बदायूं: साहित्यिक भाषा शैली मे रिश्वत मांगते थानेदार का Video Viral, SP ने किया निलंबित।

रिपोर्ट – अरविंद सिंह,

थाने को रिश्वत दीजिए विरोधियों को जेल भेजवाईए!

थाने वालों को खुश करिए किसी के ऊपर भी फर्जी मुकदमे लगाइए!

वर्दी वाले साहब की जरूरतों को पूरा करिए अपने ऊपर दर्ज मुकदमों में राहत पाइए!

यह वह शर्मनाक सच्चाई है जो देश के पुलिस तंत्र को न सिर्फ खोखला कर रही है बल्कि इसके चलते एक तरफ जहां खतरनाक अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं आपराधिक घटनाओं में इजाफा हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ देश की जेलों में बड़ी संख्या में गरीब कमजोर और निर्दोष लोग कानूनी जाल में फंस कर अपना दुर्भाग्य भोग रहे हैं।

बदायूं पुलिस के उघैती थाने के थानेदार साहब ने खुद ही पुलिस विभाग की कार्यशैली का ऐसा बखान किया है कि सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे।
दरअसल उन्होंने जो कहा है वह कोई नई बात नहीं है पुलिस थानों की कार्यशैली के बारे में यह जानकारी आम जनता को पहले से है, इसीलिए हर चालाक होशियार आदमी पुलिस से अपने मनमाफिक काम लेने के लिए पुलिस को मनमाफिक दाम देने की कोशिश करता है।

लोग जानते हैं कि, या तो पैसे से या तो तगड़ी सिफारिश से पुलिस को प्रभावित कर लीजिए और अपना काम बना लीजिए नहीं तो पुलिस, कब रस्सी का सांप बना देगी यह कोई नहीं जानता।

अक्सर लोग विवादों में अपने विरोधियों को फसाने के लिए पुलिस का इस्तेमाल करते हैं पुलिस आपके साथ है तो आपके विरोधी के ऊपर दर्जनों फर्जी मुकदमे कायम हो सकते हैं और वह निर्दोष होते हुए भी लंबे समय तक जेल जेल में डाल कर उसका जीवन बर्बाद किया जा सकता है। इसी तरह इसी तरह पुलिस को खुश कर के बहुत से अपराधी अपना काला कारोबार चलाते रहते हैं।

जरा सुनिए बदायूं पुलिस के यह थानेदार राकेश चौहान साहब किस तरह अपने विभाग की खासियत बता रहे है।
उघैती थानाध्यक्ष राकेश चौहान किसी की मदद के नाम पर उससे रिश्वत मांगते नज़र आ रहे हैं और रिश्वत भी सीधे सीधे नही बल्कि बड़ी ही साहित्यिक भाषाशैली में पीड़ित को प्रोपोज़ कर रहे हैं।
कभी डाक्टरी भाषा मे समझा रहे हैं कि मर्ज सरकारी दावा से सही नही होगा इसके किये प्राइवेट खर्चा उठाना पड़ेगा।
इतना ही नही थानाध्यक्ष सामने वाले को यह भी समझा रहे है कि बस हां कर दो हम तो उसकी गर्दन काटकर दूसरी गर्दन भी लगा देंगे।हमारे पास सब इलाज है।अवैध तमंचा, अवैध शराब,अवैध अफीम जैसा कहोगे वैसा कर देंगे।

थानेदार राकेश चौहान ने पुलिस की कार्यशैली का कायदे से बखान कर दिया।
और देश के पुलिस विभाग में जनता की क्या हैसियत है यह भी स्पष्ट कर दिया…वीडियो के वाइरल होने के बाद मामला एसएसपी संकल्प शर्मा के संज्ञान में आया तो एसएसपी ने थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया है और मामले पर जांच बैठा दी है।

बदायूं के बेलगाम थानेदार राकेश चौहान ने जो बात कही है वह पहले भी कई बार लोगों के सामने आ चुकी है।
चेहरे बदलते हैं जगह बदलती है लेकिन पुलिस की कहानी लगभग वैसी ही रहती है। ऐसा नहीं है कि पुलिस महकमे में सभी लोग ऐसे हैं, पुलिस महकमे में कुछ इमानदार और बहादुर लोग भी हैं लेकिन इनकी गिनती बहुत कम है। और अक्सर आम जनता भ्रष्ट पुलिस कर्मियों की वजह से खून के आंसू रोने को मजबूर होती है।

बहुत से निर्दोषों को अदालत से इंसाफ तब मिलता है जब उनकी जिंदगी का बड़ा हिस्सा निर्दोष होते हुए भी जेलों में गुजर जाता है जाता है, और बहुत से अपराधी तब कानून के दायरे में आते हैं जब उनकी जिंदगी का बड़ा हिस्सा उनकी मनमानी और अपराधिक घटनाएं करते हुए करोड़ों अरबों की दौलत बनाते हुए मौज मस्ती में बीत जाता है। इसके लिए सिर्फ पुलिस दोषी नहीं है पुलिस को चलाने वाली सरकार ने पुलिस तंत्र को इसी तरह बनाया है कि वह कानून की परिभाषा जैसे चाहे वैसे ही बदल दे सरकार बड़े बड़े अपराधियों और माफियाओं को नेता बनने का मौका देती है और उसके बाद पुलिस वालों से उन अपराधियों को सैल्यूट करवाती है सरकार चाहती है कि पुलिस कानून के हिसाब से नहीं बल्कि सत्ता धारियों की राजनीतिक जरूरत के हिसाब से काम करें इसलिए पुलिस ने भी नेताओं से मौका परस्ती और अवसरवाद सीख लिया है जहां भी मौका मिले ज्यादा से ज्यादा माल कमाओ ..कानून सच्चाई और इंसाफ यह दो किताबी बातें हैं।

पुलिस विभाग पर जनता की गाढ़ी कमाई के हजारों करोड रुपए खर्च किए जाते हैं पुलिस अधिकारियों को मोटा वेतन और सुविधाएं दी जाती है बावजूद इसके आम जनता यही मानती है कि अधिकांश पुलिसकर्मी उनका शोषण करते हैंl

यह कड़वी सच्चाई है कि पुलिस की खाकी वर्दी में बहुत से आपराधिक मानसिकता के लोग छिपे हुए हैं और सरकारी वेतन लेकर न सिर्फ कानूनों की ऐसी तैसी करते हैं बाकी जनता का शोषण करते हैं और जब भी मौका मिलता है रस्सी का सांप बना देते हैंl

जरूरत इस बात की है कि मनोवैज्ञानिक परीक्षण के बाद ही ईमानदार और देशभक्त लोगों को पुलिस और दूसरे सरकारी विभागों में जिम्मेदारी दी जाए जिससे संविधान की मंशा पूरी हो और सरकारी कर्मचारी लोक सेवक बन सके.. भ्रष्ट शासक नहीं

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