष डिप्टी जेल द्वारा किया गया।

ब्यूरो रिपोर्ट

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